सुभद्रसागर जी मुनिराज की हुई भद्र परिणामों के साथ समाधि
मंदोला: परम पूज्य आचार्य श्री सुदर्शन सागर जी मुनिराज के परम शिष्य प.पू. मुनि श्री सुभद्र सागर जी मुनिराज की समता पूर्वक भद्र परिणामों सहित २१ जनवरी २०१२ को दोपहर २ बजे समाधि जय शांति सागर निकेतन, मंडोला में हो गई.पूज्य मुनि श्री को बीमारी के चलते दस्त होने लगे और कुछ भी नहीं पच रहा था स्वास्थ्य नम्र होने लगा और जब स्वस्थ पर काबू न पाया गया तब मुनि श्री ने समाधि धारण कर ली.पूज्य श्री का सरल व्यक्तित्व उनकी इस बीमारी की जरा सी भी झलक चेहरे पर नहीं आने देता था.सभी से वात्सल्य भाव से बात करना और सभी को समान रूप से आशीर्वाद देना उनका स्वाभाव था.औषधि का विशेष ज्ञान रखने वाले मुनि श्री लगभग ८० वर्ष की अपनी आयु कर्म को व्यतीत कर उर्ध्व गमन कर गए.मुनि श्री ने पहले ही अपने आप को समाधि के लिए मानसिक रूप से तैयार कर लिया था और पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज से बारह वर्ष की सल्लेखना धारण की थी. पूज्य ऐलक श्री विज्ञानसागर जी महाराज की प्रेरणा से निर्मित जय शांतिसागर निकेतन मंडोला में लम्बे से अपने अंतिम समय को बिताते हुए मुनि श्री ने सभी को मनमुग्ध कर दिया था.मुनि श्री का जन्म हरियाणा में हुआ था और नवल किशोर नाम से जाने जाते थे.आप ही के बड़े पुत्र श्री रवि जैन (गुडगाँव) ने आपका अंतिम संस्कार किया.
मंदोला: परम पूज्य आचार्य श्री सुदर्शन सागर जी मुनिराज के परम शिष्य प.पू. मुनि श्री सुभद्र सागर जी मुनिराज की समता पूर्वक भद्र परिणामों सहित २१ जनवरी २०१२ को दोपहर २ बजे समाधि जय शांति सागर निकेतन, मंडोला में हो गई.पूज्य मुनि श्री को बीमारी के चलते दस्त होने लगे और कुछ भी नहीं पच रहा था स्वास्थ्य नम्र होने लगा और जब स्वस्थ पर काबू न पाया गया तब मुनि श्री ने समाधि धारण कर ली.पूज्य श्री का सरल व्यक्तित्व उनकी इस बीमारी की जरा सी भी झलक चेहरे पर नहीं आने देता था.सभी से वात्सल्य भाव से बात करना और सभी को समान रूप से आशीर्वाद देना उनका स्वाभाव था.औषधि का विशेष ज्ञान रखने वाले मुनि श्री लगभग ८० वर्ष की अपनी आयु कर्म को व्यतीत कर उर्ध्व गमन कर गए.मुनि श्री ने पहले ही अपने आप को समाधि के लिए मानसिक रूप से तैयार कर लिया था और पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज से बारह वर्ष की सल्लेखना धारण की थी. पूज्य ऐलक श्री विज्ञानसागर जी महाराज की प्रेरणा से निर्मित जय शांतिसागर निकेतन मंडोला में लम्बे से अपने अंतिम समय को बिताते हुए मुनि श्री ने सभी को मनमुग्ध कर दिया था.मुनि श्री का जन्म हरियाणा में हुआ था और नवल किशोर नाम से जाने जाते थे.आप ही के बड़े पुत्र श्री रवि जैन (गुडगाँव) ने आपका अंतिम संस्कार किया.
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