"गणिनी" स्त्री पर्याय का सर्वोच्च पद है तथा अर्यिका संघ में आचार्य के सामान है। आर्यिका , क्षुल्लिका दीक्षा देने की अनुमति गणिनी को होती है। वह अपने संघ का सञ्चालन गुरु आज्ञा से करती हैं तथा संघ को प्रायश्चित आदि देने की अनुमति होती है।
ऐसे "गणिनी" पद का संस्कार परम पूज्य श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज ने पूज्य आर्यिका श्री प्रज्ञमति माताजी एवं आर्यिका श्री विद्याश्री माताजी को प्रदान किया था तथा उन्ही के परम शिष्य परम पूज्य दीक्षा सम्राट एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के कर कमलों द्वारा उनकी आज्ञानुवर्ती शिष्या पूज्य आर्यिका श्री गुरुनंदनी माताजी को 03 जनवरी 2013 को "गणिनी पद" से संस्कारित करेंगे।
यह शुभ आयोजन टूंडला नगर में चल रहे पंचकल्याणक के चतुर्थ दिन केवलज्ञान कल्याणक के अवसर व शुभ मुहूर्त में दिया जायेगा। पूज्य आर्यिका श्री गुरु नंदनी माताजी वर्तमान में कुशलता पूर्वक आर्यिका संघ का संचलन कर रही हैं। संघ में आर्यिका श्री ब्रह्मनंदनी माताजी, आर्यिका श्री श्रीनंदनी माताजी, आर्यिका श्री पद्मनन्दनी माताजी एवं क्षुल्लिका श्री वीर नंदनी माताजी के साथ साथ 10 ब्रह्मचारिणी बहनें हैं।
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