ये पहली बार हुआ था जब हजारों की संख्या में जन समूह ने भव्य दिगम्बरी जिन अनगार (मुनि) दीक्षाएं देखने अवसर प्राप्त किया। अतिशय क्षेत्र श्री जम्बूस्वामी तपोस्थली, बौलखेड़ा (राज.) में सहस्राधिक वर्षों में पहली बार 08 सितम्बर 2013 लगभग 20 हज़ार लोगों का जमावड़ा लगा जिसकी विशालता देखते ही बन रही थी। विशाल जम्बूवन में भव्य कार्यक्रम का आयोजन चातुर्मास समिति द्वारा किया। दीक्षा संस्कार विधि सम्पूर्णता परिवेश में प. पू. राष्ट्र संत, श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के प्रभावक व सुयोग्य शिष्य प. पू. अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज द्वारा संपन्न हुई। इस अवसर पर युगल मुनि दीक्षा एवं युगल क्षुल्लक दीक्षा देखने का सौभाग्य जन समूह प्राप्त हुआ। संघस्थ ऐलक श्री सच्चिदानंद जी एवं ऐलक श्री स्वरूपानंद जी महाराज को शुभ मुहूर्त में मुनि दीक्षा प्रदान कर क्रमशः मुनि श्री आत्मानंद जी एवं मुनि श्री निजानंद जी मुनिराज के नाम से संस्कारित किया। बाल ब्र. शुभाशीष भैया जी एवं ब्र. संयम प्रकाश जी को क्षुल्लक दीक्षा प्रदान कर क्रमशः क्षुल्लक श्री प्रज्ञानंद जी एवं क्षुल्लक श्री ध्यानानंद जी महाराज के नाम से संबोधित किया। चारों दीक्षार्थियों का प्रातः काल केशलोंच संपन्न हुआ तत्पश्चात 11 बजे से दीक्षा महोत्सव की सभा का आयोजन प्रारंभ हुआ। सभी दीक्षार्थियों के पात्रों का सम्मान किया गया तथा पूज्य गुरुदेव द्वारा एक-एक दीक्षार्थी को क्रमवत दीक्षा प्रदान की।
कार्यक्रम में लगभग 164 बसों में दर्शनार्थी पधारें तथा सेकड़ों गाड़ियों की लम्बी कतार नीचे गाँव तक देखी जा सकती थी। उपस्थित सभी श्रद्धालुओं को शुद्ध स्फटिक की माला दीक्षा स्मृति के उपलक्ष्य पर प्रदान की गई। दीक्षा से पूर्व आयोजन में 06 सितम्बर को बौलखेड़ा गाँव में बिनौली यात्रा संपन्न हुई, मेहंदी व गोद भराई की रस्म संपन्न की गई। 07 सितम्बर को प्रातः श्री गण धर वलय विधान दीक्षार्थियों द्वारा आयोजित किया गया। 09 सितम्बर को दीक्षार्थियों का प्रथम आहार पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के नेतृत्व में संपन्न हुई। यह आयोजन सभी उपस्थित जन समूह के द्वारा एक यादगार के रूप में उनके मस्तक पर हमेशा-हमेशा के लिए अंकित हो गया।
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