भ.पार्श्वनाथ का निर्वाण लाडू हर साल की भांति इस साल भी पुरे विश्व के विभिन्न भागों में बहुत ही भक्ति भाव व भव्य आयोजनों से मनाया जा रहा है.इस अवसर पर सम्पूर्ण देश के विभिन्न प्रान्तों से लाखों श्रद्धालु शाश्वत सिद्ध क्षेत्र सम्मेद शिखरजी में निर्वाण लाडू चडाने हेतू ०५ अगस्त को पर्वतराज की वंदना करेंगे और स्वर्णभद्र कूट पर लाडू समर्पित करेंगे.वैसे तो सम्मेद शिखरजी से और भी १९ तीर्थंकर मोक्ष पधारे लेकिन सबसे अंत में और सबसे ज्यादा उचाई पर विराजित भगवन पार्श्वनाथ की टोंक के कारण इसकी महत्ता और भी अधिक हो जाती है.यहाँ प्रत्येक सावन सुदी सप्तमी को लाखों भक्त अपने भाव व्यक्त करने आते हैं.
सम्मेद शिखरजी के अतिरिक्त देश के विभिन्न राज्यों,नगरों,गाँव,आदि में भी भगवन पार्श्वनाथ निर्वाण लाडू बड़े ही धूम धाम से चदय जाता है.परम पूज्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ के भी पवन सानिध्य में ०५ अगस्त को प्रातः श्रीजी के अभिषेक के पश्चात् कलिकुंड पार्श्वनाथ विघ्न हरता विधान संगीतमय रूप से आयोजित होगा व २३ किलो का प्रथम निर्वाण लाडू भी चढ़ाया जायेगा.
वही दिल्ली में गणिनी आर्यिका श्री विद्याश्री माताजी के ससंघ सानिध्य में भी शकरपुर जैन समाज बेहद भक्ति भाव विभिन्न आयोजनों के साथ निर्वाण लाडू चढ़ाएंगे.आर्यिका श्री श्रुत्देवी सुज्ञानी माताजी के सानिध्य में सूरजमल विहार दिल्ली में भ.पार्श्वनाथ की स्वर्ण भद्र कूट की कृतिम रचना हुई है जिस पर भक्ति भाव से निर्वाण लाडू चढ़ाया जायेगा.
राजस्थान की राजधानी जयपुर में पूज्य आर्यिका श्री गुरुनंदनी माताजी ससंघ के सानिध्य में और उत्तर प्रदेश स्थित अलीगढ में आर्यिका श्री सौम्यनंदनी माताजी ससंघ के सानिध्य में भी भव्य आयोजन संपन्न होंगे.
दिल्ली में चातुर्मासरत एलाचार्य श्री अतिवीर जी मुनिराज के सानिध्य में लघु सम्मेद शिखर की रचना कर निर्वाण लाडू चढ़ाया जायेगा.
आप भी इस दिन भगवन पार्श्वनाथ का अभिषेक, पूजन,विधान, जाप आदि करके अपने पापों का क्षय करें और पुण्यार्जन करें.
भगवन पार्श्वनाथ जैन धर्म के २३ वें तीर्थंकर थे जिनका जन्म वाराणसी में हुआ था.कमठ द्वारा भयंकर उपसर्ग हुआ जिसका निवारण देवी पद्मावती और देव धर्नेंद्र ने किया.अंत में सम्मेद शिखर जी से मोक्ष प्राप्त किया जिसके महत्व से पहाड़ का नाम पारसनाथ हिल पड़ा.आप अपने जीवन में एक बार अवश्य तीर्थराज सम्मेद शिखरजी की यात्रा करें क्यूंकि कहा है-
"भाव सहित वन्दे जो कोई,ताहि नरक पशु गति नहीं होई"
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