भ्रूण हत्या माँ के कोख में......
कातर निष्ठुर निगाहों से
बच्चे बड़े ही मासूमियत से पूछते हैं.........
अपने जनक और जननी को
मेरी क्या गलती थी?
मेरी हत्या क्यों करते हो?
जब दुनिया नहीं दिखाना था
अपने कोख में क्यों पन्पाये?
भविष्य के सुनहरे सपने ही क्यों दिखलाये?
यदि लड़की होना ही अभिशाप है तो
बता तू कहाँ से आई?
प्रकृति के साथ क्यों करते हो खिलवाड़ तुम
हत्या का पाप क्यों करते हो तुम
यदि इसी तरह से, मेरी हत्या कोख में होगी
तो यह सृष्टि कैसे चलेगी?
कन्या को लक्ष्मी कहते हो
और फिर लक्ष्मी के आने से डरते हो..
सभी लड़के कुवारें रह जायेंगे
वंश कैसे चलेगा.......?
जब माता,सुता, जननी न होगी....
कन्या तो आज सभी क्षेत्रों में
अपने वंश का नाम रोशन करती है
अन्तरिक्ष से लेकर जमीन पर
सभी में अपने दम पर कुलाएं भारती है
भ्रूण हत्या की यह बीमारी कहाँ से आई..?
समस्त भूतल पर हत्यारों को लायी है
क्या तुम अपनी संतानों के प्रति इतने क्रूर हो गए हो
जिसे जन्म देने से पहले ही दफ़न कर गए हो
सोचो और चेतो!!!!!!!!!!!
क्यों कोख में मेरी हत्या कर ब्रह्म पाप कमाते हो?
मेरी क्या खता थी कि तुम अपने वंश के
हमें नहीं अपनाते हो.
तुम्हारे वंश की संवाहक बनूँगी
माँ, बेटी, बहन, पत्नी बनूँगी...
प्यार, वात्सल्य, करुणा, ममता
मेरी कोख से पैदा होती है
प्रकृति को अपने नियमों पर चलने दो.
कन्या नारी को पुन्हः इस धरा पर प्रतिष्ठित करने दो.
आओ हम संकल्पित हो, इस रक्षा बंधन के पावन पर्व पर कन्या भ्रूण हत्या को अपने समाज और राष्ट्र से समाप्त करने के लिए..
जय जिनेन्द्र
जय गुरुदेव
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