हस्तिनापुर :- परम पूज्य राष्ट्र संत श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी
मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य परम पूज्य अभिक्षण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री
वसुनानंदी जी मुनिराज ससंघ का पिच्छि परिवर्तन तथा ब्र.अमोलक चंद जी की
क्षुल्लक दीक्षा का कार्यक्रम ही सिर्फ १० नवम्बर को होना था.प्रातः अभिषेक
और गणधरवलय विधान हुआ और आहार चर्या के पश्चात् कार्यक्रम का शुभारम्भ
हुआ. सर्वप्रथम मुनि श्री ज्ञानानंद जी व मुनि श्री सर्वानन्द जी की
वाग्दिक्षा पूज्य एलाचार्य श्री के कर कमलों द्वारा संपन्न हुई एवं
ब्र.अमोलक चंद जी (सरधना निवासी) की पूज्य एलाचार्य श्री द्वारा क्षुल्लक
दीक्षा संपन्न हुई और नाम रखा क्षुल्लक श्री सहजानंद जी महाराज.पिच्छि
परिवर्तन का कार्यक्रम प्रारंभ हुआ और सबसे छोटे क्षुल्लक श्री सुखानंद जी
और फिर क्षुल्लक श्री विशंक सागर जी का पिच्छि परिवर्तन हुआ.अब ऐलक विमुक्त
सागर जी का पिच्छि परिवर्तन होना था जिनसे एलाचार्य श्री ने मंच से पूछा
कि "मुनि दीक्षा का क्या विचार है?" ऐलक जी ने कहा कि यदि आप मुझे इस योग्य
समझते हैं तो मुझे मुनि दीक्षा देकर मेरा सौभाग्य बढाइये". पूज्य एलाचार्य
श्री की स्वीकृति हुई और सब उपस्थित जनसमूह तथा मुनि संघ की अनुमति लेकर
मुनि दीक्षा प्रारंभ हुई.कार्यक्रम में अचानक ही बदलाव आ गया और पिच्छि
परिवर्तन से कार्यक्रम पुनः दीक्षा महोत्सव में बदल गया.
केशलोंच की क्रिया संपन्न हुई और पश्चात् पूज्य एलाचार्य श्री ने मूलगुण संस्कार, मुनि पद पर आरूढ़ किया और नाम रखा मुनि श्री जिनानंद जी मुनिराज.सब लोग आश्चर्य चकित रह गए कि जिनकी दीक्षा कि दूर दूर तक कोई ख़बर नहीं थी उनकी अचानक ही मुनि दीक्षा संपन हुई.
कार्यक्रम अपनी गति से चल रहा था और पूज्य मुनि श्री शिव सागर जी का पिच्छि परिवर्तन हुआ और अंत में पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज का पिच्छि परिवर्तन हुआ.पूज्य एलाचार्य श्री की पुरानी पिच्छि श्री योगेश कुमार जैन 'अरिहंत प्रकाशन' मेरठ वालों को प्राप्त हुई.कार्यक्रम के अंत में आरती कर कार्यक्रम संपन्न हुआ.
केशलोंच की क्रिया संपन्न हुई और पश्चात् पूज्य एलाचार्य श्री ने मूलगुण संस्कार, मुनि पद पर आरूढ़ किया और नाम रखा मुनि श्री जिनानंद जी मुनिराज.सब लोग आश्चर्य चकित रह गए कि जिनकी दीक्षा कि दूर दूर तक कोई ख़बर नहीं थी उनकी अचानक ही मुनि दीक्षा संपन हुई.
कार्यक्रम अपनी गति से चल रहा था और पूज्य मुनि श्री शिव सागर जी का पिच्छि परिवर्तन हुआ और अंत में पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज का पिच्छि परिवर्तन हुआ.पूज्य एलाचार्य श्री की पुरानी पिच्छि श्री योगेश कुमार जैन 'अरिहंत प्रकाशन' मेरठ वालों को प्राप्त हुई.कार्यक्रम के अंत में आरती कर कार्यक्रम संपन्न हुआ.
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