"दिन रात मेरे स्वामी,मैं भावना ये भाऊ
देहांत के समय में तुमको न भूल जाऊ"
ये पंक्तियाँ हम लोग प्रतिदिन पढ़ते हैं फिर भी समाधि पूर्वक मरण का सौभाग्य सभी को प्राप्त नहीं होता.कुछ बेहद पुण्यशाली जीव होते हैं जिनकी संतों-गुरुओं के सानिध्य व निर्देशन में समाधि संपन्न होती है. ऐसी ही एक महान पुण्यशाली जीव शकरपुर निवासी श्रीमती मंजू जैन धर्मपत्नी श्री वीरेन्द्र जैन (वाडमेर वाले) की अस्वस्थता के चलते हस्पताल में इलाज चल रहा था और जब अंत में डॉक्टरों ने उम्मीद छोड़ दी तब पूज्य गुरुदेव एलाचार्य श्री ने उनकी उम्मीद जगाई.श्री वीरेन्द्र जैन ने सभी परिवार के साथ पूज्य श्री से समाधि पूर्वक मरण कराने का निवेदन किया.पूज्य श्री ने श्रीमती मंजू जैन की भावना को देखते हुए उन्हें निर्यापकाचार्य के रूप में समाधि कराने की स्वीकृति प्रदान की.दिनांक 09 मई को रात्रि 07:30 बजे श्रीमती मंजू जैन को शकरपुर लाया गया और पूज्य श्री ने संबोधन देते हुए सात प्रतिमा के व्रत प्रदान किये और नाम रखा ब्र.ब्राह्मी दीदी.पूज्य श्री द्वारा सीमंधर स्वामी का ध्यान,भ.आदिनाथ और भ.महावीर स्वामी का ध्यान, तीर्थों का ध्यान, आदि कराते हुए उनके चित्त और चेतना को जागरूक रखा. क्षपक ब्र.ब्राह्मी दीदी ने रात्रि 11:30 बजे दीक्षा हेतु श्रीफल चढ़ाया तब पूज्य गुरुदेव ने उनकी क्षमता और भावना को देखते हुए क्षुल्लिका दीक्षा के संस्कार 12:15 बजे समाज और परिवार की स्वीकृति पूर्वक किये और नाम रखा क्षुल्लिका श्री सर्वज्ञनंदिनी माताजी.पिच्छि, कमंडल, शास्त्र, जाप माला, वस्त्र, पात्र आदि भेंट किये.माताजी ने भी जरुक अवस्था पूर्वक सबको आशीर्वाद प्रदान किया.सबसे क्षमा मांगते हुए अपने चित को जाप में लगाये रखा.प्रातः काल 8 बजे आहार चर्या के पश्चात् पूज्य माताजी ने आर्यिका दीक्षा हेतु प्रार्थना की तब पूज्य गुरुदेव ने परिस्थिति और भावना को देखते हुए उनके 9 बजे आर्यिका दीक्षा के संस्कार करते हुए आर्यिका श्री सिद्धनंदिनी माताजी नाम से पुकारा.माताजी निरंतर स्वसंघ प्रवर्तिका आर्यिका श्री गुरुनंदिनी माताजी ससंघ के वचनों को सुन रही थी.शाम 05:47 बजे अंतिम सांस ली और समता पूर्वक शरीर को त्याग दिया.सब ओर खबर फ़ैल गई और हजारों की संख्या में श्रावक जन उपस्थित हो गए तथा यमुना बैंक मेट्रो स्टेशन के निकट उनके पार्थिव शारीर को अग्नि को समर्पित कर दिया.उपस्थित जन समूह ने गोला चढाते हुए पूज्य माताजी के शारीर के अंतिम दर्शन प्राप्त किये.अग्नि संस्कार सायं 7 बजे किया गया.
ऐसी जागरूक समाधि परम पूज्य राष्ट्र संत, श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के आशीर्वाद,परम पूज्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के निर्देशन एवं स्वसंघ प्रवर्तिका आर्यिका श्री गुरु नंदिनी माताजी के सानिध्य में संपन्न हुई.समाधि के चलते माताजी को ८ संतों का सानिध्य ओर दर्शन प्राप्त हुआ.
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