अतिशय क्षेत्र श्री जम्बूस्वामी जी(तपोस्थली) के इतिहास में ये पहली बार था जब परम पूज्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के कर कमलों से भव्य रूप से "वर्णी दीक्षा" 22 अगस्त को संपन्न हुई.तीव्र भावनाओं को देखते हुए पूज्य गुरुदेव ने ब्र.हुकुम चंद जी'दरोगा' (मेरठ)..................
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Tuesday, August 24, 2010
Friday, August 13, 2010
क्षुल्लिका मोक्षनंदनी माताजी की हुई समाधी
राजाखेड़ा निवासी सप्तम प्रतिमा धारी ब्रह्मचारिणी छोटी बाई जी का जब स्वास्थ ख़राब हुआ तब उनके परिवार के लोग प.पू. एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के पास दर्शन हेतु ले आये.तब उन्होंने सल्लेखना ग्रहण करने का निवेदन किया तो एलाचार्य श्री ने स्वास्थ और अंग ज्ञान से जानकर उन्हें 12 अगस्त को यम सल्लेखना................
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Tuesday, August 3, 2010
श्वेत पिच्छाचार्य बने आचार्य विद्यानंद जी
परम
पूज्य सिद्धांत चक्रवर्ती, राष्ट्र संत जैसी महान उपाधियों से विभूषित
आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के नाम के साथ एक और ऐतिहासिक नाम जुड़
गया है.इतिहास के २००० वर्ष में ये पहली बार है जब आचार्य उमास्वामीजी मुनिराज के अलावा आचार्य श्री विद्यानंद जी
मुनिराज ने हरे मयूर पंख के अतिरिक्त कोई और पंख की पिच्छी धारण की है.२४
जुलाई के दिन जब चातुर्मास स्थापना के अवसर पर पूज्य आचार्य श्री के एक
अमेरिकन भक्त ने ये श्वेत मयूर पंख की पिच्छी प्रदान की तब समस्त जैन समाज
में हलचल मच गई.उपस्थित जनसमूह ने पूज्य आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज
को "श्वेत पिच्छाचार्य" की उपाधि से विभूषित किया.वैसे भी आचार्य श्री के
नाम अनेकों ऐतिहासिक कार्य अंकित हैं लेकिन इस कार्य से तो उनका नाम हजारों वर्षों तक इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों से अंकित हो गया.
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आचार्य श्री विद्यानंद प्रतियोगिता को डाउनलोड करके हमें मात्र उत्तर पुस्तिका भेजें। उत्तर पुस्तिका भेजने का पता श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैस...
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परम पूज्य राष्ट्र संत श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम प्रिय व आज्ञानुवर्ती शिष्य परम पूज्य अभिक्षण ज्ञानोपयोगी एलाचा...
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"गणिनी" स्त्री पर्याय का सर्वोच्च पद है तथा अर्यिका संघ में आचार्य के सामान है। आर्यिका , क्षुल्लिका दीक्षा देने की अनुमति ग...
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आज का प्रवास
गुरु शरण

आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज से पड़ते हुए गुरुदेव
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