जैन धर्म त्याग प्रधान धर्म है जिसमे श्रद्धा और शक्ति को पूर्वक त्याग सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।जैन संस्कार से बना जाता है, शारीरिक जन्म से नहीं. पौराणिक समय में जब बालक 8 वर्ष की आयु को प्राप्त करता था तब उसके श्रावक संस्कार किया जाता था लेकिन धीरे धीरे ये प्रथा समाप्त होती गई. जैन केवल नाम के रह गए है और काम के कम इसीलिए परम पूज्य राष्ट्र संत श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य लोह पुरुष परम पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के द्वारा सेकड़ों वर्षों के इतिहास में प्रथम बार जैन बनाने की प्रक्रिया को रूप देते हुए 28 अक्टूबर को सुहाग नगरी फिरोजाबाद में सहस्राधिक श्रावकों को एक साथ एक ही मंच से नैष्ठिक श्रावक बनाने की महत्वपूर्ण क्रिया को पूर्ण किया.ये इतिहास में पहली बार है जब एक ही मंच से, एक ही स्थान के 1146 जैन अजें लोगों को जैन श्रावक के संस्कारों से संस्कारित कर उन्हें अगमानुसार जैन घोषित किया.सभी इच्छुक दीक्षार्थी श्वेत वस्त्रों में उपस्थित हुए तथा
Monday, October 29, 2012
Saturday, October 20, 2012
Friday, October 12, 2012
हजारों भक्तों की उपस्थिति में प्रारंभ हुआ रजत वर्ष
परम पूज्य श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य परम पूज्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के दीक्षा काल के 24 वर्ष संपन्न होने और 25 वें वर्ष में पदार्पण करने पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन श्री महावीर मंदिर, छदामी लाल जैन ट्रस्ट , फिरोजाबाद में चातुर्मास कमिटी द्वारा किया गया था। गुरु के संयम दिवस को स्मृति रूप मनाने के लिए देश के कोने कोने से लोगों का आगमन हुआ और अपनी भाव भीनी विनयांजलि प्रस्तुत की, कार्यक्रम के दौरान बालक बालिकाओं ने बेहद सुंदर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत जिसे उपस्थित जन समूह ने पूर्ण रूप से सराहा। सर्वप्रथम चित्र अनावरण, दीप प्रज्ज्वलन व मंगलाचरण से धर्म सभा प्रारंभ हुई और गुरु चरण प्रक्षालन, शास्त्र भेंट और आरती से कार्यक्रम संपन्न हुआ। कार्यक्रम के मध्य विद्वानों एवं समाज सेवियों के वक्तव्य बेहद सराहनीय रहे तथा चाद्रसेन कवी के द्वारा मंच सञ्चालन से सभी हर्षित हुए। प्रसिद्द कलाकार पवन शर्मा के द्वारा प्रस्तुत वैराग्य वर्धक नाटिका "देशभूषण कुलभूषण" ने सभी के आँखों को नम कर दिया।
इस अवसर पर विशिष्ट भक्तों को भी स्वर्ण प्रशस्ति से तथा विशेष भक्तों का रजत प्रशस्ति से सम्मानित किया गया था। कार्यक्रम के पश्चात सभी आगंतुकों को भोजन करा चातुर्मास कमिटी ने अपना अहो भाग्य समझा।
दिल्ली स्थित धर्म जाग्रति संसथान, दिल्ली प्रदेश द्वारा उत्तर भारत की सबसे विशाल भगवन बहुबली की तथा पूज्य गुरुदेव की 2500 दीपकों व आकर्षक थालों से महा आरती की जिसको देखते ही बनता था।
रात्रि कालीन सभा में पवन शर्मा द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम संपन्न हुए।
इस अवसर पर विशिष्ट भक्तों को भी स्वर्ण प्रशस्ति से तथा विशेष भक्तों का रजत प्रशस्ति से सम्मानित किया गया था। कार्यक्रम के पश्चात सभी आगंतुकों को भोजन करा चातुर्मास कमिटी ने अपना अहो भाग्य समझा।
दिल्ली स्थित धर्म जाग्रति संसथान, दिल्ली प्रदेश द्वारा उत्तर भारत की सबसे विशाल भगवन बहुबली की तथा पूज्य गुरुदेव की 2500 दीपकों व आकर्षक थालों से महा आरती की जिसको देखते ही बनता था।
रात्रि कालीन सभा में पवन शर्मा द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम संपन्न हुए।
Thursday, October 4, 2012
Tuesday, October 2, 2012
नैष्ठिक श्रावक दीक्षा संस्कार महोत्सव
फिरोजाबाद के इतिहास में पहली बार जैन विधि के अनुसार श्रावक बनाने की प्रक्रिया को मंत्रोच्चार पूर्वक परम पूज्य श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य परम पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के कर कमलों द्वारा 1146 विधि पूर्वक शास्त्रानुसार श्रावक दीक्षा संस्कार किये जायेंगे.ये आयोजन 28 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे से श्री छदामी लाल जैन ट्रस्ट के अंतर्गत श्री महावीर मंदिर के विशाल प्रांगन में किया जायेगा.
इस कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए निशुल्क फॉर्म भरे जा रहे है जो मात्र दो दिन में 400 की संख्या पार कर गया है.श्रावक संस्कार सिर्फ 1146 बंधुओं के ही किये जायेंगे इसलिए पहले आओ पहले पो के अधर पर चयन होगा.
पूज्य एलाचार्य श्री से पूछने पर पता चला कि इस संस्कार महोत्सव में अष्ट मूलगुण (मध्य-मांस-मधु का त्याग तथा बड,पीपर,उमर,कठूमर,पाकर-पञ्च उदंबर फल त्याग) और सप्त व्यसन त्याग कराया जायेगा जो श्रावकों के जन्म से ही होता है लेकिन उनके विधिवत संस्कार न होने से वे मान्य नहीं होते.वैसे तो ये आठ वर्ष के बालक के संस्कार होते है लेकिन ये पद्धति लुप्त होने से सभी वर्ग के श्रावकों को सम्मिलित किया जायेगा.
आयोजकों ने बताया कि सभी श्रावकों को स्वनाम की प्रशस्ति पत्र,स्फटिक मणि जाप माला,शास्त्र,गुरु हस्तों से संस्कार आदि प्राप्त होंगे.कार्यक्रम का प्रसारण समस्त जैन चैनलों पर भी होगा.
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Vasunandi_ परम पूज्य राष्ट्र संत श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के सुयोग्य शिष्य परम पूज्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्र...
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प.पू. श्वेत पिच्छ्चार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज को समर्पित व उन्ही के नाम से प्रकाशित होने वाली ये प्रतियोगिता पिछले 13 वर्षों स...
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प्रथम तीर्थंकर श्री आदिनाथ जिनबिम्ब एवं मानस्तम्भ पंचकल्याणक प्रतिष्ठा,कलशारोहण एवं विश्व शांति महायज्ञ श्री दिगम्बर जैन मंदिर,रिषभ पूरी ...
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परम श्रद्धेय श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम प्रिय आज्ञानुवर्ती शिष्य परम पूज्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वस...
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