हम सभी के लिए यह प्रसंनता का विषय है कि 20-21 वीं सदी के सर्वमान्य आयु-वृद्ध, ज्ञान-वृद्ध, तप-वृद्ध, दीक्षा-वृद्ध श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज का 25 जुलाई 2012 से मुनि दीक्षा का 50 वां वर्ष प्रारंभ हो रहा है। इस अवसर पर त्यागराज स्टेडियम, नई दिल्ली में एक भव्य आयोजन रविवार 29 जुलाई 2012 को प्रातः 10 बजे से मनाया जायेगा।आचार्य श्री विद्यानंद जी का जीवन एक आदर्श जीवन रहा है जिसको समस्त जैन समाज ने ही नहीं अपितु जैनेत्तर समाज ने भी मन है। आचार्य श्री को 8000 श्लोक, गाथाएं आदि कंठस्त है जिससे उन्हें चलता फिरता विश्वविद्यालय कहा जाता है। ये ऐसे रत्नाकर है जिन्होंने अथाह सागर में से चुनिन्दा रत्ना को खोजकर उन्हें उभरा और तराशा है जिनमे एलाचार्य श्रुत सागर, एलाचार्य वसुनंदी, उपाध्याय प्रज्ञ सागर आदि संतों का नाम सम्मिलित है। वर्तमान काल में लगभग 1200 पिच्छिधारी संत भारत भूमि पर अपनी चर्या और तपस्या में रत है जिनमे सबसे अधिक आयु, ज्ञान एवं दीक्षा काल आचार्य श्री की ही है।हम ऐसे राष्ट्र संत, सिद्धांत चक्रवर्ती, श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के पवन चरणों में नत्मस्त होते हुए सिद्ध, श्रुत, आचार्य भलती पूर्वक नमोस्तु करते हैं।