परम पूज्य शेवत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य परम पूज्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ सानिध्य में बागपत रोड पर नवनिर्मित नगर का नाम मेरठ समाज के लोगो ने पूज्य गुरुदेव के नाम से घोषित कर "वसुनंदी विहार" रखा जिसमे
Friday, April 15, 2011
Friday, April 1, 2011
अभूतपूर्व प्रभावना के साथ संपन्न हुई मुनि दीक्षा
जैन समाज की धरोहर,नव देवताओं में सम्मिलित,परम पूज्य श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम पुनीत सानिध्य में ऐलक श्री ज्ञानानंद जी व ऐलक श्री सर्वानन्द जी महाराज की मुनि दीक्षा परम श्रद्धेय अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के कर कमलों द्वारा दिनांक ०१ अप्रैल २०११ को दिल्ली स्थित ग्रीन पार्क के कमल सिनेमा ग्राउंड में सुबह शुभ मुहूर्त में संपन्न हुई जिसको देखने हजारों श्रद्धालु उपस्थित हुए.सुबह ८ बजे पूज्य आचार्य श्री ससंघ ने विशाल पंडाल में मंगल पदार्पण किया और कार्यक्रम की शुरुवात मंगलाचरण के माध्यम से हुई.दीप प्रज्जवलन और चा.च. आचार्य श्री शांतिसागर जी मुनिराज के चित्र का अनावरण किया गया.कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ. किरण वालिया ने कहा कि "विश्व में पूज्य त्याग है और विश्व में सभी त्याग को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं."पूज्य आचार्य श्री ने प्रवचन देते हुए कहा कि आचार्य शान्तिसागर महाराज के पहले दिगम्बर मुनि के दर्शन करना बेहद कठिन था जिसे चा.च. आचार्य शांतिसागर महाराज ने जीवंत कर जैन समाज में प्राण फूंक दिए.उनकी गौरव मई परंपरा में आज दो ऐलक मुनि दीक्षा ले रहे है जो सब उन्ही की देन है.
दीक्षा ग्रहण करने से पहले दोनों दीक्षार्थियों ने पूज्य आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज को दीक्षा हेतु श्रीफल चढ़ाया तत्पश्चात पूज्य आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के निर्देशानुसार पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ने ऐलक द्वय को कल्याणकारी मुनि दीक्षा के संस्कारों से संस्कारित किया.प्रथम ऐलक श्री ज्ञानानंद जी महाराज कि मुनि दीक्षा संपन्न होने पर उनका नाम मुनि श्री ज्ञानानंद जी मुनिराज घोषित किया और ऐलक श्री सर्वानन्द जी महाराज को मुनि श्री सर्वानन्द जी मुनिराज के नाम से घोषित किया.पूज्य एलाचार्य श्री ने अपने उदबोधन में कहा कि "वैसे तो गुरु के होते हुए शिष्य किसी को दीक्षा दे, ये शोभायमान नहीं है किन्तु गुरु आज्ञा का पालन करना भी शिष्य का ही कर्त्तव्य है.अभी दोनों मुनियों का मौन रहेगा और जब आचार्य श्री आज्ञा देंगे तब शुभ मुहूर्त में दोनों मुनियों कि वाग दीक्षा संपन्न होगी.ये बताते हुए एलाचार्य श्री ने अपनी वाणी को विराम दिया."
पूज्य आचार्य श्री ने कार्यक्रम में पधारी पूज्य आर्यिका श्री विद्याश्री माताजी को भी गणिनी का पद प्रदान कर गणिनी आर्यिका श्री विद्याश्री माताजी बना दिया जिसे देख जैन समाज में अपार हर्ष की लहर दौड़ गयी.इस अवसर पञ्च सौभाग्यवती महिलाओं ने माताजी के पाद प्रक्षालन किया.माताजी ने भी गुरु के प्रति उदगार प्रकट करते हुए कहा कि एक पिता भी इतना वात्सल्य नहीं दे सकते जितना मेरे गुरु आचार्य श्री विद्यानंद जीमुनिराज ने प्रदान किया है.मुझे गुरु ने जो उत्कृष्ट पद के लायक समझा उसकी गरिमा का मै निर्दोष रूप से निर्वाह करुँगी".कार्यक्रम के पश्चात् साधू संघ मंदिर में दर्शन कर आहार चर्या के लिए उठे.
संघस्थ बाल ब्र. आशीष भैया ने बताया कि ३ अप्रैल को यहाँ से गमन कर शकरपुर,अशोक नगर,करावल नगर होते हुए जय शांति सागर निकेतन,मंडोला पहुचेंगे जहाँ भ.अजितनाथ का निर्वान लाडू ८ अप्रैल को पूज्य एलाचार्य श्री के सानिध्य में चढ़ाया जायेगा.अंतिम तीर्थंकर भ.महावीर जन्म कल्याणक १६ अप्रैल को सरधना में पूज्य श्री के सानिध्य में संपन्न होगी तथा २२ अप्रैल को हस्तिनापुर में मंगल प्रवेश होगा जहाँ जिनमन्दिर का शिलान्यास संपन्न होगा.
Subscribe to:
Posts (Atom)
विचार
मुख्य धाराएं
-
Vasunandi_ परम पूज्य राष्ट्र संत श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के सुयोग्य शिष्य परम पूज्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्र...
-
प.पू. श्वेत पिच्छ्चार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज को समर्पित व उन्ही के नाम से प्रकाशित होने वाली ये प्रतियोगिता पिछले 13 वर्षों स...
-
प्रथम तीर्थंकर श्री आदिनाथ जिनबिम्ब एवं मानस्तम्भ पंचकल्याणक प्रतिष्ठा,कलशारोहण एवं विश्व शांति महायज्ञ श्री दिगम्बर जैन मंदिर,रिषभ पूरी ...
-
परम श्रद्धेय श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम प्रिय आज्ञानुवर्ती शिष्य परम पूज्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वस...
-
भ.पार्श्वनाथ का निर्वाण लाडू हर साल की भांति इस साल भी पुरे विश्व के विभिन्न भागों में बहुत ही भक्ति भाव व भव्य आयोजनों से मनाया जा रहा है.इ...
-
शांति,कुन्थु,अर तीर्थंकर की जन्म कल्याणक स्थली, एतिहासिक नगरी हस्तिनापुर में कार्तिक मेले के शुभ अवसर एवं चातुर्मास के निष्ठापन पर परम पूज...
-
"गणिनी" स्त्री पर्याय का सर्वोच्च पद है तथा अर्यिका संघ में आचार्य के सामान है। आर्यिका , क्षुल्लिका दीक्षा देने की अनुमति ग...
आज का प्रवास
गुरु शरण
आपको ये website कैसी लगी?
JOIN VASUNANDI
आचार्य श्री के सभी कार्यक्रमों, विहार,समाचार,प्रवचन आदि की जानकारी के लिए आज ही अपने मोबाइल से whatsapp message भेजे
JOIN VASUNANDI
और SEND करे 9024620835 NUMBER पर
आपको हमेशा के लिए FREE SMS मिलते रहेंगे
JOIN VASUNANDI
और SEND करे 9024620835 NUMBER पर
आपको हमेशा के लिए FREE SMS मिलते रहेंगे
Email us @:- vasunandiji@gmail.com