= नाम,ख्याति एवं मान प्रतिष्ठा के लिए दिया गया दान धर्म के अंतर्गत नहीं आता और न ही वह संसार विच्छेदक होता है.
-एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज
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आप गुरुदेव के प्रति भक्ति और श्रद्धा को ना छुपायें तथा उनके किन विचारों से आप सबसे ज्यादा प्रभावित हैं?
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कविवर गुरुवर मुनिप्रवर, वसुनन्दीजी संत
चरण कमल में आपके नमन अनंतानंत
विद्यानंदजी के शिष्य है,श्रमणों के सरताज
वसुनन्दीजी मम गुरु ,तारण तरण जहाज़
- सोनिया जैन, मथुरा