Saturday, January 28, 2012

कृष्ण नगर में संपन्न हुई चारों अनुयोग वाचना

परम पूज्य राष्ट्र संत श्वेत्पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम प्रभावक, प्रयाग्र शिष्य, स्वाध्याय प्रेमी परम पूज्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ के परम पुनीत पवन सानिध्य में 03 जनवरी से 26 जनवरी तक चारों अनुयोग वाचना श्री दिगम्बर जैन मंदिर में आयोजित हुई.महाधवला (भाग 1) जैसे महा सिद्धान्तिक ग्रन्थ की वाचना सुनने का लाभ मात्र गुरुमुख से ही संभव जो इस वर्ष दिल्ली को पहली बार दिगम्बर संत एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के श्रीमुख से सुनकर लाभान्वित हुए.इस वाचना का विधिवत शुभारम्भ 03 जनवरी को मंगल कलश स्थापना,दीप प्रज्ज्वलन,मंगलाचरण आदि कार्यक्रमों के साथ हुआ और प्रतिदिन प्रातः जिनसहस्रनाम स्तोत्र की कक्षा,तत्पश्चात प्रवचन,द्रव्य संग्रह की कक्षा,दोपहर में महाधवला वाचना, सायं काल में प्रथमानुयोग कथानक जिसमे बेहद सुंदर रूप से पूज्य एलाचार्य श्री द्वारा एक रूपक अलंकारों सहित कथानक का चित्रण सुनाया एवं अंत में बच्चों के लिए कलम पट्टी बुधिका,महिलाओं के लिए तत्वार्थ सूत्र आदि कक्षाएं संघस्थ साधुओं व् त्यागियों द्वारा संपन्न हुई.26 जनवरी को प्रातः महाधवला ग्रन्थ की वाचना का विधिवत समापन किया गया और प्रातः 12 बजे से समारोह का आयोजन हुआ जिसमे मंगलाचरण कर श्रीमती प्रमिला जैन ने अपने मधुर स्वर से सम्पूर्ण वातावरण मंगलमय कर दिया.पूज्य आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज और एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के चित्रों का अनावरण श्री राकेश जैन व श्री पियूष जैन द्वारा किया गया और दीप प्रज्ज्वलन कर ज्ञान ज्योति की स्थापना की.पूज्य एलाचार्य श्री की संघस्थ ब्रह्मचारिणी गरिमा दीदी व लघिमा दीदी ने मंगलगीत प्रस्तुत किया.उपस्थित विद्वानों ने पूज्य श्री संघ को शास्त्र भेंट किये और अतिथि सत्कार स्थानीय समाज द्वारा संपन्न हुआ.सभा में उपस्थित प्रतिष्ठाचार्य पं. श्री मनोज शास्त्र जी एवं पं.श्री पम प्रकश जी ने भी अपने भाव व्यक्त किये.

एलाचार्य श्री की आज्ञानुवर्ती शिष्या संघ नायिका आर्यिका श्री गुरु नंदिनी माताजी ने सभा ओ संबोधित करते हुए कहा कि भक्ति के चार आयाम होते हैं:- समर्पण, निस्वार्थ, श्रद्धा और दृढ़ता जो कृष्ण नगर जैन समाज में देखने को मिली और यदि ऐसी भक्ति बनी रही तो एक दिन आप भी भक्त से भगवन बन सकते हो.एलाचार्य श्री कि आज्ञानुवर्ती शिष्या गणिनी आर्यिका श्री विद्याश्री माताजी ने अपने मंगल प्रवचन में दृष्टान्त देते हुए कहा कि णमोकार महामंत्र सब दुखों को नष्ट करने वाला है और जीवन धरा को मोक्ष तक ले जाने वाला है. 

कार्यक्रम में "की ऑफ़ नोलेज" प्रतियोगिता का भी विमोचन हुआ जिसे भरकर फरवरी अंत तक देना होगा और 7 मार्च को उसका परिणाम घोषणा होगी.अंत में पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ने अपने उद्बोधन में सभा को संबोधन देते हुआ कहा कि इस वाचना का प्रारंभ जिनवानी की गोधी में बोधी से हुआ था और अंत संविधान के साथ हो रहा है.जिसके जीवन में जिनवानी का बोध हो जाता है उसके जीवन में निश्चित ही संविधान का शोध हो जाता है.अपने जीवन में जब तक तुम संविधान को नहीं बनोगे तब तक गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस मानना निष्फल है.जब डॉ. भीम राव आंबेडकर ने महात्मा गाँधी को भारत का नवीन संविधान दिखाया तब महात्मा गाँधी ने यही बोला कि जब तक अपने आप को हम अनुशासित नहीं करेंगे तब तक इस संविधान का कोई लाभ नहीं होगा,और जब हम अपने आप अनुशासित कर लेंगे तब भी इस संविधान कि कोई आवश्यकता नहीं होगी.यहाँ कृष्ण नगर में २३ दिन का प्रवास वास्तव में बहुत ही ज्ञान प्रद रहा और यहाँ इतने सारे स्वाध्याय प्रेमी देखकर मुझे आचार्य हो रहा है कि दिल्ली जैसे प्रान्त में भी जिनवानी के प्रति इतनी जागरूकता है.आप सब इसी प्रकार से जिनवानी कि सेवा करते रहे यहीं हमारी मंगल भावना है और सभी को आशीर्वाद देते हुए पूज्य एलाचार्य श्री ने अपनी बात को विराम दिया.
पूज्य संघ नायिका आर्यिका श्री गुरुनंदिनी माताजी ससंघ का मंगल विहार शकरपुर के लिए हुआ और गणिनी आर्यिका श्री विद्याश्री माताजी ससंघ का मंगल विहार राधेपुरी के लिए हुआ.भोजनोपरांत पुन्हा सभा एकत्रित हुई पूज्य गुरुदेव को कृष्ण नगर से विदाई देने के लिए और सभी ने भीगे नेत्रों से पूज्य गुरुदेव का मंगल विहार कृष्ण नगर से शंकर नगर जैन मंदिर के लिए कराया.

Saturday, January 21, 2012

सुभद्रसागर जी मुनिराज की हुई भद्र परिणामों के साथ समाधि

सुभद्रसागर जी मुनिराज की हुई भद्र परिणामों के साथ समाधि
मंदोला: परम पूज्य आचार्य श्री सुदर्शन सागर जी मुनिराज के परम शिष्य प.पू. मुनि श्री सुभद्र सागर जी मुनिराज की समता पूर्वक भद्र परिणामों सहित २१ जनवरी २०१२ को दोपहर २ बजे समाधि जय शांति सागर निकेतन, मंडोला में हो गई.पूज्य मुनि श्री को बीमारी के चलते दस्त होने लगे और कुछ भी नहीं पच रहा था स्वास्थ्य नम्र होने लगा और जब स्वस्थ पर काबू न पाया गया तब मुनि श्री ने समाधि धारण कर ली.पूज्य श्री का सरल व्यक्तित्व उनकी इस बीमारी की जरा सी भी झलक चेहरे पर नहीं आने देता था.सभी से वात्सल्य भाव से बात करना और सभी को समान रूप से आशीर्वाद देना उनका स्वाभाव था.औषधि का विशेष ज्ञान रखने वाले मुनि श्री लगभग ८० वर्ष की अपनी आयु कर्म को व्यतीत कर उर्ध्व गमन कर गए.मुनि श्री ने पहले ही अपने आप को समाधि के लिए मानसिक रूप से तैयार कर लिया था और पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज से बारह वर्ष की सल्लेखना धारण की थी. पूज्य ऐलक श्री विज्ञानसागर जी महाराज की प्रेरणा से निर्मित जय शांतिसागर निकेतन मंडोला में लम्बे से अपने अंतिम समय को बिताते हुए मुनि श्री ने सभी को मनमुग्ध कर दिया था.मुनि श्री का जन्म हरियाणा में हुआ था और नवल किशोर नाम से जाने जाते थे.आप ही के बड़े पुत्र श्री रवि जैन (गुडगाँव) ने आपका अंतिम संस्कार किया.

Saturday, January 14, 2012

दिल्ली में पंचकल्याणक के बाद बदायूं में होंगे पंचकल्याणक प्रतिष्ठा

दिल्ली में धर्म प्रभावना में तत्पर, प.पू. श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के आज्ञानुवर्ती शिष्य प.पू. अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ के परम पुनीत सानिध्य में महाधवला महाग्रंथ की मंगलकारी वाचना ०३ जनवरी से २६ जनवरी २०१२ तक श्री दिगम्बर जैन मंदिर कृष्णा नगर दिल्ली में चल रही है.पूज्य गुरुदेव एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ अनेकों आयोजन को कराते हुए दिल्ली महानगर में श्रावकों को धर्म ध्यान में तल्लीन करा रहे हैं.२७ जनवरी को दोपहर २ बजे कृष्णा नगर से विहार कर ३१ जनवरी को अतिशय क्षेत्र जय शांतिसागर निकेतन मंडोला में भव्य प्रवेश करेंगे जहाँ ०३ फरवरी से ०८ फरवरी २०१२ तक श्री मज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं विश्व शांति महायज्ञ लगभग २१ साधुओं के सानिध्य में संपन्न होगा.
मंडोला से विहार कर पूज्य गुरुदेव बलराम नगर, इन्द्रापुरी,करावल नगर आदि स्थानों पर होते हुए २४ फरवरी से २९ फरवरी तक श्री आदिनाथ मज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा संपन्न करायेंगे.ये पहली बार होगा जब दिल्ली में ५० वर्षों के इतिहास में प्रथम बार १७ पिच्छिधारी साधुओं का सानिध्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में प्राप्त होगा.२४ व २५ फरवरी को गर्भ कल्याणक, २६ फरवरी को जन्म कल्याणक, २७ फरवरी को दीक्षा कल्याणक, २८ फरवरी को केवलज्ञान कल्याणक और २९ फरवरी को मोक्ष कल्याणक की क्रियाएं संपन्न होंगी.शंकर नगर पंचकल्याणक में पात्रों हेतू ०८ व ०९ जनवरी को बोली द्वारा चयन किया गया जिसमे सौधर्म इन्द्र बनने का सौभाग्य श्री अनिल जैन ‘सिटी किंग’ को प्राप्त हुआ.
पूज्य एलाचार्य श्री के संघस्थ ब्र.आशीष भैया ने बताया कि पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ दिल्ली से फाल्गुन अष्टाह्निका संपन्न कर लगभग २५० कि.मी. विहार कर उत्तर प्रदेश स्थित बदायूं में श्री मज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा ०२ अप्रैल से ०८ अप्रैल २०१२ तक संपन्न कराएँगे.बदायूं से विहार कर शौरिपुर-बटेश्वर,कम्पिलाजी, अहिक्षेत्र आदि तीर्थों कि वंदना करते हुए टूंडला (फिरोजाबाद) पहुचेंगे जहाँ मई माह में टूंडला चौराहा में नवनिर्मित श्री मज्जिनेन्द्र मानस्तंभ की पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव संभावित संपन्न होंगी.

विचार

विचार- "पानी पियो छानकर, वाणी बोलो जानकर "

मुख्य धाराएं

आज का प्रवास

आज का प्रवास 27-02-2016
*परम पूज्य आचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ का मंगल विहार दिल्ली की ओर चल रहा है. 05 मार्च को ग्रीन पार्क में होगा मंगल प्रवेश।
*मुनि श्री नमिसागर जी, ऐलक श्री विज्ञानसागर जी,क्षुल्लक श्री विशंक सागर जी,क्षुल्लक श्री अनंत सागर जी मंडोला,गाज़ियाबाद में विराजमान है।
*मुनि श्री शिवानंद जी, मुनि श्री प्रशमानन्द जी अतिशय क्षेत्र जय शान्तिसागर निकेतन,मंडोला,उ.प्र. में विराजमान है।
*संघ नायिका गणिनी आर्यिका श्री गुरुनंदनी माताजी ससंघ राजाखेड़ा,राज. में विराजमान हैं।
*स्वसंघ प्रवर्तिका आर्यिका श्री सौम्यनंदनी माताजी ससंघ पपौरा,म.प्र. में विराजमान हैं।
*आर्यिका श्री पद्मनंदनी माताजी ससंघ ज्योति नगर, दिल्ली में विराजमान हैं।

गुरु शरण

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आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज से पड़ते हुए गुरुदेव

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