Thursday, December 1, 2011

दिगम्बर संत के सानिध्य में दिसम्बर के आयोजन


परम पूज्य राष्ट्र संत श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम प्रिय व आज्ञानुवर्ती शिष्य परम पूज्य अभिक्षण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्र वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ के परम पुनीत पावन सानिध्य में तीर्थंकर द्वय श्री अरहनाथ जी एवं श्री मल्लिनाथ जी का जन्म कल्याणक महोत्सव बड़े ही धूम धाम एवं भक्ति भाव से नया मंदिर, धर्मपुरा में 05 दिसम्बर को श्री तीर्थंकर जन्म कल्याणक महोत्सव समिति (धर्मपुरा) के आयोजन में आयोजित होगा.प्रातः 08:30 बजे से धर्म सभा के रूप में पूज्य गुरुदेव का मंगल प्रवचन और सभा में उपस्थित अतिथियों के विचार सुनने को मिलेंगे.
इसी नया मंदिर के परिधि में जैन गिर्ल्स स्कूल के सभागार में शुक्रवार 02 दिसम्बर को स्कूल के विद्यार्थियों को संबोधन हेतु प्रातः 08:30 बजे से मंगल प्रवचन होंगे.
परम पूज्य एलाचार्य श्री 06 दिसम्बर को प्रातः 06:30 बजे चांदनी चौक से विहार कर यमुनापार स्थित श्री दिगम्बर जैन मंदिर, शंकर नगर में भव्य प्रवेश होगा और 11 दिसम्बर को गणधर वलय विधान का संगीतमय आयोजन होगा.
13 दिसम्बर को इन्द्रापुरी होते हुए 15 दिसम्बर को जय शांति सागर निकेतन,मंडोला (गाज़ियाबाद) में मंगल प्रवेश होगा जहाँ 18 दिसम्बर को पूज्य एलाचार्य श्री परम शिष्य पूज्य ऐलक श्री विज्ञान सागर जी महाराज का 18 वाँ दीक्षा दिवस मनाया जायेगा और नवीन दो वेदियों का शिलान्यास भी संपन्न होगा.

Friday, November 11, 2011

ऐलक विमुक्त सागर जी बनें मुनि जिनानंद जी

हस्तिनापुर :- परम पूज्य राष्ट्र संत श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य परम पूज्य अभिक्षण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनानंदी जी मुनिराज ससंघ का पिच्छि परिवर्तन तथा ब्र.अमोलक चंद जी की क्षुल्लक दीक्षा का कार्यक्रम ही सिर्फ १० नवम्बर को होना था.प्रातः अभिषेक और गणधरवलय विधान हुआ और आहार चर्या के पश्चात् कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ. सर्वप्रथम मुनि श्री ज्ञानानंद जी व मुनि श्री सर्वानन्द जी की वाग्दिक्षा पूज्य एलाचार्य श्री के कर कमलों द्वारा संपन्न हुई एवं ब्र.अमोलक चंद जी (सरधना निवासी) की पूज्य एलाचार्य श्री द्वारा क्षुल्लक दीक्षा संपन्न हुई और नाम रखा क्षुल्लक श्री सहजानंद जी महाराज.पिच्छि परिवर्तन का कार्यक्रम प्रारंभ हुआ और सबसे छोटे क्षुल्लक श्री सुखानंद जी और फिर क्षुल्लक श्री विशंक सागर जी का पिच्छि परिवर्तन हुआ.अब ऐलक विमुक्त सागर जी का पिच्छि परिवर्तन होना था जिनसे एलाचार्य श्री ने मंच से पूछा कि "मुनि दीक्षा का क्या विचार है?" ऐलक जी ने कहा कि यदि आप मुझे इस योग्य समझते हैं तो मुझे मुनि दीक्षा देकर मेरा सौभाग्य बढाइये". पूज्य एलाचार्य श्री की स्वीकृति हुई और सब उपस्थित जनसमूह तथा मुनि संघ की अनुमति लेकर मुनि दीक्षा प्रारंभ हुई.कार्यक्रम में अचानक ही बदलाव आ गया और पिच्छि परिवर्तन से कार्यक्रम पुनः दीक्षा महोत्सव में बदल गया.
केशलोंच की क्रिया संपन्न हुई और पश्चात् पूज्य एलाचार्य श्री ने मूलगुण संस्कार, मुनि पद पर आरूढ़ किया और नाम रखा मुनि श्री जिनानंद जी मुनिराज.सब लोग आश्चर्य चकित रह गए कि जिनकी दीक्षा कि दूर दूर तक कोई ख़बर नहीं थी उनकी अचानक ही मुनि दीक्षा संपन हुई.
कार्यक्रम अपनी गति से चल रहा था और पूज्य मुनि श्री शिव सागर जी का पिच्छि परिवर्तन हुआ और अंत में पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज का पिच्छि परिवर्तन हुआ.पूज्य एलाचार्य श्री की पुरानी पिच्छि श्री योगेश कुमार जैन 'अरिहंत प्रकाशन' मेरठ वालों को प्राप्त हुई.कार्यक्रम के अंत में आरती कर कार्यक्रम संपन्न हुआ.

Sunday, October 30, 2011

वाग्दीक्षा और क्षुल्लक दीक्षा महोत्सव

शांति,कुन्थु,अर तीर्थंकर की जन्म कल्याणक स्थली, एतिहासिक नगरी हस्तिनापुर में कार्तिक मेले के शुभ अवसर एवं चातुर्मास के निष्ठापन पर परम पूज्य राष्ट्र संत, सिद्धांत चक्रवर्ती श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम प्रिय प्रभावक शिष्य परम पूज्य अभिक्षण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज (ससंघ) का भव्य
पिच्छि परिवर्तन एवं दीक्षा महोत्सव 
गुरूवार दिनांक 10 नवम्बर 2011
प्रातः 10 बजे से 
स्थान: श्री आदिवीर विद्याश्री जैन आश्रम, पाण्डवान रोड, हस्तिनापुर (मेरठ,उ.प्र.)

कार्यक्रम 
9 नवम्बर 
प्रातः 7 बजे सामूहिक पूजन 
दोपहर 2 बजे से संगीत व मेहँदी 
संयम 5 बजे से गोद भराई एवं बिनोली
10 नवम्बर 
प्रातः 7 बजे से गणधर वलय विधान 
प्रातः 10 बजे से दीक्षा संस्कार
मुनिद्वय श्री ज्ञानानंद जी एवं श्री सर्वानन्द जी मुनिराज की वाग्दीक्षा
प्रातः :11 बजे से क्षुल्लक दीक्षा संस्कार विधि 
(सरधना निवासी ब्र.अमोलक चंद जी जैन,नवम प्रतिमा धारी) 
दोपहर 12 बजे से पिच्छि परिवर्तन
दोपहर 01 बजे से चातुर्मास मंगल कलश ड्रा एवं वितरण 

कार्यक्रम के उपरांत भोजन ग्रहण कर अनुग्रहित करें 

आयोजक : श्री आदिवीर विद्याश्री चैरीटेबल ट्रस्ट, हस्तिनापुर 

Thursday, October 13, 2011

चातुर्मास निष्ठापन और पिच्छि परिवर्तन १० नवम्बर को

परम श्रद्धेय श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम प्रिय आज्ञानुवर्ती शिष्य परम पूज्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज का धर्माराधना के साथ हस्तिनापुर में चातुर्मास चल रहा है जिसका निष्ठापन १० नवम्बर को हस्तिनापुर वार्षिक मेला के अवसर पर किया जायेगा.चातुर्मास कलश वितरण और पिच्छि परिवर्तन का कार्यक्रम दोपहर १ बजे से प्रारंभ होगा.सांस्कृतिक कार्यक्रम,अतिथि सम्मान,चातुर्मास कलश ड्रा तथा गुरु मुख से मंगल प्रवचन सुनने का भी लाभ प्राप्त होगा.पूज्य गुरुदेव की पिछिका प्राप्त करने के लिए व्रतों को धारण करना होता है.गुरुदेव की पिच्छि रुपयों की बोली से नहीं अपितु संयम के ग्रहण करने से मिलती है.यदि आप भी संयम ग्रहण करने के इच्छुक हैं तो आज ही हस्तिनापुर में संपर्क कर अपना नाम लिखायें.
पूज्य गणिनी आर्यिका श्री विद्याश्री माताजी एवं आर्यिका श्री विधाश्री माताजी का भव्य पिच्छि परिवर्तन 30 अक्टूबर को शकरपुर में दोपहर 12:30 बजे से संपन्न होगा

Monday, October 3, 2011

मुख्य समाचार


  • आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज का 88वां जन्म दिवस महोत्सव कुन्द्कुद भारती में 22 अप्रैल को सानंद संपन्न 
  • एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ सानिध्य में इन्द्रापुरी पंचकल्याणक प्रतिष्ठा 23-29 अप्रैल को सानंद संपन्न 
  • एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ सानिध्य में जवाहर पार्क लक्ष्मी नगर में 11 अप्रैल को होगा वेदी प्रतिष्ठा का आयोजन 
  • मुनि श्री पुण्य सागर जी का आचार्य पद समारोह २४ अप्रैल को सानंद संपन्न 
  • मुनि श्री पुलक सागर जी के सानिध्य में सूरजमल विहार दिल्ली में वार्षिक रथ यात्रा सानंद संपन्न 
  • आचार्य श्री बाहुबली मुनिराज की द्वितीय पुण्य तिथि 10 मई को, स्मृति दिवस के रूप में 13 मई को होगा शाह ऑडिटोरियम में आयोजन 
  • आचार्य श्री ज्ञानभूषण जी महाराज के कर कमलों द्वारा द्वय क्षुल्लिका दीक्षा कांधला में 29 अप्रैल को होगी संपन्न 

Saturday, September 17, 2011

साधू की सांगत हो तो सार दिखाई देता है


किसी ने सही कहा है-

साथ साधू का तो सार दिखाई देता है
मिटती हुई ज़िन्दगी का अधर दिखाई देता है
दिवाली और दशहरा आते है चले जाते हैं
लेकिन जहाँ साधु हों वहां हर दिन त्यौहार दिखाई देते है

ऐसे ही कुछ दृश्य हस्तिनापुर में स्थित श्री आदिवीर विद्याश्री संस्थान में चल रहे श्रावक साधना एवं धर्म संस्कार शिविर में जिसमे प.पू.श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम प्रिय शिष्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ सानिध्य प्राप्त हुआ.०२ सितम्बर से १२ सितम्बर तक इस शिविर का आयोजन हुआ जिसमे प्रतिदिन पूज्य एलाचार्य श्री का संबोधन शिविरार्थियों को सुनने को मिलता रहा.उत्तम संयम के मंगल प्रवचनों को सुन कई लोगों की सुप्त आत्मा जागृत हो गई.लगभग ४० लोगो ने पूज्य गुरुदेव के श्री चरणों में प्रतिमा धारण करने हेतु निवेदन किया.गुरु पारदर्शी व दूरदृष्टा होते हैं इसलिए उन्होंने योग्य जानकर मुट्ठी भर ही लोगो को प्रतिमा देने का निर्णय किया.शुभ मुहूर्त में पूज्य गुरुदेव ने उत्तम ताप के शुभ अवसर पर प्रतिमा व्रत संस्कार किया.उत्तर प्रदेश,मध्य प्रदेश,हरयाणा,दिल्ली,राजस्थान,पश्चिम बंगाल आदि राज्यों से पधारें लगभग २०० शिविरार्थियों ने इस शिविर में आना सार्थक कर लिया.एक एक कर पूज्य गुरुदेव ने दोपहर में मंत्रोच्चारण एवं विधि पूर्वक संस्कारित किया.प्रतिमा धारण करने का महापुण्य प्राप्त करने वाले लगभग २४ महानुभाव हैं जिन्होंने २ से लेकर ९ प्रतिमा तक के व्रत ग्रहण किये जिनमे ब्र.पदमचंद जी'बरहन' (७ प्रतिमा) व इनकी श्रीमती ने भी (७ प्रतिमा),श्री वीरसेन जैन'दिल्ली' (२ प्रतिमा),श्री राकेश जैन'खतौली' (२ प्रतिमा),श्री सुमन जैन व इनकी श्रीमती मुन्नी जैन 'टूंडला' (२-२ प्रतिमा), श्रीमती मुन्नी जैन 'टूंडला' (५ प्रतिमा),श्री अजित जैन 'मनियां' (२ प्रतिमा),श्री उग्रसेन जैन 'एटा' (२ प्रतिमा), श्रीमती जयंती जैन (२ प्रतिमा), श्रीमती कृष्ण जैन 'म.प्र.' (२ प्रतिमा),श्री उत्तम चाँद जैन व इनकी श्रीमती किरण जैन 'दिल्ली' (६-६ प्रतिमा), श्रीमती सरला जैन (७ प्रतिमा), श्रीमती पुष्प जैन 'दिल्ली' (२ प्रतिमा),श्री पवन जैन (२ प्रतिमा), श्रीमती कांता जैन (६ प्रतिमा) एवं ब्र. अमोलक चाँद जैन 'सरधना' (९ प्रतिमा) के व्रत लिए.इनके साथ साथ श्री प्रमोद जैन 'आगरा', श्री रविन्द्र जैन,श्रीमती अंगूरी जैन,श्रीमती रुकमनी जैन,श्रीमती गीता जैन 'टूंडला', श्रीमती कमलेश जैन, श्रीमती अंजना जैन, श्री अनिल जैन 'फिरोजाबाद', कु.नेहा जैन, श्री अंकित जैन,श्री प्रेमचंद जैन एवं अन्य कई लोगों ने अभ्यास रूप प्रतिमा का पालन करने का नियम लिया.पूज्य गुरुदेव ने उत्तम त्याग के दिन श्री रमेश जैन व उनकी श्रीमती (बीना,म.प्र.) को २-२ प्रतिमा के संस्कार किये.
संस्था के अध्यक्ष बाल ब्र.इंद्रकुमार जी ने बताया कि "ये गुरुवार का २४ वां चातुर्मास चल रहा है और उसमे २४ प्रतिमाधारी श्रावक के संस्कार संपन्न हुए ये बहुत ही आनंद ही बात है." सभी शिविरार्थियो ने अनुमोदन करते पुण्य का अर्जन किया.शिविर के अंत में १२ सितम्बर को क्षमावाणी व होली महोत्सव का आयोजन किया गया. सभी शिविराथियों ने गुलाल लगाकर एक दुसरे के प्रति क्षमा का भाव रखा.

Monday, August 22, 2011

महापर्व पर्यूषण में होगा श्रावक साधना शिविर का आयोजन

दसलक्षण महापर्व वैसे तो वर्ष में तीन बार आते हैं फिर भी भाद्रपद माह के दसलक्षण का महत्व बेहद माननीय है तथा चातुर्मास के दौरान संतों का सानिध्य भी मिल जाये तो सोने पे सुहागा के सामान है. जैन समाज सर्व श्रेष्ठ जैनाचार्य श्वेत पिच्छि धारक श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम प्रभावक,तपस्या शिरोमणि, अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ सानिध्य में ०२ से १२ सितम्बर तक अतिशय क्षेत्र हस्तिनापुर में स्थित श्री आदिवीर विद्याश्री संस्थान के पर्यावरण से सम्पूर्ण वातावरण में आयोजित होगा जिसमे लगभग सम्पूर्ण उत्तर भारत से शिविरार्थियों के आने की सूचना प्राप्त हो रही है.
पूज्य एलाचार्य श्री के संघस्त बाल ब्र. आशीष भैया ने बताया कि इस वर्ष शिविर में केवल ध्यान,भक्ति व संगीतमय पूजा,सामायिक आदि ही नहीं अपितु ज्योतिष, वास्तु, जाप की विशेषताएं आदि के साथ साथ जैन धर्म के सारभूत ग्रन्थ तत्वार्थ सूत्र की भी वचन संपन्न होगी. संस्था के अध्यक्ष बाल ब्र. इन्द्र कुमार जैन 'पोटी भैया' ने बताया के सभी शिविर में पधारे श्रावकों को लेखन सामग्री के साथ साथ धोती दुपट्टा भी प्रदान किया जायेगा.शिविर में आने वाले सभी श्रावकों की साधना हेतु पूर्ण व्यवस्था कार्यकारिणी द्वारा की जाएगी.अध्यक्ष महोदय ने बताया कि इस वर्ष महिलाएं भी शिविर में भाग ले सकतीं है तथा उनकी व्यवस्था भी अलग धर्मशाला में सम्पूर्ण सुविधाओं के साथ की गई है.
इस शिविर के दौरान मुनि श्री शिव सागर जी,मुनि श्री ज्ञानानंद जी,मुनि श्री सर्वानन्द जी,एलक श्री विमुक्त सागरजी,क्षुल्लक श्री विशंक सागरजी एवं क्षुल्लक श्री सुखानंद जी महाराज के भी दर्शन लाभ प्राप्त होंगे.
पूज्य गुरुदेव ने बताया कि घर पर सौ माला जपने का फल मंदिर में एक माला के बराबर है,और मंदिर में सौ माला जपने से अतिशय क्षेत्र पर एक माला जपने के बराबर है.इसीलिए जो मनुष्य अतिशय पुण्य को प्राप्त करना चाहते हैं वे इस शिविर में सम्मिलित होकर अपने भाग्य को उज्जवल बना सकते हैं.यदि वास्तविक शांति का अनुभव और जंगलों जैसा अनुभव प्राप्त करना है तो हस्तिनापुर में आयोजित इस शिविर का आनंद अवश्य लें जिसमे प्राकृतिक सौंदर्य के साथ साथ धार्मिक सौन्दर्य का भी आनंद ले सकतें हैं.

Tuesday, August 9, 2011

ज्योतिष विज्ञान शिविर

 ज्योतिष एक ऐसी विद्या है जिसके माध्यम से जीवन में होने वाले हर उतार चड़ाव को देखा जा सकता है. ज्योतिष का ज्ञान दैनिक चर्या में भी काफी लाभ दायक सिद्ध होता है.ऐसी ही कुछ छोटी बड़ी महत्वपूर्ण बातों को बताने के लिए परम पूज्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के पावन सानिध्य,निर्देशन व शिक्षण में जैन ज्योतिष का ज्ञान कराने के लिए श्री जैन ज्योतिष विज्ञान शिविर का आयोजन १२ अगस्त से १५ अगस्त तक श्री आदिवीर विद्याश्री संस्थान में आयोजित होगा.इस शिविर में चौघडिया,होरा,मुहूर्त निकालना आदि,कुछ छोटी-छोटी बातें बतायीं जाएँगी.

Tuesday, August 2, 2011

भ.पार्श्वनाथ निर्वाण लाडू 05 अगस्त को

भ.पार्श्वनाथ का निर्वाण लाडू हर साल की भांति इस साल भी पुरे विश्व के विभिन्न भागों में बहुत ही भक्ति भाव व भव्य आयोजनों से मनाया जा रहा है.इस अवसर पर सम्पूर्ण देश के विभिन्न प्रान्तों से लाखों श्रद्धालु शाश्वत सिद्ध क्षेत्र सम्मेद शिखरजी में निर्वाण लाडू चडाने हेतू ०५ अगस्त को पर्वतराज की वंदना करेंगे और स्वर्णभद्र कूट पर लाडू समर्पित करेंगे.वैसे तो सम्मेद शिखरजी से और भी १९ तीर्थंकर मोक्ष पधारे लेकिन सबसे अंत में और सबसे ज्यादा उचाई पर विराजित भगवन पार्श्वनाथ की टोंक के कारण इसकी महत्ता और भी अधिक हो जाती है.यहाँ प्रत्येक सावन सुदी सप्तमी को लाखों भक्त अपने भाव व्यक्त करने आते हैं.

सम्मेद शिखरजी के अतिरिक्त देश के विभिन्न राज्यों,नगरों,गाँव,आदि में भी भगवन पार्श्वनाथ निर्वाण लाडू बड़े ही धूम धाम से चदय जाता है.परम पूज्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ के भी पवन सानिध्य में ०५ अगस्त को प्रातः श्रीजी के अभिषेक के पश्चात् कलिकुंड पार्श्वनाथ विघ्न हरता विधान संगीतमय रूप से आयोजित होगा व २३ किलो का प्रथम निर्वाण लाडू भी चढ़ाया जायेगा.
वही दिल्ली में गणिनी आर्यिका श्री विद्याश्री माताजी के ससंघ सानिध्य में भी शकरपुर जैन समाज बेहद भक्ति भाव विभिन्न आयोजनों के साथ निर्वाण लाडू चढ़ाएंगे.आर्यिका श्री श्रुत्देवी सुज्ञानी माताजी के सानिध्य में सूरजमल विहार दिल्ली में भ.पार्श्वनाथ की स्वर्ण भद्र कूट की कृतिम रचना हुई है जिस पर भक्ति भाव से निर्वाण लाडू चढ़ाया जायेगा.
राजस्थान की राजधानी जयपुर में पूज्य आर्यिका श्री गुरुनंदनी माताजी ससंघ के सानिध्य में और उत्तर प्रदेश स्थित अलीगढ में आर्यिका श्री सौम्यनंदनी माताजी ससंघ के सानिध्य में भी भव्य आयोजन संपन्न होंगे.
दिल्ली में चातुर्मासरत एलाचार्य श्री अतिवीर जी मुनिराज के सानिध्य में लघु सम्मेद शिखर की रचना कर निर्वाण लाडू चढ़ाया जायेगा.
आप भी इस दिन भगवन पार्श्वनाथ का अभिषेक, पूजन,विधान, जाप आदि करके अपने पापों का क्षय करें और पुण्यार्जन करें.
भगवन पार्श्वनाथ जैन धर्म के २३ वें तीर्थंकर थे जिनका जन्म वाराणसी में हुआ था.कमठ द्वारा भयंकर उपसर्ग हुआ जिसका निवारण देवी पद्मावती और देव धर्नेंद्र ने किया.अंत में सम्मेद शिखर जी से मोक्ष प्राप्त किया जिसके महत्व से पहाड़ का नाम पारसनाथ हिल पड़ा.आप अपने जीवन में एक बार अवश्य तीर्थराज सम्मेद शिखरजी की यात्रा करें क्यूंकि कहा है-
"भाव सहित वन्दे जो कोई,ताहि नरक पशु गति नहीं होई"

Tuesday, July 26, 2011

49 वां मुनि दीक्षा स्मृति दिवस संपन्न

जैन समाज के ज्येष्ठ व श्रेष्ठ जैनाचार्य, श्वेतपिच्छी धारी श्री विद्यानन्द जी मुनिराज का ४९ वां मुनि दीक्षा स्मृति दिवस भव्य स्तर पर सेकड़ों लोगों के मध्य पूज्य आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के प्रिय शिष्य पूज्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ के परम पावन सानिध्य में २५ जुलाई को संपन्न हुआ.कार्यक्रम का शुभारम्भ मंगलाचरण के साथ हुआ और पूज्य आचार्य श्री की पूजन,चित्र अनावरण और आरती भी की गई.पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ने गुरु चरण में अपने वचनों के माध्यम से विनयांजलि अर्पित करते हुए कहा:-जैन समाज का अहो भाग्य है जिन्हें इस कलयुग में चलते फिरते तीर्थंकर के सामान महँ जैन आचार्य प्राप्त हुए.जिन्हें जैन जैनेत्तर ग्रंथों का चलते फिरते पुस्तकालय कहा जाता है जो आज भी प्रतिदिन श्लोक आदि याद करते हैं,वात्सल्य की छाया प्रत्येक शिष्य व भक्त निरंतर बनी रहती है.मेरा अहो भाग्य है जिसे ऐसे ज्येष्ठ व श्रेष्ठ आचार्य गुरु के रूप में प्राप्त हुए.ऐसे गुरु जिन्होंने मुझे माँ-बाप के सामान अपने पुत्र का स्थान दिया.
आज उन भारत गौरव आचार्य श्री देशभूषण जी मुनिराज के भी श्री चरणों में नमोस्तु वंदन करता हूँ जिन्होंने ऐसे महान परोपकारी शिष्य का निर्माण किया.
मै भगवान से प्राथना करता हूँ की आज हम आचार्य श्री का ४९ वां दीक्षा दिवस ही नही अपितु शताधिक दीक्षा दिवस भी उन्ही के पावन उपस्थिति में मनाएं."
पूज्य आचार्य श्री विद्यानन्द जी मुनिराज की मुनि दीक्षा भारत गौरव पूज्य आचार्य श्री देशभूषण जी मुनिराज के करकमलों द्वारा दिल्ली के ऋषभदेव ग्राउंड(परेड ग्राउंड) चांदनी चौक में २५ जुलाई 1962 को संपन्न हुई थी.पूज्य आचार्य श्री का मुनि दीक्षा काल वर्तमान में १२०० पिच्छि धारियों में सबसे अधिक है.  ऐसे महान पूज्य आचार्य श्री के चरण कमलों में शत शत नमोस्तु करते हुए भगवान से प्रार्थना करते हैं कि आप शताधिक आयु के धारी हों.

Saturday, July 16, 2011

हस्तिनापुर में घनघोर वर्षा के मध्य संपन्न हुई वर्षायोग स्थापना

हस्तिनापुर में घनघोर वर्षा के मध्य संपन्न हुई वर्षायोग स्थापना
जैन समाज के गौरव परम पूज्य श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज का मंगल चातुर्मास स्थापना 14 जुलाई को शाम 4 बजे श्री दिगम्बर जैन मंदिर ग्रीन पार्क दिल्ली में संपन्न हुआ. पूज्य आचार्य श्री की आज्ञानुसार उनके प्रिय शिष्य परम पूज्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज का ससंघ मंगल चातुर्मास त्रय तीर्थंकर की गर्भ,जन्म,तप व ज्ञान कल्याणक भूमि,महामुनि ऋषभ देव की प्रथम आहार स्थली और पांडवो की कर्म भूमि हस्तिनापुर में स्थित श्री आदिवीर विद्याश्री संस्थान में 15 जुलाई गुरुपूर्णिमा के शुभ अवसर पर शाम ३बजे से संपन्न हुई.कार्यक्रम चित्र अनावरण,दीप प्रज्ज्वलन और पाद प्रक्षालन एवं पूजन के साथ प्रारंभ हुआ.पूज्य एलाचार्य श्री ने प्रवचन में अपने भवों को व्यक्त करते हुए कहा कि गुरु पूर्णिमा जीवन को पूर्ण करने के लिए होती है जैसे मेरे जीवन को मेरे गुरु पूज्य आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज ने पूर्ण किया.यदि शब्द को विच्छेद किया जाये तो देखेंगे कि "गुरु-पूरी-माँ" हैं ऐसे मेरे माता पिता मेरे आराध्य पूज्य आचार्य श्री कि कृपा मुझ पर सदैव बनी रहे यही प्रभु परमात्मा से प्रार्थना करता हूँ.
और बताते हुए कहा कि आज इंद्रभूति गौतम को भगवन महावीर गुरु के रूप में मिले थे जिससे आज गुरुपूर्णिमा महापर्व मनाया जाता है.पूज्य एलाचार्य श्री ने चातुर्मास में किसी विपदा,दुर्भिक्ष,किसी संत कि समाधि आदि के लिए 48km कि सीमा रखी है.अंत में भव्य आरती के पश्चात मंगल कलश कि स्थापना कि गई.
चातुर्मास में एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के साथ मुनि श्री शिव सागरजी,मुनि श्री ज्ञानानंद जी,मुनि श्री सर्वानन्द जी,ऐलक श्री विमुक्त सागर जी,क्षुल्लक श्री विशंक सागरजी एवं क्षुल्लक श्री सुखानंद जी मुनिराज का भी चातुर्मास स्थापित हुआ.

Monday, July 11, 2011

वसुनंदी विहार में संपन्न हुआ जिनमन्दिर शिलान्यास समारोह

भक्तों की भक्ति की कोई सीमा नहीं होती, ऐसा साबित किया है मेरठ के निवासी भक्तों ने जहा एक नई कालोनी का नाम बदल कर वसुनंदी विहार कर दिया जिसका अभी निर्माण चल ही रहा है.अप्रैल के महीने में उस कालोनी का भूमि पूजन करके नाम वसुनंदी विहार रखा ही था कि वहां जितनी भी जमीन थी सब हाथो हाथ बिक गई.भक्तो कि श्रद्धा और भक्ति यही सीमित नहीं रही उन्होंने वह एक सुन्दर जिनालय कि स्थापना का भी भाव बनाया तब पूज्य गुरुदेव से चर्चा कि तो संकेत मिला कि श्री १००८ अभिनन्दन नाथ तीर्थंकर का जिनमन्दिर बहुत ही शोभायमान होगा.इतना सुनते ही श्रावकों ने जिनमन्दिर शिलान्यास कि तैयारी प्रारंभ कर दी और १० जुलाई २०११ को भव्य जिनालय कि स्थापना हेतू पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के ससंघ सानिध्य में प्रातः ८ बजे शिलान्यास संपन्न किया.हजारों कि भीड़ में गुरुदेव आसमान में चाँद तारों से घिरे नज़र आ रहे थे.मेरठ समाज को एक नई चेतना प्रदान करने वाले पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज कि उर्जा और शक्ति के साथ साथ सम्पूर्ण आशीर्वाद भारत के समस्त समाज को प्राप्त हो यही हर भक्त की भावना है.

Thursday, June 9, 2011

अतिशय क्षेत्र हस्तिनापुर में होगा प्रभावनामई चातुर्मास

परम पूज्य सिद्धांत चक्रवर्ती श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम प्रिय शिष्य परम पूज्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ का मंगल चातुर्मास इस वर्ष हस्तिनापुर स्थित श्री आदिवीर विद्याश्री संसथान में स्थापित होगा.पूज्य आचार्य श्री ने श्रुत पंचमी के दिन घोषणा व आशीर्वाद देते हुए हस्तिनापुर चातुर्मास का निर्देश दिया.चातुर्मास में साधना हेतु पूज्य एलाचार्य श्री के साथ साथ मुनि श्री शिव सागरजी,मुनि श्री ज्ञानानंद जी मुनिराज,मुनि श्री सर्वानन्द जी मुनिराज,ऐलक श्री विमुक्त सागर जी,क्षुल्लक श्री विशंक सागर जी एवं क्षुल्लक श्री सुखानंद जी महाराज चातुर्मासरत रहेंगे.
पूज्य एलाचार्य श्री दिल्ली में ग्रीन पार्क,शकरपुर,अशोक नगर,करावल नगर होते हुए मंडोला पहुचेंगे जहाँ ऐलक विज्ञानसागर जी के चातुर्मास की घोषणा होगी और फरवरी में होने वाले पंचकल्याणक के पात्रों की घोषणा की जाएगी.यहाँ से विहार कर बरनावा,सरधना,मेरठ आदि नगरों में विहार कर हस्तिनापुर प्रवेश होगा और १४ जुलाई को चातुर्मास स्थापना की जाएगी.

Wednesday, June 1, 2011

श्रुत पंचमी महोत्सव 27 मई 2012

भद्रबाहु स्वामी के समय में बारह वर्ष का महा दुर्भिक्ष पड़ा था और इसी समय से स्मरण शक्ति कमजोर होना प्रारंभ हो गई थी.आचार्य श्री भद्रबाहु स्वामी (४३३ब्क-३५७ब्क) की परंपरा में दो महँ आचार्य हुए-आचार्य धरसेन और आचार्य गुणधर. आचार्य धरसेन गिरनार की गुफाओं में रहा करते थे. अभी तक समस्त ज्ञान स्मरण किया जाता था और इसी प्रकार से सिखाया भी जाता था लेकिन आचार्य धरसेन से देखा कि समर शक्ति कमजोर होने लगी है जिसके चलते ज्ञान का आभाव न हो जायेगा जो कुल मिलाकर धर्म की हानी ही करेगा. तब उन्होंने दो योग्य संतों को दक्षिण भारत से बुलवाया जिनका नाम पुष्पदंत और भूतबली था. आचार्य धरसेन ने उनकी परीक्षा के लिए एक ही मंत्र में एक अक्षर ज्यादा और एक अक्षर कम करके सिद्ध करने को कहा.जब दोने संतों ने 
इस मंत्र का ध्यान किया तो दो देविया प्रकट हुई जिसमे एक देवी 
कानी और एक देवी के दन्त बहार थे.इसे देख दोनों मुनि समझ गए की मन्त्र में अशुद्धि है तब उन दोनों ने उसे शुद्ध कर पुनह उसे सिद्ध किया तब वे देविया अपने सही रूप में उपस्थित हुई.उस सही मन्त्र को लेकर दोनों मुनि आचार्य धरसेन के पास गए जिसे देख कर आचार्य श्री समझ गए की ये दोनों मुनि ही योग्य है जिन्हें श्रुत का ज्ञान कराना उचित होगा.आचार्य धरसेन ने उन्हें समस्त श्रुत का ज्ञान प्रदान किया जिसे दोनों योग्य मुनियों ने ग्रहण कर प्रथम श्रुतखंड की रचना की और नाम दिया "षटखंडागम". इस ग्रन्थ की रचना ज्येष्ठ सुदी पंचमी को अंकलेश्वर में संपन्न हुई जिस दिन को हम श्रुत पंचमी पर्व के रूप में मानते हैं.इस ग्रन्थ का मंगलाचरण णमोकार मंत्र से किया गया है.प्रथम खंड की रचना पुष्पदंत आचार्य ने की शेष रचना भूतबली आचार्य ने पूर्ण की. इसी ग्रन्थ के आधार पर अनेको शास्त्रों की रचना हुई और अनेको प्राचीन आचार्यों ने अपने विचार और अनुभवों को वर्तमान श्रावकों के लिए संजोया जिन्हें आज हम शास्त्रों के रूप में अध्यन करते हैं.तभी से लिखित ज्ञान का प्रारंभ हुआ जो वर्तमान काल में एक प्रबुद्ध व ठोस माध्यम है प्रचार प्रसार एवं कार्य शैली का.

    उपरोक्त कहानी से आप समझ गए होंगे कि जैन शास्त्र की महत्ता क्या है.आप इन शास्त्रों का स्वाध्याय निरंतर करे यदि आप भी कुछ जिनशासन के लिए कुछ करना चाहते हैं.माँ जिनवाणी की जय.

Friday, May 27, 2011

सम्यक्ज्ञान धर्म संस्कार शिविर का आयोजन 27मई से

धर्म के संस्कार वैसे तो हर माँ बाप अपने बछो को देते हैं लेकिन धर्म गुरु के माध्यम से यदि संस्कार प्राप्त हों तो सोने पे सुहागा हो जाता है.परम पूज्य श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य पूज्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ के परम सानिध्य में दिल्ली के यमुनापार स्थित शकरपुर में श्री सम्यक्ज्ञान धर्म संस्कार शिविर का आयोजन किया जा रहा है जिसमे बच्चों के साथ साथ उनके माँ बाप भी सम्मिलित हो रहे हैं.प्रातः ५ बजे से

Wednesday, May 11, 2011

दिल्ली में नूतन जैन लाल मंदिर के हो रहे हैं पंचकल्याणक


परम पूज्य सिद्धांत चक्रवर्ती, श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज की पावन आशीर्वाद व सानिध्य में निर्मित नूतन जैन लाल मंदिर का भव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा उन्ही ससंघ सानिध्य में 09मई से 15मई तक संपन्न हो रहे हैं जिसमे पूज्य आचार्य श्री के साथ साथ एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज, उपाध्याय श्री प्रज्ञसागर जी मुनिराज,मुनि श्री ज्ञानानंद जी मुनिराज,मुनि श्री सर्वानन्द जी मुनिराज एवं

Friday, April 15, 2011

एलाचार्य श्री के सानिध्य में संपन्न हुआ जिन मंदिर शिलान्यास


परम पूज्य शेवत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य परम पूज्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ सानिध्य में बागपत रोड पर नवनिर्मित नगर का नाम मेरठ समाज के लोगो ने पूज्य गुरुदेव के नाम से घोषित कर "वसुनंदी विहार" रखा जिसमे

Friday, April 1, 2011

अभूतपूर्व प्रभावना के साथ संपन्न हुई मुनि दीक्षा


जैन समाज की धरोहर,नव देवताओं में सम्मिलित,परम पूज्य श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम पुनीत सानिध्य में ऐलक श्री ज्ञानानंद जी व ऐलक श्री सर्वानन्द जी महाराज की मुनि दीक्षा परम श्रद्धेय अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के कर कमलों द्वारा दिनांक ०१ अप्रैल २०११ को दिल्ली स्थित ग्रीन पार्क के कमल सिनेमा ग्राउंड में सुबह शुभ मुहूर्त में संपन्न हुई जिसको देखने हजारों श्रद्धालु उपस्थित हुए.सुबह ८ बजे पूज्य आचार्य श्री ससंघ ने विशाल पंडाल में मंगल पदार्पण किया और कार्यक्रम की शुरुवात मंगलाचरण के माध्यम से हुई.दीप प्रज्जवलन और चा.च. आचार्य श्री शांतिसागर जी मुनिराज के चित्र का अनावरण किया गया.कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ. किरण वालिया ने कहा कि "विश्व में पूज्य त्याग है और विश्व में सभी त्याग को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं."पूज्य आचार्य श्री ने प्रवचन देते हुए कहा कि आचार्य शान्तिसागर महाराज के पहले दिगम्बर मुनि के दर्शन करना बेहद कठिन था जिसे चा.च. आचार्य शांतिसागर महाराज ने जीवंत कर जैन समाज में प्राण फूंक दिए.उनकी गौरव मई परंपरा में आज दो ऐलक मुनि दीक्षा ले रहे है जो सब उन्ही की देन है.
दीक्षा ग्रहण करने से पहले दोनों दीक्षार्थियों ने पूज्य आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज को दीक्षा हेतु श्रीफल चढ़ाया तत्पश्चात पूज्य आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के निर्देशानुसार पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ने ऐलक द्वय को कल्याणकारी मुनि दीक्षा के संस्कारों से संस्कारित किया.प्रथम ऐलक श्री ज्ञानानंद जी महाराज कि मुनि दीक्षा संपन्न होने पर उनका नाम मुनि श्री ज्ञानानंद जी मुनिराज घोषित किया और ऐलक श्री सर्वानन्द जी महाराज को मुनि श्री सर्वानन्द जी मुनिराज के नाम से घोषित किया.पूज्य एलाचार्य श्री ने अपने उदबोधन में कहा कि "वैसे तो गुरु के होते हुए शिष्य किसी को दीक्षा दे, ये शोभायमान नहीं है किन्तु गुरु आज्ञा का पालन करना भी शिष्य का ही कर्त्तव्य है.अभी दोनों मुनियों का मौन रहेगा और जब आचार्य श्री आज्ञा देंगे तब शुभ मुहूर्त में दोनों मुनियों कि वाग दीक्षा संपन्न होगी.ये बताते हुए एलाचार्य श्री ने अपनी वाणी को विराम दिया."
पूज्य आचार्य श्री ने कार्यक्रम में पधारी पूज्य आर्यिका श्री विद्याश्री माताजी को भी गणिनी का पद प्रदान कर गणिनी आर्यिका श्री विद्याश्री माताजी बना दिया जिसे देख जैन समाज में अपार हर्ष की लहर दौड़ गयी.इस अवसर पञ्च सौभाग्यवती महिलाओं ने माताजी के पाद प्रक्षालन किया.माताजी ने भी गुरु के प्रति उदगार प्रकट करते हुए कहा कि एक पिता भी इतना वात्सल्य नहीं दे सकते जितना मेरे गुरु आचार्य श्री विद्यानंद जीमुनिराज ने प्रदान किया है.मुझे गुरु ने जो उत्कृष्ट पद के लायक समझा उसकी गरिमा का मै निर्दोष रूप से निर्वाह करुँगी".कार्यक्रम के पश्चात् साधू संघ मंदिर में दर्शन कर आहार चर्या के लिए उठे.
संघस्थ बाल ब्र. आशीष भैया ने बताया कि ३ अप्रैल को यहाँ से गमन कर शकरपुर,अशोक नगर,करावल नगर होते हुए जय शांति सागर निकेतन,मंडोला पहुचेंगे जहाँ भ.अजितनाथ का निर्वान लाडू ८ अप्रैल को पूज्य एलाचार्य श्री के सानिध्य में चढ़ाया जायेगा.अंतिम तीर्थंकर भ.महावीर जन्म कल्याणक १६ अप्रैल को सरधना में पूज्य श्री के सानिध्य में संपन्न होगी तथा २२ अप्रैल को हस्तिनापुर में मंगल प्रवेश होगा जहाँ जिनमन्दिर का शिलान्यास संपन्न होगा.

Tuesday, March 8, 2011

दिल्ली में होंगी भव्य एतिहासिक मुनि दीक्षाएं

दिल्ली ने कई बार सौभाग्य प्राप्त किया है दिगम्बर जैन दीक्षाओं को साक्षात् देखने का लेकिन इस बार दिल्ली की धरा पर प्रथम बार परम पूज्य श्वेतपिछाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के पावन सानिध्य, आज्ञा व निर्देशन में तथा परम पूज्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के परम पावन कर कमलों द्वारा प्रथम बार भव्य  एतिहासिक मुनि दीक्षाएं दिनांक ०१ अप्रैल २०११, शुक्रवार के दिन ग्रीन पार्क की भूमि पर संपन्न होगी.ये पहली बार है जब पूज्य आचार्य श्री व एलाचार्य श्री दोनों प्रथम बार मुनि दीक्षाएं प्रदान करेंगे अपितु दोनों ही संतो ने समाधि के अवसर पर क्षपक को मुनि दीक्षाएं प्रदान की है.०१ अप्रैल २००९ को ही आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज ने अपने प्रिय शिष्य उपध्याय श्री निर्णय सागर जी मुनिराज को एलाचार्य पद प्रदान कर एलाचार्य वसुनंदी बनाया था और अब दो साल बाद आचार्य श्री अपनी शिष्य परंपरा को आगे बढते हुए देखेंगे.जैन शासन में जहाँ एक समय में दिगम्बर मुनियों के दर्शन दुर्लभ हो गए थे वहीँ प्रथमाचार्य श्री शांति सागर जी मुनिराज ने दिगम्बरत्व को जीवंत किया.ऐसी गौरवमई परंपरा में ही आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज और उन्ही के शिष्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के द्वारा भव्य कल्याणकारी जैनेश्वरी मुनि दीक्षाएं प्रदान की जाएँगी.इस अवसर पर आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज और एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के साथ साथ आर्यिका श्री विद्याश्री माताजी,आर्यिका विधाश्री माताजी,आर्यिका सौम्यनंदनी माताजी,ऐलक विज्ञान सागर जी,ऐलक विमुक्त सागर जी,ऐलक ज्ञानानंद जी,ऐलक सर्वानन्द जी, क्षुल्लक विशंक सागर जी,क्षुल्लक ज्ञान सागर जी,क्षुल्लक सुखानंद जी एवं क्षुल्लिका वीरनंदनी माताजी के भी सानिध्य की सम्भावना है.

Sunday, February 6, 2011

संगम विहार में भव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव संपन्न

प.पू. श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के ससंघ पावन सानिध्य में दिल्ली के दक्षिण में बसे संगम विहार में भगवन अजितनाथ दिगम्बर जैन मंदिर के भव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन ०६ मार्च से १३ मार्च २०११ तक आयोजित किया गया जिसमे 06 मार्च को ध्वजारोहण के द्वारा कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया.०७ मार्च को गर्भ कल्याणक की पूर्व क्रिया, ०८ मार्च को गर्भ कल्याणक की उत्तर क्रिया, ०९ मार्च को जन्म कल्याणक की भव्य शोभायात्रा निकली गयी जिसमे बैंड ताशे आदि के साथ सुंदर सुंदर झांकिय भी थी,पन्दुक्षिला पर बालक तीर्थंकर का अभिषेक किया गया,सायं काल में पलना झुलाया गया.१० मार्च को राज्याभिषेक,षट्कर्म व्यवस्था,विवाह आदि क्रियाएं दिखाई गई और पश्चात् वैराग्य मई दृश्य के साथ ताप कल्याणक संपन्न हुआ,संध्या काल में कवी चंद्रसेन की अगवानी में विशाल कवी सम्मलेन संपन्न हुआ.११ मार्च को प्रातः हस्तिनापुर में आहार चर्या संपन्न हुई और दोपहर में केवलज्ञान क्रिया,सूरी मंत्र पूज्य एलाचार्य श्री ने देकर प्रतिमाओ को पूज्य बनाया.तत पश्चात् समवशरण रचना हुई जिसमे गुरुदेव गणधर के रूप में विराजित हुए और मंगल ध्वनि सुनने का लाभ हुआ.१२ मार्च को प्रातः काल मोक्ष कल्याणक की क्रिया संपन्न हुई और १३ मार्च को वेदी में श्री जी विराजमान किये गए.१३ मार्च को ही पूज्य एलाचार्य श्री ने ससंघ सरिता विहार के लिए प्रस्थान किया और रात्रि विश्राम के पश्चात सुबह शकरपुर में भव्य प्रवेश किया.
पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के साथ साथ मुनि श्री शिव सागर जी मुनिराज,ऐलक श्री विमुक्त सागरजी,ऐलक श्री ज्ञानानंद जी,ऐलक श्री सर्वानन्द जी,क्षुल्लक श्री विशंक सागर जी,क्षुल्लक श्री सुखानंद जी आदि संतो के दर्शन लाभ भी प्राप्त हुए.

विचार

विचार- "पानी पियो छानकर, वाणी बोलो जानकर "

मुख्य धाराएं

आज का प्रवास

आज का प्रवास 27-02-2016
*परम पूज्य आचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ का मंगल विहार दिल्ली की ओर चल रहा है. 05 मार्च को ग्रीन पार्क में होगा मंगल प्रवेश।
*मुनि श्री नमिसागर जी, ऐलक श्री विज्ञानसागर जी,क्षुल्लक श्री विशंक सागर जी,क्षुल्लक श्री अनंत सागर जी मंडोला,गाज़ियाबाद में विराजमान है।
*मुनि श्री शिवानंद जी, मुनि श्री प्रशमानन्द जी अतिशय क्षेत्र जय शान्तिसागर निकेतन,मंडोला,उ.प्र. में विराजमान है।
*संघ नायिका गणिनी आर्यिका श्री गुरुनंदनी माताजी ससंघ राजाखेड़ा,राज. में विराजमान हैं।
*स्वसंघ प्रवर्तिका आर्यिका श्री सौम्यनंदनी माताजी ससंघ पपौरा,म.प्र. में विराजमान हैं।
*आर्यिका श्री पद्मनंदनी माताजी ससंघ ज्योति नगर, दिल्ली में विराजमान हैं।

गुरु शरण

गुरु शरण
आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज से पड़ते हुए गुरुदेव

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