हस्तिनापुर में घनघोर वर्षा के मध्य संपन्न हुई वर्षायोग स्थापना
जैन समाज के गौरव परम पूज्य श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज का मंगल चातुर्मास स्थापना 14 जुलाई को शाम 4 बजे श्री दिगम्बर जैन मंदिर ग्रीन पार्क दिल्ली में संपन्न हुआ. पूज्य आचार्य श्री की आज्ञानुसार उनके प्रिय शिष्य परम पूज्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज का ससंघ मंगल चातुर्मास त्रय तीर्थंकर की गर्भ,जन्म,तप व ज्ञान कल्याणक भूमि,महामुनि ऋषभ देव की प्रथम आहार स्थली और पांडवो की कर्म भूमि हस्तिनापुर में स्थित श्री आदिवीर विद्याश्री संस्थान में 15 जुलाई गुरुपूर्णिमा के शुभ अवसर पर शाम ३बजे से संपन्न हुई.कार्यक्रम चित्र अनावरण,दीप प्रज्ज्वलन और पाद प्रक्षालन एवं पूजन के साथ प्रारंभ हुआ.पूज्य एलाचार्य श्री ने प्रवचन में अपने भवों को व्यक्त करते हुए कहा कि गुरु पूर्णिमा जीवन को पूर्ण करने के लिए होती है जैसे मेरे जीवन को मेरे गुरु पूज्य आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज ने पूर्ण किया.यदि शब्द को विच्छेद किया जाये तो देखेंगे कि "गुरु-पूरी-माँ" हैं ऐसे मेरे माता पिता मेरे आराध्य पूज्य आचार्य श्री कि कृपा मुझ पर सदैव बनी रहे यही प्रभु परमात्मा से प्रार्थना करता हूँ.
और बताते हुए कहा कि आज इंद्रभूति गौतम को भगवन महावीर गुरु के रूप में मिले थे जिससे आज गुरुपूर्णिमा महापर्व मनाया जाता है.पूज्य एलाचार्य श्री ने चातुर्मास में किसी विपदा,दुर्भिक्ष,किसी संत कि समाधि आदि के लिए 48km कि सीमा रखी है.अंत में भव्य आरती के पश्चात मंगल कलश कि स्थापना कि गई.
चातुर्मास में एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के साथ मुनि श्री शिव सागरजी,मुनि श्री ज्ञानानंद जी,मुनि श्री सर्वानन्द जी,ऐलक श्री विमुक्त सागर जी,क्षुल्लक श्री विशंक सागरजी एवं क्षुल्लक श्री सुखानंद जी मुनिराज का भी चातुर्मास स्थापित हुआ.