Thursday, March 1, 2012

ऐतिहासिक रूप से संपन्न हुआ शंकर नगर में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा

श्री महावीर दिगम्बर जैन मंदिर, शंकर नगर की जैन समाज लगभग 2 साल से योग्य गुरु की राह देख रहा था जिसके कारण से पंचकल्याणक प्रतिष्ठा संपन्न न हो पा रही थी.06 नवम्बर 2011 को पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज का संघ सहित पदार्पण मात्र 01 सप्ताह के लिए हुआ लेकिन गुरु की चर्या और सरलता को देखते हुए सम्पूर्ण समाज ने उनके सानिध्य में दिल्ली का ऐतिहासिक पंचकल्याणक करवाने की ठान ली.सबकी सहमति और गुरु निर्देश से श्री मज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा 24 फरवरी से 29 फरवरी 2012 तक संपन्न कराना तय हुआ.
समाज के उत्साह और गुरु के सार्थक उपदेशों के माध्यम से पंचकल्याणक की समस्त तैयारियां संपन्न हुई.पंचकल्याणक प्रतिष्ठा हेतु परम पूज्य श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त हुआ और पूज्य एलाचार्य श्री का सानिध्य हेतु अपने सम्पूर्ण संघ लगभग 18 पिच्छि सहित १५ फरवरी को विशाल जनसमूह और शोभा यात्रा के साथ संपन्न हुआ.ये दिल्ली के लगभग 50 सालों के इतिहास में पहली बार था जब इतना विशाल संघ का सानिध्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में प्राप्त हो रहा था.24 फरवरी को झंडारोहण के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ और प्रथम दिन गर्भ कल्याणक की पूर्व क्रियाओं को प्रतिष्ठाचार्य श्री पवन दीवान और प्रतिष्ठाचार्य श्री मनोज शास्त्री के निर्देशन में विधि पूर्वक संपन्न किया.रात्रि में मूल क्रियाओं के साथ साथ माता के सोलह सपने भी दिखाए गए.25 फरवरी को गर्भ कल्याणक का उत्तर रूप दिखाया गया और गर्भ कल्याणक की पूजा संपन्न हुई तथा रात्रि में छप्पन कुमारियों तथा अष्ट कुमारियों द्वारा माता से तत्व सम्बन्धी प्रश्न पूछे गए गए व उनकी सेवा की गई.26 फरवरी रविवार का दिन अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण दिन था.इस दिन अग्यानुवर्ती आर्यिका त्रय गणिनी श्री विद्याश्री,आर्यिका श्री विधाश्री व आर्यिका श्री गुरुनंदनी माताजी का 18वाँ दीक्षा दिवस आयोजित किया गया और गर्भस्थ तीर्थंकर का जन्म संपन्न हुआ.पश्चात सौधर्म इन्द्र की ऐतिहासिक शोभा यात्रा निकली गई जो लगभग 1.5 कि.मी. लम्बी थी जिसमे हाथी, घोड़े, बग्गियाँ, झाकियां, बैंड, पंजाब, हरियाणा, उत्तरांचल, राजस्थान आदि राज्यों के ताशे, आर्मी बैंड आदि अनेकों आकर्षक मनोरंजक सामग्री का समावेश था.विशाल पांडुकशिला पर बालक आदिकुमार का 1008 कलशों से अभिषेक किया गया और ऐतिहासिक रूप से पुष्पक विमान (हेलिकॉप्टर) द्वारा पुश वर्षा कि गई.संध्याकाल में बालक का पलना झुलाया गया और प्रसिद्द गायक प्रसन्न कुमार द्वारा भजन संध्या का आयोजन किया गया.27 फरवरी को प्रातः बाल क्रीडा और नंदा सुनंदा से विवाह की झलकियाँ दिखाई गयी.दोपहर में राजा नाभिराय द्वारा राज्याभिषेक और पश्चात् राजा ऋषभदेव द्वारा षट कर्म उपदेश तथा पुत्री ब्राह्मी सुन्दरी को अंक एवं लिपि ज्ञान देते हुए दिखाया गया.यहाँ भी ऐतिहासिक कार्य संपन्न हुआ क्यूंकि ब्राह्मी और सुंदरी ने विवाह न करने का संकल्प लिया था तो पात्र करते हुए दो बालिकाओं ने अपने जीवन में ही ये नियम पूज्य एल्चार्य श्री से ग्रहण कर लिया.सभा में नीलांजना की मृत्यु देख वैराग्य और पुत्र भरत बाहुबली को पट्ट राज्याभिषेक कर दीक्षा लेने की झलकियाँ दिखाई.जिन व्यक्तियों ने आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत पालन करने का नियन उन्हें ही प्रथम बार पालकी उठाने का सौभाग्य मिला.अंत में पूज्य गुरुदेव द्वारा दीक्षा क्रियाएं संपन्न हुई और महामुनि वृषभनाथ ध्यान में लीं हो गए.सायं काल प्रवचन सभा के बाद जैन भजन सम्राट मधुर कंठ धारी रूपेश जैन नाइट का आयोजन किया गया.28 फरवरी को प्रातः काल महामुनि वृषभ नाथ की आहार चर्या राजा श्रेयांस के यहाँ संपन्न हुई और दोपहर में पंचकल्याणक का मूल कार्य प्रारंभ हुआ जिसमे प्रतिमाओं का अंकन्यास और मंत्रन्यास के साथ साथ पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज द्वारा सूरी मंत्र दिया गया.बस यही पल था जब पत्थर को परमात्मा बनाया गया समस्त क्रियाएं संपन्न होने के पश्चात् समवशरण की रचना हुई जिसमे मुनि, आर्यिका, श्रावक, श्राविका, देव, देवी व पशुओं का समागम हुआ.पूज्य गुरुदेव की गणधर के रूप में दिव्या ध्वनि खीरी व सभी ने अपनी अपनी जिज्ञासा का समाधान भी किया.संध्याकाळ में बाल ब्र.आशीष भैया द्वारा प्रवचन सभा की गई और प्रसिद्ध कवी डॉ.कुमार विश्वास की मुख्यता में विशाल कवि सम्मलेन संपन्न हुआ.प्रातः महीने की अंतिम तारीख 29फरवरी को पंचकल्याणक का अंतिम कल्याणक मोक्ष कल्याणक की क्रयाएँ संपन्न हुई जिसमे कैलाश पर्वत की सुंदर व भव्य रचना की गे जहाँ से केवली रिषभदेव को मोक्ष प्राप्त हुआ.विशाल रथयात्रा के साथ सभी नूतन जिन्बिम्बों को मंदिर लाया गया और वेदी में विधि विधान पूर्वक प्रतिष्ठित किया गया.श्री महावीर दिगम्बर जैन मंदिर शंकर नगर में नवनिर्मित द्वय वेदी पर रत्नमई चौबीसी विराजमान की गई है.
इन सभी आयोजनों की सफलता पूर्वक संपन्न होने के लिए पूज्य राष्ट्रसंत आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज का मंगल आशीर्वाद और पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज कुशल निर्देशन व सानिध्य के साथ साथ समाज के सभी उत्साही बंधुओं को श्री जाता है.यदि ऐसे उत्साही और कर्मठ कार्यकर्ता यदि हर समाज में हो तो हर कार्यक्रम अपने आप में ऐतिहासिक ही होगा.शंकर नगर जैन समाज को हार्दिक शुभकामनाएं

विचार

विचार- "पानी पियो छानकर, वाणी बोलो जानकर "

मुख्य धाराएं

आज का प्रवास

आज का प्रवास 27-02-2016
*परम पूज्य आचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ का मंगल विहार दिल्ली की ओर चल रहा है. 05 मार्च को ग्रीन पार्क में होगा मंगल प्रवेश।
*मुनि श्री नमिसागर जी, ऐलक श्री विज्ञानसागर जी,क्षुल्लक श्री विशंक सागर जी,क्षुल्लक श्री अनंत सागर जी मंडोला,गाज़ियाबाद में विराजमान है।
*मुनि श्री शिवानंद जी, मुनि श्री प्रशमानन्द जी अतिशय क्षेत्र जय शान्तिसागर निकेतन,मंडोला,उ.प्र. में विराजमान है।
*संघ नायिका गणिनी आर्यिका श्री गुरुनंदनी माताजी ससंघ राजाखेड़ा,राज. में विराजमान हैं।
*स्वसंघ प्रवर्तिका आर्यिका श्री सौम्यनंदनी माताजी ससंघ पपौरा,म.प्र. में विराजमान हैं।
*आर्यिका श्री पद्मनंदनी माताजी ससंघ ज्योति नगर, दिल्ली में विराजमान हैं।

गुरु शरण

गुरु शरण
आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज से पड़ते हुए गुरुदेव

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