Monday, December 31, 2012

03 जनवरी को गणिनी पद संस्कार महोत्सव


"गणिनी" स्त्री पर्याय का सर्वोच्च पद है तथा अर्यिका संघ में आचार्य के सामान है। आर्यिका , क्षुल्लिका दीक्षा देने की अनुमति गणिनी को होती है। वह अपने संघ का सञ्चालन गुरु आज्ञा से करती हैं तथा संघ को प्रायश्चित आदि देने की अनुमति होती है। 

ऐसे "गणिनी" पद का संस्कार परम पूज्य श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज ने पूज्य आर्यिका श्री प्रज्ञमति माताजी एवं आर्यिका श्री विद्याश्री माताजी को प्रदान किया था तथा उन्ही के परम शिष्य परम पूज्य दीक्षा सम्राट एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के कर कमलों द्वारा उनकी आज्ञानुवर्ती शिष्या पूज्य आर्यिका श्री गुरुनंदनी माताजी को 03 जनवरी 2013 को "गणिनी पद" से संस्कारित करेंगे।

यह शुभ आयोजन टूंडला नगर में चल रहे पंचकल्याणक के चतुर्थ दिन केवलज्ञान कल्याणक के अवसर व शुभ मुहूर्त में दिया जायेगा। पूज्य आर्यिका श्री गुरु नंदनी माताजी वर्तमान में कुशलता पूर्वक आर्यिका संघ का संचलन कर रही हैं। संघ में आर्यिका श्री ब्रह्मनंदनी माताजी, आर्यिका श्री श्रीनंदनी माताजी, आर्यिका श्री पद्मनन्दनी माताजी एवं क्षुल्लिका श्री वीर नंदनी माताजी के साथ साथ 10 ब्रह्मचारिणी बहनें हैं।

Tuesday, December 18, 2012

फिर आना फिरोजाबाद, भक्त करें पुकार

चातुर्मास 2012 फिरोजाबाद में 13 नवम्बर को सानंद संपन्न हुआ लेकिन पूज्य गुरुदेव का मंगल प्रवास फिरोजाबाद की परिधि में ही होना था।18 नवम्बर को पिच्छि परिवर्तन संपन्न होने के बाद पूज्य गुरुदेव ससंघ  विभव नगर पहुचे जहाँ 19-23 नवम्बर तक इन्द्रध्वज महामंडल विधान का आयोजन हुआ और 28-30 नवम्बर तक चंद्रप्रभु मंदिर में त्रय वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव भरपूर भक्ति भाव के साथ आयोजित किया गया। 28 को ध्वज रोहन,29 को याग मण्डल विधान और 30 को हवन व वेदी में श्री जी विराजमान किये गए। 03-5 दिसम्बर तक छदामी लाल जैन मंदिर स्थित श्री बाहुबली भगवन व मानस्तंभ शुद्धि लघु पंचकल्याणक प्रतिष्ठा पूज्य गुरुदेव के पवन सानिध्य में संपन्न हुई। 06 दिसम्बर को आचार्य विद्यानंद लाइब्रेरी का विमोचन व वेदी प्रतिष्ठा का आयोजन जैन कटरा में संपन्न हुआ। 7 दिसम्बर को सायं काल शौरिपुर के लिए विहार किया जहाँ 09 दिसम्बर को बटेश्वर में पूज्य गुरुदेव द्वारा रचित श्री अजितनाथ विधान का

Monday, December 17, 2012

चातुर्मास 2012 संपन्न हुआ

परम पूज्य सिद्धांत चक्रवर्ती, श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम प्रिय, परम प्रभावक, आज्ञानुवर्ती शिष्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज का 14 वर्ष बाद फिरोजाबाद की धरती पर दूसरा चातुर्मास स्थापित हुआ और ऐसे समय बीता जैसे हाथ से रेत फिसल जाती है। गुरु वाणी और दिनचर्या में समय का पता ही नहीं चला, ऐसा मानना है फिरोजाबाद के भक्तों का। 03 जुलाई 2012 को चातुर्मास स्थापित हुआ और प्रातः प्रवचन और दोपहर में समयसार वाचना तथा सायं धार्मिक कथानक के साथ दिनचर्या चलने लगी।धीरे धीरे गुरु संगती का असर भक्तों पर दिखने लगा और स्वाध्याय के प्रति रूचि बढ़ने लगी। कक्षाएं भी लगने लगी जिसमे रत्नकरंड श्रावकाचार,सत्य सागर,नाम माला, धरम परीक्षा, वरांग चरित्र, रयण सार, रत्नमाला, ज्ञानान्कुश, लघु द्रव्य संग्रह, यति प्रतिक्रमण, आदि अनेकों शास्त्रों का अध्यन गुरु मुख से हुआ। शास्त्र वाचन के साथ साथ प्रभु भक्ति का भी भरपूर आनंद लिया गया जिसमे सिद्धचक्र विधान, इन्द्रध्वज विधान, सहस्रनाम व्रत उद्यापन विधान, 10 दिवसीय दैनिक विधान, शांति विधान, आदि विधान संपन्न हुए। सांय कालीन कथानक सुनने तो फिरोजाबाद

विचार

विचार- "पानी पियो छानकर, वाणी बोलो जानकर "

मुख्य धाराएं

आज का प्रवास

आज का प्रवास 27-02-2016
*परम पूज्य आचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ का मंगल विहार दिल्ली की ओर चल रहा है. 05 मार्च को ग्रीन पार्क में होगा मंगल प्रवेश।
*मुनि श्री नमिसागर जी, ऐलक श्री विज्ञानसागर जी,क्षुल्लक श्री विशंक सागर जी,क्षुल्लक श्री अनंत सागर जी मंडोला,गाज़ियाबाद में विराजमान है।
*मुनि श्री शिवानंद जी, मुनि श्री प्रशमानन्द जी अतिशय क्षेत्र जय शान्तिसागर निकेतन,मंडोला,उ.प्र. में विराजमान है।
*संघ नायिका गणिनी आर्यिका श्री गुरुनंदनी माताजी ससंघ राजाखेड़ा,राज. में विराजमान हैं।
*स्वसंघ प्रवर्तिका आर्यिका श्री सौम्यनंदनी माताजी ससंघ पपौरा,म.प्र. में विराजमान हैं।
*आर्यिका श्री पद्मनंदनी माताजी ससंघ ज्योति नगर, दिल्ली में विराजमान हैं।

गुरु शरण

गुरु शरण
आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज से पड़ते हुए गुरुदेव

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