Wednesday, December 22, 2010

क्षुल्लिका दीक्षा संपन्न

प.पू. श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के साधू परिवार में एक और पिच्छी धारी संत का पदार्पण हुआ जब प.पू. अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी,जैन संत एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के पावन कर कमलों द्वारा ब्र.रजनी दीदी (विजया बाई),सागर,म.प्र. की क्षुल्लिका दीक्षा १३ दिसम्बर को संपन्न हुई.ब्र.रजनी दीदी ने पूज्य आचार्य श्री विद्या सागर जी मुनिराज से आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत धारण किया और पूज्य एलाचार्य श्री से सात प्रतिमा के व्रत लेकर लगभग १५ साल से धर्म ध्यान में अग्रसर थी.लगभग १० साल से मात्र एक बार भोजन आदि ग्रहण क्र एकासन करती थी.इस साल बोलखेडा चातुर्मास में पूज्य एलाचार्य श्री से दीक्षा हेतु प्रार्थना की जिसे गुरुदेव ने समय आने पर विचारेंगे कह कर टाल दिया, लेकिन ब्र.रजनी दीदी की तीव्र इच्छा निरंतर होने से पूज्य गुरुदेव ने राजाखेड़ा पंचकल्याणक के दौरान जन्म कल्याणक के शुभ मुहूर्त प्र उन्हें सात से ग्यारह प्रतिमा प्रदान कर क्षुल्लिका वीरनंदिनी नाम से सुसज्जित किया.विशाल जन समूह की उपस्थिति में पूज्य गुरुदेव ने क्षुल्लिका वीर नंदिनी माताजी के दीक्षा संस्कार किये और स्वसंघ प्रवर्तिका पूज्य आर्यिका श्री गुरुनंदिनी माताजी के संघ में प्रवेश दिया.
ब्र. राजिनी दीदी की पुत्री भी पूज्य एलाचार्य श्री से दीक्षित आर्यिका श्री सौम्यनंदिनी माताजी के रूप में विद्यमान है और ब्र.राजिनी दीदी के पिताजी भी मुनि श्री अतिवीर सागर जी मुनिराज के रूप में समाधी को प्राप्त हुए.ऐसे महा सौभाग्यशाली परिवार में जन्मी ब्र. राजिनी  दीदी अब क्षुल्लिका श्री वीरनंदिनी माताजी के नाम से जनि जाएँगी.

Tuesday, December 7, 2010

भव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव 10 - 16 दिसम्बर

परम पूज्य राष्ट्र संत, श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम प्रिय लघुनंदन परम पूज्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ के पवन सानिध्य में राजाखेड़ा,धौलपुर(राजस्थान) में भव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव 10 से 16 दिसम्बर 2010 तक सम्पूर्ण समाज के उत्साह के साथ संपन्न होने जा रहा है जिसमे 10दिसम्बर को झंडारोहण व् उदघाटन 11दिसम्बर को गर्भ कल्याणक पूर्व रूप, 12दिसम्बर को गर्भ कल्याणक उत्तर रूप, 13दिसम्बर जन्म कल्याणक व् भव्य शोभा यात्रा, 14दिसम्बर तप कल्याणक , 15दिसम्बर ज्ञान कल्याणक एवं 16दिसम्बर मोक्ष कल्यानक की क्रियाएं संपन्न होंगी.इस पंचकल्याणक में एल्चार्य श्री के साथ साथ उनके 09 पिच्छीधारी शिष्यों की भी उपस्तिथि प्राप्त हो रही है जिसमे मुनि श्री शिव सागर जी महाराज और आर्यिका श्री गुरुनंदनी माताजी ससंघ का विशेष सानिध्य प्राप्त हुआ है.
                   इस पंचकल्याणक स्थल राजाखेड़ा की एक विशेषता यह भी है कि इसी धरा पर पूज्य गुरुदेव एलाचार्य श्री ने 17 जून 1988 को आचार्य श्री सुमति सागर जी महाराज से दो प्रतिमा के व्रत भ. बाहुबली पंचकल्याणक में लिए थे और आज वो ही यहाँ पर पंचकल्याणक करा रहे है.इसी राजाखेड़ा की धरा पर चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शांति सागर जी मुनिराज पर चिद्दी ब्रह्मण ने उपसर्ग भी किया था.
                   आप सब भी इस राजाखेड़ा की पावन धरा पर सपरिवार व इष्ट मित्रों सहित सादर आमंत्रित हैं और एतिहासिक पंचकल्याणक में शामिल हो धर्म के सागर में डुबकी अवश्य लगायें.

Wednesday, November 24, 2010

पिच्छि परिवर्तन संपन्न

परम श्रद्धेय अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ का भव्य स्तर पर पिच्छि परिवर्तन सानंद 12 नवम्बर को संपन्न हुआ पूज्य गुरुदेव की पुराणी पिच्छि आजीवन  ब्रह्मचर्य व्रत लेने वाले बाल ब्र. पंकज जैन,पुणे को प्राप्त हुई.इस अवसर पर हजारो की संख्या में पधारे जन समुदाय ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई.शाम 04 बजे ही पूज्य श्री ने ससंघ कामां के लिए विहार कर सबको अचंभित कर दिया क्योंकि इसका पहले से कोई संकेत नहीं मिला था.

Wednesday, November 3, 2010

समाधी

प.पू. आचार्य श्री देशभूषण जी महाराज की लघु शिष्य पूज्य क्षुल्लिका श्री राजमती माताजी की समाधी अक्टूबर माह में चातुर्मास के दौरान आर्यिका श्री शांतमति माताजी के सानिध्य में संपन्न हुई. समाधी के अंत में आर्यिका श्री नंगमती माताजी , आर्यिका श्री वीरमति माताजी आदि संतो व ब्रह्मचारिणी, ब्रह्मचारी त्यागियो का समागम भी हुआ.

तिजारा अतिशय क्षेत्र में चातुर्मासरत  मुनि श्री सत्य सागर जी मुनिराज की भी समाधी अक्टूबर माह आचार्य श्री शांति सागर जी 'पोरसा वाले' महाराज के सानिध्य में संपन्न हुई.

Thursday, September 30, 2010

22वां दीक्षा दिवस 10अक्टूबर को मनाया गया

परम श्रद्धेय सिद्धांत चक्रवर्ती,श्वेत्पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के लघुनंदन परम पूज्य प्रातः स्मरणीय, अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज का 22वां दीक्षा दिवस बड़े ही उत्साह व धूम धाम के साथ 10 अक्टूबर 2010 (10.10.10) को प्रातः 10:10 बजे से पूज्य श्री की चातुर्मास स्थली अतिशय क्षेत्र श्री जम्बूस्वामी जी (तपोस्थली),बोलखेडा, कामां जिला भरतपुर(राज.) में मनाया गया जिसमें देश भर से भक्तों का आगमन हुआ .इस अवसर पर एलाचार्य श्री द्वारा सम्पादित व रचित 22 शास्त्रों का विमोचन,चित्र अनावरण,मंगलाचरण,सांस्कृतिक कार्यक्रम,भजन, प्राचार्य श्री नरेन्द्र प्रकाश जैन का मुख रूप से वक्तव्य हुआ तथा संघस्थ संतो की विनयांजलि अर्पित की व पूज्य गुरुदेव के मंगलमय कल्याणकारी प्रवचन सुनने का लाभ भी प्राप्त सभी भक्तो को हुआ.अंत में रजत दीपकों से आरती व अतिथि सत्कार(प्रीति भोज) के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ .कार्यक्रम का प्रसारण "जिनवाणी चैनल" व "परस चैनल" पर किया गया.

Tuesday, August 24, 2010

वर्णी दीक्षा संपन्न

अतिशय क्षेत्र श्री जम्बूस्वामी जी(तपोस्थली) के इतिहास में ये पहली बार था जब परम पूज्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के कर कमलों से भव्य रूप से "वर्णी दीक्षा" 22 अगस्त को संपन्न हुई.तीव्र भावनाओं को देखते हुए पूज्य गुरुदेव ने ब्र.हुकुम चंद जी'दरोगा' (मेरठ)..................
शेष समाचार पृष्ठ पर

Friday, August 13, 2010

क्षुल्लिका मोक्षनंदनी माताजी की हुई समाधी

राजाखेड़ा निवासी सप्तम प्रतिमा धारी ब्रह्मचारिणी छोटी बाई जी का जब स्वास्थ ख़राब हुआ तब उनके परिवार के लोग प.पू. एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के पास दर्शन हेतु ले आये.तब उन्होंने सल्लेखना ग्रहण करने का निवेदन किया तो एलाचार्य श्री ने स्वास्थ और अंग ज्ञान से जानकर उन्हें 12 अगस्त को यम सल्लेखना................
शेष....... समाचार पृष्ठ पर 

Tuesday, August 3, 2010

श्वेत पिच्छाचार्य बने आचार्य विद्यानंद जी

परम पूज्य सिद्धांत चक्रवर्ती, राष्ट्र संत जैसी महान उपाधियों से विभूषित आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के नाम के साथ एक और ऐतिहासिक नाम जुड़ गया है.इतिहास के २००० वर्ष में ये पहली बार है जब आचार्य उमास्वामीजी मुनिराज के अलावा आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज ने हरे मयूर पंख के अतिरिक्त कोई और पंख की पिच्छी धारण की है.२४ जुलाई के दिन जब चातुर्मास स्थापना के अवसर पर पूज्य आचार्य श्री के एक अमेरिकन भक्त ने ये श्वेत मयूर पंख की पिच्छी प्रदान की तब समस्त जैन समाज में हलचल मच गई.उपस्थित जनसमूह ने पूज्य आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज को "श्वेत पिच्छाचार्य" की उपाधि से विभूषित किया.वैसे भी आचार्य श्री के नाम अनेकों  ऐतिहासिक कार्य अंकित हैं लेकिन इस कार्य से तो उनका नाम हजारों वर्षों तक इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों से अंकित हो गया.

Tuesday, January 5, 2010

विचार विमर्श

= स्वाध्याय के लिए शास्त्रों का सामने होना आवश्यक नहीं,स्वाध्याय तो प्रकृति के किसी भी पदार्थ का आश्रय लेकर किया जा सकता है यदि दृष्टि समीचीन है तो.
= नाम,ख्याति एवं मान प्रतिष्ठा के लिए दिया गया दान धर्म के अंतर्गत नहीं आता और न ही वह संसार विच्छेदक होता है.
-एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज

अपने विचार हमें बताएं
अब आप अपने विचारो को अपने पास ना रखें,अब उन विचारों को हमें बताएं.
आप गुरुदेव के प्रति भक्ति और श्रद्धा को ना छुपायें तथा उनके किन विचारों से आप सबसे ज्यादा प्रभावित हैं?
हमें email करें vasunandiji@yahoo.com पर. तो देर ना करें और आज ही अपने विचारों को हमे बताएं


कविवर गुरुवर मुनिप्रवर, वसुनन्दीजी संत 
चरण कमल में आपके नमन अनंतानंत 
विद्यानंदजी के शिष्य है,श्रमणों के सरताज 
वसुनन्दीजी मम गुरु ,तारण तरण जहाज़ 
                                               
 - सोनिया जैन, मथुरा 

विचार

विचार- "पानी पियो छानकर, वाणी बोलो जानकर "

मुख्य धाराएं

आज का प्रवास

आज का प्रवास 27-02-2016
*परम पूज्य आचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ का मंगल विहार दिल्ली की ओर चल रहा है. 05 मार्च को ग्रीन पार्क में होगा मंगल प्रवेश।
*मुनि श्री नमिसागर जी, ऐलक श्री विज्ञानसागर जी,क्षुल्लक श्री विशंक सागर जी,क्षुल्लक श्री अनंत सागर जी मंडोला,गाज़ियाबाद में विराजमान है।
*मुनि श्री शिवानंद जी, मुनि श्री प्रशमानन्द जी अतिशय क्षेत्र जय शान्तिसागर निकेतन,मंडोला,उ.प्र. में विराजमान है।
*संघ नायिका गणिनी आर्यिका श्री गुरुनंदनी माताजी ससंघ राजाखेड़ा,राज. में विराजमान हैं।
*स्वसंघ प्रवर्तिका आर्यिका श्री सौम्यनंदनी माताजी ससंघ पपौरा,म.प्र. में विराजमान हैं।
*आर्यिका श्री पद्मनंदनी माताजी ससंघ ज्योति नगर, दिल्ली में विराजमान हैं।

गुरु शरण

गुरु शरण
आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज से पड़ते हुए गुरुदेव

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