Sunday, May 27, 2012

25वां रजत चातुर्मास फिरोजाबाद में

परम पूज्य, परम श्रद्धेय श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के आज्ञानुवर्ती शिष्य परम पूज्य लोह पुरुष एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ का 25 वां रजत चातुर्मास 2012 सुहाग नगरी फिरोजाबाद (उ.प्र.) में होना निश्चित हुआ है.पूज्य गुरदेव की चातुर्मास स्थापना आयोजन पूर्वक 03 जुलाई को जैन नगर, श्री दिगम्बर जैन छदामी लाल मंदिर में संपन्न होगी.यहाँ भगवन बाहुबली की उत्तर भारत की सबसे ऊँची प्रतिमा विराजमान है जिनके चरण शरण में चातुर्मास संपन्न होगा.चातुर्मास में परम पूज्य एलाचार्य श्री के साथ साथ मुनि श्री ज्ञानानंद जी मुनिराज, मुनि श्री सर्वानन्द जी मुनिराज, मुनि श्री जिनानंद जी मुनिराज, क्षुल्लक श्री विशंक सागर जी एवं क्षुल्लक श्री सुखानंद जी महाराज के पावन दर्शन प्राप्त होंगे.पूज्य एलाचार्य श्री का यह 25 वां रजत चातुर्मास 13 वर्ष बाद पुन्हः फिरोजाबाद में होने जा रहा है जिसके लिए सभी श्रावकों एवं गुरु भक्तों ने पलक बिछाए इंतज़ार किया.पूज्य गुरुदेव के 10 चातुर्मास मध्य प्रदेश में,

Friday, May 11, 2012

आर्यिका बनीं श्रीमती मंजू जैन


"दिन रात मेरे स्वामी,मैं भावना ये भाऊ
देहांत के समय में तुमको न भूल जाऊ" 
ये पंक्तियाँ हम लोग प्रतिदिन पढ़ते हैं फिर भी समाधि पूर्वक मरण का सौभाग्य सभी को प्राप्त नहीं होता.कुछ  बेहद पुण्यशाली जीव होते हैं जिनकी संतों-गुरुओं के सानिध्य व निर्देशन में समाधि संपन्न होती है. ऐसी ही एक   महान पुण्यशाली जीव शकरपुर निवासी श्रीमती मंजू जैन धर्मपत्नी श्री वीरेन्द्र जैन (वाडमेर वाले) की अस्वस्थता के चलते हस्पताल में इलाज चल रहा था और जब अंत में डॉक्टरों ने उम्मीद छोड़ दी तब पूज्य गुरुदेव एलाचार्य श्री ने उनकी उम्मीद जगाई.श्री वीरेन्द्र जैन ने सभी परिवार के साथ पूज्य श्री से समाधि पूर्वक मरण कराने का निवेदन किया.पूज्य श्री ने श्रीमती मंजू जैन की भावना को देखते हुए उन्हें निर्यापकाचार्य के रूप में समाधि कराने  की स्वीकृति प्रदान की.दिनांक 09 मई को रात्रि 07:30 बजे श्रीमती मंजू जैन को शकरपुर लाया गया और पूज्य श्री ने संबोधन देते हुए सात प्रतिमा के व्रत प्रदान किये और नाम रखा ब्र.ब्राह्मी दीदी.पूज्य श्री द्वारा सीमंधर स्वामी का ध्यान,भ.आदिनाथ और भ.महावीर स्वामी का ध्यान, तीर्थों का ध्यान, आदि कराते हुए उनके चित्त और चेतना को जागरूक रखा. क्षपक ब्र.ब्राह्मी दीदी ने रात्रि 11:30 बजे दीक्षा हेतु श्रीफल चढ़ाया तब पूज्य गुरुदेव ने उनकी क्षमता और भावना को देखते हुए क्षुल्लिका दीक्षा के संस्कार 12:15 बजे समाज और परिवार की स्वीकृति पूर्वक किये और नाम रखा क्षुल्लिका श्री सर्वज्ञनंदिनी माताजी.पिच्छि, कमंडल, शास्त्र, जाप माला, वस्त्र, पात्र आदि भेंट किये.माताजी ने भी जरुक अवस्था पूर्वक सबको आशीर्वाद प्रदान किया.सबसे क्षमा मांगते हुए अपने चित को जाप में लगाये रखा.प्रातः काल 8 बजे आहार चर्या के पश्चात् पूज्य माताजी ने आर्यिका दीक्षा हेतु प्रार्थना की तब पूज्य गुरुदेव ने परिस्थिति और भावना को देखते हुए उनके 9 बजे आर्यिका दीक्षा के संस्कार करते हुए आर्यिका श्री सिद्धनंदिनी माताजी नाम से पुकारा.माताजी निरंतर स्वसंघ प्रवर्तिका आर्यिका श्री गुरुनंदिनी माताजी ससंघ के वचनों को सुन रही थी.शाम 05:47 बजे अंतिम सांस ली और समता पूर्वक शरीर को  त्याग दिया.सब ओर खबर फ़ैल गई और हजारों की संख्या में श्रावक जन उपस्थित हो गए तथा यमुना बैंक मेट्रो स्टेशन के निकट उनके पार्थिव शारीर को अग्नि को समर्पित कर दिया.उपस्थित जन समूह ने गोला चढाते हुए पूज्य माताजी के शारीर के अंतिम दर्शन प्राप्त किये.अग्नि संस्कार सायं 7 बजे किया गया.
ऐसी जागरूक समाधि परम पूज्य राष्ट्र संत, श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के आशीर्वाद,परम पूज्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के निर्देशन एवं स्वसंघ प्रवर्तिका आर्यिका श्री गुरु नंदिनी माताजी के सानिध्य में संपन्न हुई.समाधि के चलते माताजी को ८ संतों का सानिध्य ओर दर्शन प्राप्त हुआ.

Sunday, May 6, 2012

चौदह वर्षों बाद संपन्न हुआ पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव



भारत की राजधानी दिल्ली से सटे इन्द्रापुरी (लोनी, गाज़ियाबाद) में श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर लगभग चौदह वर्ष से निर्माणाधीन था परन्तु धनाभाव के चलते मंदिर का कार्य संपन्न नहीं हो पा रहा था. मंदिर वास्तु के अनुसार काफी दोष से परिपूर्ण था जिसे देखने पर परम पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ने उसका उपाय बताया और मात्र तीन महीनों में ही पंचकल्याणक संपन्न हो गया.

परम पूज्य श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम प्रभावक, लोह पुरुष एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ के परम पुनीत,मंगलकारी सानिध्य में २३ अप्रैल से २९ अप्रैल तक श्री आदिनाथ जिन्बिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा सानंद संपन्न हुई.जहाँ स्थानीय समाज के मात्र १५ परिवार थे वहीं पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में प्रतिदिन सेकड़ों की संख्या में लोगो का टाटा लगा रहता था. २३ अप्रैल को ध्वजारोहण के साथ प्रतिष्ठा का शुभारम्भ हुआ ओए क्रमशः गर्भ कल्याणक (पूर्व व उत्तर), जन्म कल्याणक, तप कल्याणक, ज्ञान कल्याणक और मोक्ष कल्याणक की क्रियाएं संपन्न हुई.

प्रतिष्ठा में माता पिता बनने का सौभाग्य श्रीमती सविता जैन एवं श्री राजेंद्र जैन 'साड़ी वाले' को प्राप्त हुआ.प्रतिष्ठा के समस्त कार्यक्रम युवा प्रतिष्ठाचार्य पं. श्री मनोज शास्त्री 'रोहिणी' व सह-प्रतिष्ठाचार्य पं.श्री संजय शास्त्री 'नजफगढ़' के निर्देशन में सम्पूर्ण हुआ.

बहती नदी के सामान पूज्य गुरुदेव का विहार श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, करावल नगर के लिए हुआ.यहाँ 06 मई को शिव विहार (करावल नगर) में  संत भवन का शिलान्यास किया जायेगा और 11 मई को जवाहर पार्क, लक्ष्मी नगर में वेदी प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपन्न होगा.संघस्थ बाल ब्र. शुभाशीष भैया ने बताया कि पूज्य एलाचार्य श्री ११ मई को ही दिल्ली से प्रस्थान कर जायेंगे और जेवर, जुरेहरा,कामां, डिंग, बोलखेडा, आगरा होते हुए टूंडला पहुचेंगे जहाँ जून माह में मानस्तंभ के भव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा कि सम्भावना है.

विचार

विचार- "पानी पियो छानकर, वाणी बोलो जानकर "

मुख्य धाराएं

आज का प्रवास

आज का प्रवास 27-02-2016
*परम पूज्य आचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ का मंगल विहार दिल्ली की ओर चल रहा है. 05 मार्च को ग्रीन पार्क में होगा मंगल प्रवेश।
*मुनि श्री नमिसागर जी, ऐलक श्री विज्ञानसागर जी,क्षुल्लक श्री विशंक सागर जी,क्षुल्लक श्री अनंत सागर जी मंडोला,गाज़ियाबाद में विराजमान है।
*मुनि श्री शिवानंद जी, मुनि श्री प्रशमानन्द जी अतिशय क्षेत्र जय शान्तिसागर निकेतन,मंडोला,उ.प्र. में विराजमान है।
*संघ नायिका गणिनी आर्यिका श्री गुरुनंदनी माताजी ससंघ राजाखेड़ा,राज. में विराजमान हैं।
*स्वसंघ प्रवर्तिका आर्यिका श्री सौम्यनंदनी माताजी ससंघ पपौरा,म.प्र. में विराजमान हैं।
*आर्यिका श्री पद्मनंदनी माताजी ससंघ ज्योति नगर, दिल्ली में विराजमान हैं।

गुरु शरण

गुरु शरण
आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज से पड़ते हुए गुरुदेव

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