Tuesday, July 26, 2011

49 वां मुनि दीक्षा स्मृति दिवस संपन्न

जैन समाज के ज्येष्ठ व श्रेष्ठ जैनाचार्य, श्वेतपिच्छी धारी श्री विद्यानन्द जी मुनिराज का ४९ वां मुनि दीक्षा स्मृति दिवस भव्य स्तर पर सेकड़ों लोगों के मध्य पूज्य आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के प्रिय शिष्य पूज्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ के परम पावन सानिध्य में २५ जुलाई को संपन्न हुआ.कार्यक्रम का शुभारम्भ मंगलाचरण के साथ हुआ और पूज्य आचार्य श्री की पूजन,चित्र अनावरण और आरती भी की गई.पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ने गुरु चरण में अपने वचनों के माध्यम से विनयांजलि अर्पित करते हुए कहा:-जैन समाज का अहो भाग्य है जिन्हें इस कलयुग में चलते फिरते तीर्थंकर के सामान महँ जैन आचार्य प्राप्त हुए.जिन्हें जैन जैनेत्तर ग्रंथों का चलते फिरते पुस्तकालय कहा जाता है जो आज भी प्रतिदिन श्लोक आदि याद करते हैं,वात्सल्य की छाया प्रत्येक शिष्य व भक्त निरंतर बनी रहती है.मेरा अहो भाग्य है जिसे ऐसे ज्येष्ठ व श्रेष्ठ आचार्य गुरु के रूप में प्राप्त हुए.ऐसे गुरु जिन्होंने मुझे माँ-बाप के सामान अपने पुत्र का स्थान दिया.
आज उन भारत गौरव आचार्य श्री देशभूषण जी मुनिराज के भी श्री चरणों में नमोस्तु वंदन करता हूँ जिन्होंने ऐसे महान परोपकारी शिष्य का निर्माण किया.
मै भगवान से प्राथना करता हूँ की आज हम आचार्य श्री का ४९ वां दीक्षा दिवस ही नही अपितु शताधिक दीक्षा दिवस भी उन्ही के पावन उपस्थिति में मनाएं."
पूज्य आचार्य श्री विद्यानन्द जी मुनिराज की मुनि दीक्षा भारत गौरव पूज्य आचार्य श्री देशभूषण जी मुनिराज के करकमलों द्वारा दिल्ली के ऋषभदेव ग्राउंड(परेड ग्राउंड) चांदनी चौक में २५ जुलाई 1962 को संपन्न हुई थी.पूज्य आचार्य श्री का मुनि दीक्षा काल वर्तमान में १२०० पिच्छि धारियों में सबसे अधिक है.  ऐसे महान पूज्य आचार्य श्री के चरण कमलों में शत शत नमोस्तु करते हुए भगवान से प्रार्थना करते हैं कि आप शताधिक आयु के धारी हों.

Saturday, July 16, 2011

हस्तिनापुर में घनघोर वर्षा के मध्य संपन्न हुई वर्षायोग स्थापना

हस्तिनापुर में घनघोर वर्षा के मध्य संपन्न हुई वर्षायोग स्थापना
जैन समाज के गौरव परम पूज्य श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज का मंगल चातुर्मास स्थापना 14 जुलाई को शाम 4 बजे श्री दिगम्बर जैन मंदिर ग्रीन पार्क दिल्ली में संपन्न हुआ. पूज्य आचार्य श्री की आज्ञानुसार उनके प्रिय शिष्य परम पूज्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज का ससंघ मंगल चातुर्मास त्रय तीर्थंकर की गर्भ,जन्म,तप व ज्ञान कल्याणक भूमि,महामुनि ऋषभ देव की प्रथम आहार स्थली और पांडवो की कर्म भूमि हस्तिनापुर में स्थित श्री आदिवीर विद्याश्री संस्थान में 15 जुलाई गुरुपूर्णिमा के शुभ अवसर पर शाम ३बजे से संपन्न हुई.कार्यक्रम चित्र अनावरण,दीप प्रज्ज्वलन और पाद प्रक्षालन एवं पूजन के साथ प्रारंभ हुआ.पूज्य एलाचार्य श्री ने प्रवचन में अपने भवों को व्यक्त करते हुए कहा कि गुरु पूर्णिमा जीवन को पूर्ण करने के लिए होती है जैसे मेरे जीवन को मेरे गुरु पूज्य आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज ने पूर्ण किया.यदि शब्द को विच्छेद किया जाये तो देखेंगे कि "गुरु-पूरी-माँ" हैं ऐसे मेरे माता पिता मेरे आराध्य पूज्य आचार्य श्री कि कृपा मुझ पर सदैव बनी रहे यही प्रभु परमात्मा से प्रार्थना करता हूँ.
और बताते हुए कहा कि आज इंद्रभूति गौतम को भगवन महावीर गुरु के रूप में मिले थे जिससे आज गुरुपूर्णिमा महापर्व मनाया जाता है.पूज्य एलाचार्य श्री ने चातुर्मास में किसी विपदा,दुर्भिक्ष,किसी संत कि समाधि आदि के लिए 48km कि सीमा रखी है.अंत में भव्य आरती के पश्चात मंगल कलश कि स्थापना कि गई.
चातुर्मास में एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के साथ मुनि श्री शिव सागरजी,मुनि श्री ज्ञानानंद जी,मुनि श्री सर्वानन्द जी,ऐलक श्री विमुक्त सागर जी,क्षुल्लक श्री विशंक सागरजी एवं क्षुल्लक श्री सुखानंद जी मुनिराज का भी चातुर्मास स्थापित हुआ.

Monday, July 11, 2011

वसुनंदी विहार में संपन्न हुआ जिनमन्दिर शिलान्यास समारोह

भक्तों की भक्ति की कोई सीमा नहीं होती, ऐसा साबित किया है मेरठ के निवासी भक्तों ने जहा एक नई कालोनी का नाम बदल कर वसुनंदी विहार कर दिया जिसका अभी निर्माण चल ही रहा है.अप्रैल के महीने में उस कालोनी का भूमि पूजन करके नाम वसुनंदी विहार रखा ही था कि वहां जितनी भी जमीन थी सब हाथो हाथ बिक गई.भक्तो कि श्रद्धा और भक्ति यही सीमित नहीं रही उन्होंने वह एक सुन्दर जिनालय कि स्थापना का भी भाव बनाया तब पूज्य गुरुदेव से चर्चा कि तो संकेत मिला कि श्री १००८ अभिनन्दन नाथ तीर्थंकर का जिनमन्दिर बहुत ही शोभायमान होगा.इतना सुनते ही श्रावकों ने जिनमन्दिर शिलान्यास कि तैयारी प्रारंभ कर दी और १० जुलाई २०११ को भव्य जिनालय कि स्थापना हेतू पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के ससंघ सानिध्य में प्रातः ८ बजे शिलान्यास संपन्न किया.हजारों कि भीड़ में गुरुदेव आसमान में चाँद तारों से घिरे नज़र आ रहे थे.मेरठ समाज को एक नई चेतना प्रदान करने वाले पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज कि उर्जा और शक्ति के साथ साथ सम्पूर्ण आशीर्वाद भारत के समस्त समाज को प्राप्त हो यही हर भक्त की भावना है.

विचार

विचार- "पानी पियो छानकर, वाणी बोलो जानकर "

मुख्य धाराएं

आज का प्रवास

आज का प्रवास 27-02-2016
*परम पूज्य आचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ का मंगल विहार दिल्ली की ओर चल रहा है. 05 मार्च को ग्रीन पार्क में होगा मंगल प्रवेश।
*मुनि श्री नमिसागर जी, ऐलक श्री विज्ञानसागर जी,क्षुल्लक श्री विशंक सागर जी,क्षुल्लक श्री अनंत सागर जी मंडोला,गाज़ियाबाद में विराजमान है।
*मुनि श्री शिवानंद जी, मुनि श्री प्रशमानन्द जी अतिशय क्षेत्र जय शान्तिसागर निकेतन,मंडोला,उ.प्र. में विराजमान है।
*संघ नायिका गणिनी आर्यिका श्री गुरुनंदनी माताजी ससंघ राजाखेड़ा,राज. में विराजमान हैं।
*स्वसंघ प्रवर्तिका आर्यिका श्री सौम्यनंदनी माताजी ससंघ पपौरा,म.प्र. में विराजमान हैं।
*आर्यिका श्री पद्मनंदनी माताजी ससंघ ज्योति नगर, दिल्ली में विराजमान हैं।

गुरु शरण

गुरु शरण
आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज से पड़ते हुए गुरुदेव

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