Monday, December 31, 2012

03 जनवरी को गणिनी पद संस्कार महोत्सव


"गणिनी" स्त्री पर्याय का सर्वोच्च पद है तथा अर्यिका संघ में आचार्य के सामान है। आर्यिका , क्षुल्लिका दीक्षा देने की अनुमति गणिनी को होती है। वह अपने संघ का सञ्चालन गुरु आज्ञा से करती हैं तथा संघ को प्रायश्चित आदि देने की अनुमति होती है। 

ऐसे "गणिनी" पद का संस्कार परम पूज्य श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज ने पूज्य आर्यिका श्री प्रज्ञमति माताजी एवं आर्यिका श्री विद्याश्री माताजी को प्रदान किया था तथा उन्ही के परम शिष्य परम पूज्य दीक्षा सम्राट एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के कर कमलों द्वारा उनकी आज्ञानुवर्ती शिष्या पूज्य आर्यिका श्री गुरुनंदनी माताजी को 03 जनवरी 2013 को "गणिनी पद" से संस्कारित करेंगे।

यह शुभ आयोजन टूंडला नगर में चल रहे पंचकल्याणक के चतुर्थ दिन केवलज्ञान कल्याणक के अवसर व शुभ मुहूर्त में दिया जायेगा। पूज्य आर्यिका श्री गुरु नंदनी माताजी वर्तमान में कुशलता पूर्वक आर्यिका संघ का संचलन कर रही हैं। संघ में आर्यिका श्री ब्रह्मनंदनी माताजी, आर्यिका श्री श्रीनंदनी माताजी, आर्यिका श्री पद्मनन्दनी माताजी एवं क्षुल्लिका श्री वीर नंदनी माताजी के साथ साथ 10 ब्रह्मचारिणी बहनें हैं।

Tuesday, December 18, 2012

फिर आना फिरोजाबाद, भक्त करें पुकार

चातुर्मास 2012 फिरोजाबाद में 13 नवम्बर को सानंद संपन्न हुआ लेकिन पूज्य गुरुदेव का मंगल प्रवास फिरोजाबाद की परिधि में ही होना था।18 नवम्बर को पिच्छि परिवर्तन संपन्न होने के बाद पूज्य गुरुदेव ससंघ  विभव नगर पहुचे जहाँ 19-23 नवम्बर तक इन्द्रध्वज महामंडल विधान का आयोजन हुआ और 28-30 नवम्बर तक चंद्रप्रभु मंदिर में त्रय वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव भरपूर भक्ति भाव के साथ आयोजित किया गया। 28 को ध्वज रोहन,29 को याग मण्डल विधान और 30 को हवन व वेदी में श्री जी विराजमान किये गए। 03-5 दिसम्बर तक छदामी लाल जैन मंदिर स्थित श्री बाहुबली भगवन व मानस्तंभ शुद्धि लघु पंचकल्याणक प्रतिष्ठा पूज्य गुरुदेव के पवन सानिध्य में संपन्न हुई। 06 दिसम्बर को आचार्य विद्यानंद लाइब्रेरी का विमोचन व वेदी प्रतिष्ठा का आयोजन जैन कटरा में संपन्न हुआ। 7 दिसम्बर को सायं काल शौरिपुर के लिए विहार किया जहाँ 09 दिसम्बर को बटेश्वर में पूज्य गुरुदेव द्वारा रचित श्री अजितनाथ विधान का

Monday, December 17, 2012

चातुर्मास 2012 संपन्न हुआ

परम पूज्य सिद्धांत चक्रवर्ती, श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम प्रिय, परम प्रभावक, आज्ञानुवर्ती शिष्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज का 14 वर्ष बाद फिरोजाबाद की धरती पर दूसरा चातुर्मास स्थापित हुआ और ऐसे समय बीता जैसे हाथ से रेत फिसल जाती है। गुरु वाणी और दिनचर्या में समय का पता ही नहीं चला, ऐसा मानना है फिरोजाबाद के भक्तों का। 03 जुलाई 2012 को चातुर्मास स्थापित हुआ और प्रातः प्रवचन और दोपहर में समयसार वाचना तथा सायं धार्मिक कथानक के साथ दिनचर्या चलने लगी।धीरे धीरे गुरु संगती का असर भक्तों पर दिखने लगा और स्वाध्याय के प्रति रूचि बढ़ने लगी। कक्षाएं भी लगने लगी जिसमे रत्नकरंड श्रावकाचार,सत्य सागर,नाम माला, धरम परीक्षा, वरांग चरित्र, रयण सार, रत्नमाला, ज्ञानान्कुश, लघु द्रव्य संग्रह, यति प्रतिक्रमण, आदि अनेकों शास्त्रों का अध्यन गुरु मुख से हुआ। शास्त्र वाचन के साथ साथ प्रभु भक्ति का भी भरपूर आनंद लिया गया जिसमे सिद्धचक्र विधान, इन्द्रध्वज विधान, सहस्रनाम व्रत उद्यापन विधान, 10 दिवसीय दैनिक विधान, शांति विधान, आदि विधान संपन्न हुए। सांय कालीन कथानक सुनने तो फिरोजाबाद

Monday, November 26, 2012

Friday, November 23, 2012

पिच्छि परिवर्तन समारोह संपन्न

परम पूज्य श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य परम पूज्य दीक्षा सम्राट एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ का मंगलकारी चातुर्मास 2012 फिरोजाबाद में सानंद संपन्न हुआ। चातुर्मास का अंतिम कार्यक्रम पिच्छि परिवर्तन समारोह भी बेहद आनंदमय रूप से संपन्न हुआ और प्रायः सभी पुरानी पिच्छि फिरोजाबाद निवासियों को ही प्राप्त हुई। पूज्य गुरुदेव की पुरानी पिच्छि नूतन प्रतिमा व्रत ग्रहण करने के अवसर पर श्री प्रवीन जैन 'यूको बैंक' वालों को प्राप्त हुई जिसमे उन्होंने तो 2 प्रतिमा के व्रत लिए ही अपितु उनकी धर्म पत्नी और छोटी पुत्री ने भी 2-2 प्रतिमा के व्रत धारण किये। इनके अलावा

Friday, November 16, 2012

पिच्छिका परिवर्तन

परम पूज्य श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य परम पूज्य लोह पुरुष, दीक्षा सम्राट एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ का भव्य पिच्छिका परिवर्तन समारोह 18 नवम्बर 2012 को श्री महावीर मंदिर, छदामी लाल जैन ट्रस्ट (फिरोजाबाद) में संपन्न होगा।सेकड़ों भक्तों ने पुराणी पिच्छि लेने हेतु लगाई है संयम धारण करने की बोली।अब 18 नवम्बर को ही पता चलेगा की कौन है वो सौभाग्यशाली  पूज्य  की पुराणी पिच्छि का हक़दार होगा। आप भी इस आयोजन की अनुमोदना अपने परिवार व इष्ट मित्रों सहित सादर आमत्रित हैं।
पूज्य गुरुदेव एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ सानिध्य में 03 दिसम्बर से 05 दिसम्बर 2012 तक श्री मज्जिनेन्द्र लघु पंचकल्याणक महोत्सव का आयोजन श्री महावीर मंदिर, छदामी लाल जैन ट्रस्ट (फिरोजाबाद) में होगा वहीं 30 दिसम्बर 2012 से 04 जनवरी 2013 तक श्री दिगम्बर जैन मंदिर, टूंडला में श्री मज्जिनेन्द्र मानस्थम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा का आयोजन होगा। विहार कर पूज्य गुरुदेव ससंघ बरेली के निकट बदायूं में 18 जनवरी से 23 जनवरी 2013 तक नूतन जिनमन्दिर के श्री मज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा संपन्न होगी।

Tuesday, November 13, 2012

भगवन महावीर स्वामी का सन्देश, जियो और जीने दो



Loss Of Crackers:-



Wastage of Money
Harming to Nature
Noise Pollution
Air Pollution
Killing of tiny living beings
harming to heart patients
Harming to New Born Babies
Wastage of Paper used in Crackers
Wastage of Time
Promotion to Non Violence activities
Against Green Earth Activity
Against religious Activities
Harmful to Children
Can cause to major accident
AND MANY MORE harms.........


SAY NO TO CRACKERS.................

भगवान महावीर स्वामी के मोक्ष कल्याणक दिव्य ज्योति महोत्सव के उपलक्ष्य पर आप सब को
हार्दिक शुभ कामनाएं 
पटाखे नहीं, अन्दर के बैर को जलाएं 
-जन हित में जारी 

Monday, November 12, 2012

Happy Diwali

भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण महोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं


May Your Home Glow with Peace & Prosperisty Always - Happy Diwal

शुभ दीपावली



























12 नवम्बर को चातुर्मास निष्ठापन
13 नवम्बर को भगवन महावीर निर्वाण महोत्सव
14 नवम्बर को नैष्ठिक श्राविका दीक्षा संस्कार महोत्सव तथा 
18 नवम्बर को पिच्छिका परिवर्तन महोत्सव का आयोजन 
परम पूज्य गुरुदेव एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के सानिध्य में संपन्न होगा।

Saturday, November 3, 2012

नैष्ठिक श्राविका दीक्षा महोत्सव

फिरोजाबाद में 28 अक्टूबर को प.पू. एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज से 1146 श्रावकों ने एक साथ श्रावक के व्रत लेकर इतिहास रचा और अब 1143 महिलाओं को श्राविका दीक्षा संस्कार कर एक नए ऐतिहासिक कार्य की ओर कदम बढाएं जा रहे हैं. 14 नवम्बर को उसी स्थान और उसी मंच से एक बार फिर समवशरण में गुरुदेव के द्वारा नैष्ठिक श्राविका दीक्षा संस्कार महोत्सव आयोजित हो रहा है. धर्म कार्यों में हर पल महिलाएं अग्रसर रहती हैं लेकिन जब सिर्फ श्रवल दीक्षा संपन्न हुई तो महिलाओं ने बी व्रत लेने की जिज्ञासा प्रगट की और भावनाओं को देखते हुए पूज्य गुरुदेव ने स्वीकृति प्रदान की व 14 नवम्बर को कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा. 13 नवम्बर को चातुर्मास निष्ठापन समारोह व 14 नवम्बर को नैष्ठिक श्राविका दीक्षा संस्कार महोत्सव संपन्न होगा. 18 नवम्बर को प.पू.दीक्षा सम्राट एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ का पिच्छि परिवर्तन समारोह श्री महावीर मंदिर, छदामी लाल ट्रस्ट, फिरोजाबाद में संपन्न होगा.
विहार कर पूज्य गुरुदेव ससंघ शौरिपुर, शिकोहाबाद पुन्हः फिरोजाबाद होते हुए टूंडला पहुचेंगे जहाँ 30 दिसम्बर से 04 जनवरी 2013 तक श्री मज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव व विश्व शांति महायज्ञ का आयोजन होगा जिसमे पूज्य गुरुदेव सहित 11 पिच्छिधारी साधू साध्वियों का सानिध्य प्राप्त होगा. 18 जनवरी से 23 जनवरी तक श्री दिगम्बर जैन मंदिर बदायूं में श्री मज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा संपन्न होगी.

Monday, October 29, 2012

"दीक्षा सम्राट" की उपाधि से सम्मानित





जैन धर्म त्याग प्रधान धर्म है जिसमे श्रद्धा और शक्ति को पूर्वक त्याग सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।जैन संस्कार से बना जाता है, शारीरिक जन्म से नहीं. पौराणिक समय में जब बालक 8 वर्ष की आयु को प्राप्त करता था तब उसके श्रावक संस्कार किया जाता था लेकिन धीरे धीरे ये प्रथा समाप्त होती गई. जैन केवल नाम के रह गए है और काम के कम इसीलिए परम पूज्य राष्ट्र संत श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य लोह पुरुष परम पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के द्वारा सेकड़ों वर्षों के इतिहास में प्रथम बार जैन बनाने की प्रक्रिया को रूप देते हुए 28 अक्टूबर को सुहाग नगरी फिरोजाबाद में सहस्राधिक श्रावकों को एक साथ एक ही मंच से नैष्ठिक श्रावक बनाने की महत्वपूर्ण क्रिया को पूर्ण किया.ये इतिहास में पहली बार है जब एक ही मंच से, एक ही स्थान के 1146 जैन अजें लोगों को जैन श्रावक के संस्कारों से संस्कारित कर उन्हें अगमानुसार जैन घोषित किया.सभी इच्छुक दीक्षार्थी श्वेत वस्त्रों में उपस्थित हुए तथा

नैष्ठिक श्रावक दीक्षा संस्कार महोत्सव की झलकियाँ


 
 
 
 
  

Saturday, October 20, 2012

नैष्ठिक श्रावक दीक्षा संस्कार महोत्सव


परम पूज्य श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज 
के परम प्रभावक शिष्य 
परम पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज 
के कर कमलों द्वारा 
1146 श्रावकों की होगी 

"नैष्ठिक श्रावक दीक्षा संस्कार

महोत्सव"

28 अक्टूबर 2012 दिन रविवार 
स्थान:- श्री महावीर मंदिर, छदामी लाल जैन ट्रस्ट (फिरोजाबाद)

Friday, October 12, 2012

हजारों भक्तों की उपस्थिति में प्रारंभ हुआ रजत वर्ष

परम पूज्य श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य परम पूज्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के दीक्षा काल के 24 वर्ष संपन्न होने और 25 वें वर्ष में पदार्पण करने पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन श्री महावीर मंदिर, छदामी लाल जैन ट्रस्ट , फिरोजाबाद में चातुर्मास कमिटी द्वारा किया गया था। गुरु के संयम दिवस को स्मृति रूप मनाने के लिए देश के कोने कोने से लोगों का आगमन हुआ और अपनी भाव भीनी विनयांजलि प्रस्तुत की, कार्यक्रम के दौरान बालक बालिकाओं ने बेहद सुंदर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत जिसे उपस्थित जन समूह ने पूर्ण रूप से सराहा। सर्वप्रथम चित्र अनावरण, दीप प्रज्ज्वलन व मंगलाचरण से धर्म सभा प्रारंभ हुई और गुरु चरण प्रक्षालन, शास्त्र भेंट और आरती से कार्यक्रम संपन्न हुआ। कार्यक्रम के मध्य विद्वानों एवं समाज सेवियों के वक्तव्य बेहद सराहनीय रहे तथा चाद्रसेन कवी के द्वारा मंच सञ्चालन से सभी हर्षित हुए। प्रसिद्द कलाकार पवन शर्मा के द्वारा प्रस्तुत वैराग्य वर्धक नाटिका "देशभूषण कुलभूषण" ने सभी के आँखों को नम कर दिया।
इस अवसर पर विशिष्ट भक्तों को भी स्वर्ण प्रशस्ति से तथा विशेष भक्तों का रजत प्रशस्ति से सम्मानित किया गया था। कार्यक्रम के पश्चात सभी आगंतुकों को भोजन करा चातुर्मास कमिटी ने अपना अहो भाग्य समझा।
दिल्ली स्थित धर्म जाग्रति संसथान, दिल्ली प्रदेश द्वारा उत्तर भारत की सबसे विशाल भगवन बहुबली की तथा पूज्य गुरुदेव की 2500 दीपकों व आकर्षक थालों से महा आरती की जिसको देखते ही बनता था।
रात्रि कालीन सभा में पवन शर्मा द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम संपन्न हुए।

Thursday, October 4, 2012

Tuesday, October 2, 2012

नैष्ठिक श्रावक दीक्षा संस्कार महोत्सव

फिरोजाबाद के इतिहास में पहली बार जैन विधि के अनुसार श्रावक बनाने की प्रक्रिया को मंत्रोच्चार पूर्वक परम पूज्य श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य परम पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के कर कमलों द्वारा 1146 विधि पूर्वक शास्त्रानुसार श्रावक दीक्षा संस्कार किये जायेंगे.ये आयोजन 28 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे से श्री छदामी लाल जैन ट्रस्ट के अंतर्गत श्री महावीर मंदिर के विशाल प्रांगन में किया जायेगा.
इस कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए निशुल्क फॉर्म भरे जा रहे है जो मात्र दो दिन में 400 की संख्या पार कर गया है.श्रावक संस्कार सिर्फ 1146 बंधुओं के ही किये जायेंगे इसलिए पहले आओ पहले पो के अधर पर चयन होगा.
पूज्य एलाचार्य श्री से पूछने पर पता चला कि इस संस्कार महोत्सव में अष्ट मूलगुण (मध्य-मांस-मधु का त्याग तथा बड,पीपर,उमर,कठूमर,पाकर-पञ्च उदंबर फल त्याग) और सप्त व्यसन त्याग कराया जायेगा जो श्रावकों के जन्म से ही होता है लेकिन उनके विधिवत संस्कार न होने से वे मान्य नहीं होते.वैसे तो ये आठ वर्ष के बालक के संस्कार होते है लेकिन ये पद्धति लुप्त होने से सभी वर्ग के श्रावकों को सम्मिलित किया जायेगा.
आयोजकों ने बताया कि सभी श्रावकों को स्वनाम की प्रशस्ति पत्र,स्फटिक मणि जाप माला,शास्त्र,गुरु हस्तों से संस्कार आदि प्राप्त होंगे.कार्यक्रम का प्रसारण समस्त जैन चैनलों पर भी होगा.

Wednesday, August 29, 2012

शनि अमावस्या 15 सितम्बर 2012 शनिवार को

आशीर्वाद:- परम पूज्य लोह पुरुष एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज
प्रेरणा व सानिध्य:- पूज्य ऐलक श्री विज्ञानं सागर जी महाराज 
शनिग्रह अरिष्ट निवारक, 20वे तीर्थंकर श्री 1008 मुनिसुव्रतनाथ की सवा 5 फुट उत्तुंग अतिशयकारी जिन प्रतिमा के सम्मुख जाप, हवन, पूजा कीजिये 
दिनांक:- शनि अमावस्या 15 सितम्बर 2012 शनिवार को प्रातः 6 बजे से 
स्थान :- जय शांति सागर निकेतन, मंडोला (जिला ग़ाज़ियाबाद)
सम्पूर्ण विधि विधान से मिलेगा शनि की साडे साती से छुटकारा 
हवन में बैठने के लिए आज ही संपर्क करें:- 09410494200,09690042294

Sunday, August 26, 2012

' झलक दिखला जा ' के मंच पे 25/08/2012 शनिवार रात्रि गूंजा "णमोकार मंत्र "

' झलक दिखला जा ' के मंच पे 25/08/2012 शनिवार रात्रि गूंजा "णमोकार मंत्र "

कलर्स चेनल के प्रसिद्ध कार्यक्रम ' झलक दिखला जा ' जो चर्चित हस्तियों का डांस कॉम्पिटिशन है में बाल कलाकार दर्शील सफारी(तारे जमीन पर) और उनकी सहयोगी बल कलाकारा द्वारा श्री कृष्ण और राधा के प्रसंग को प्रस्तुत किया गया,डांस के पूर्ण होने पर ,एंकर मनीष ने पूछा भगवन श्रीकृष्ण बने हो भक्तों को कोई मंत्र बताओगे ,कोई मंत्र आता भी है की नहीं दर्शील कुछ पल मौन रहा फिर कहा मै जैन हूँ मुझे सिर्फ एक मंत्र आता है 
" णमो अरिहंताणं ,णमो सिद्धाणं,णमो आयरियाणं ,णमो उवज्झायाणं ,णमोलोएसव्वसाहुणं ,ऐसो पञ्च णमोकारो सव्वपावपपनासनो मंगलाणं च सवेसू पढमं हवई " कृपया मात्राओं की गलती माफ़ करें 
श्रीकृष्ण भगवान् ने भक्तों को णमोकार मंत्र कल्याण के लिए दे दिया

Thursday, August 23, 2012

सिद्धों की भक्ति का सुनेहरा अवसर

फिरोजाबाद: भारत के सुप्रसिद्ध सुहाग नगरी फिरोजाबाद में परम पूज्य लोह पुरुष एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के परम पुनीत सानिध्य में श्री 1008 सिद्धचक्र महामंडल विधान का आयोजन 21 से 30 अगस्त तक स्थानीय निवासी श्री ललितेश जय परिवार की ओर से किया जा रहा है. विधानाचार्य के लिए बा.ब्र.संजीव भैया 'कटंगी' का निर्देशन प्राप्त हो रहा है.संगीतमय भव्य आयोजन का शुभारम्भ प्रथम दिन घटयात्रा से हुआ ओर विधि विधान पूर्वक 30 अगस्त को समापन होगा.

Friday, August 3, 2012

राष्ट्र संत का 50वाँ स्वर्ण जयंती मुनि दीक्षा दिवस धूमधाम से आयोजित


फिरोजाबाद: इस वर्ष जहाँ 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ तीर्थंकर का मोक्ष कल्याणक सम्पूर्ण देश मना रहा था वही सम्पूर्ण देश ने राष्ट्र संत का 50वाँ स्वर्ण जयंती मुनि दीक्षा दिवस भी धूम धाम से आयोजित किया. परम पूज्य लोह पुरुष एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के परम पुनीत सानिध्य में भगवान पार्श्वनाथ निर्वाण लाडू महोत्सव एवं आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज का स्वर्ण मुनि दीक्षा जयंती का आयोजन सानंद 25 जुलाई को प्रातः काल की आनंद दायक बेला में संपन्न हुआ. शाश्वत तीर्थराज सम्मेद शिखर जी की कृत्रिम रचना कर स्वर्णभद्र कूट पर 23 किलो का निर्वाण लाडू श्री अरुण जैन 'पिली कोठी' वालों ने चढ़ाया साथ ही 2323 लाडू भी समाज द्वारा चढ़ाये गए.प्रातः काल पंडाल में भगवान का विधिवत अभिषेक और पूजन हुआ जिसके मध्य निर्वाण लाडू चढ़ाया गया. 
एक ओर जहाँ सर्वश्रेष्ठ तीर्थराज की रचना पर आनंदोत्सव किया जा रहा था वही दूसरी ओर सर्वश्रेष्ठ जैनाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज का मुनि दीक्षा स्वर्ण जयंती महोत्सव का भी आयोजन किया गया. 25 जुलाई सन १९६३, दिल्ली के सुभाष मैदान को समरण करते हुए पूज्य आचार्य श्री को विनयांजलि प्रस्तुत करते हुए प्राचार्य श्री नरेन्द्र प्रकाश जी जैन ने कहा कि "आचार्य श्री के लिए जितना कहा जाये उतना कम है और सूरज को दिया दिखने के सामान है. आचार्य श्री जैन समाज कि धरोहर है जिसे हम पाकर गर्व से फुले नहीं समाते."कार्यारम में बचो द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी संपन्न हुए तथा आचार्य श्री देशभूषण जी मुनिराज का उपकार मानते हुए एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि गुरुदेव आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज का वात्सल्य, अनुकम्पा, सहजता, सरलता, ज्ञान, गंभीरता, सौम्यता आदि अनेको गुण सहज ही देखने को प्राप्त हो जाते है.आचार्य महाप्रज्ञ तो आचार्य श्री को चलते फिरते विश्वविद्यालय कहते थे.बौध भिक्षु दलाई लामा भी आचार्य श्री के ज्ञान का लोहा मानते हैं.वर्तमान काल में आचार्य श्री सर्वश्रेष्ठ और सर्वज्येष्ठ मुनि है. आचार्य श्री के स्वास्थ लाभ और मुनि दीक्षा शाताब्धि वर्ष आचार्य श्री के सानिध्य में मनाने को मिले ऐसी मंगल कामना कर अपने विचार प्रस्तुत किये.
02 अगस्त को शाश्वत तीर्थ सम्मेद शिखर जी कि कृतिम रचना पर भगवान श्रेयांसनाथ निर्वाण लाडू एलाचार्य श्री के सानिध्य में चढ़ाया गया और अष्टम बलभद्र श्री रामचंद्र और रानी सीता के युगल पुत्र, तद्भव मोक्षगामी श्री अनंगलवण और मदनान्कुश कि जन्म जयंती का भी आयोजन संपन्न हुआ. अकम्पनाचार्य आदि ७०० मुनियों के उपसर्ग दूर होने पर रक्षाबंधन पर्व को वात्सल्य पर्व के रूप में मनाया गया जिस अवसर पर नवीन यज्ञोपवीत महोत्सव विधिवत रूप से संपन्न हुआ. 

Monday, July 30, 2012

मेरी क्या गलती थी?

भ्रूण हत्या माँ के कोख में......
कातर निष्ठुर निगाहों से
बच्चे बड़े ही मासूमियत से पूछते हैं.........
अपने जनक और जननी को 
मेरी क्या गलती थी?
मेरी हत्या क्यों करते हो?
जब दुनिया नहीं दिखाना था  
अपने कोख में क्यों पन्पाये?
भविष्य के सुनहरे सपने ही क्यों दिखलाये?
यदि लड़की होना ही अभिशाप है तो
माँ.............

Sunday, July 22, 2012

'विश्वविद्यालय' के 50 वर्ष

हम सभी के लिए यह प्रसंनता का विषय है कि 20-21 वीं सदी के सर्वमान्य आयु-वृद्ध, ज्ञान-वृद्ध, तप-वृद्ध, दीक्षा-वृद्ध श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज का 25 जुलाई 2012 से मुनि दीक्षा का 50 वां वर्ष प्रारंभ हो रहा है। इस अवसर पर त्यागराज स्टेडियम, नई दिल्ली में एक भव्य आयोजन रविवार 29 जुलाई 2012 को प्रातः 10 बजे से मनाया जायेगा।आचार्य श्री विद्यानंद जी का जीवन एक आदर्श जीवन रहा है जिसको समस्त जैन समाज ने ही नहीं अपितु जैनेत्तर समाज ने भी मन है। आचार्य श्री को 8000 श्लोक, गाथाएं आदि कंठस्त है जिससे उन्हें चलता फिरता विश्वविद्यालय कहा जाता है। ये ऐसे रत्नाकर है जिन्होंने अथाह सागर में से चुनिन्दा रत्ना को खोजकर उन्हें उभरा और तराशा है जिनमे एलाचार्य श्रुत सागर, एलाचार्य वसुनंदी, उपाध्याय प्रज्ञ सागर आदि संतों का नाम सम्मिलित है। वर्तमान काल में लगभग 1200 पिच्छिधारी संत भारत भूमि पर अपनी चर्या और तपस्या में रत है जिनमे सबसे अधिक आयु, ज्ञान एवं दीक्षा काल आचार्य श्री की ही है।हम ऐसे राष्ट्र संत, सिद्धांत चक्रवर्ती, श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के पवन चरणों में नत्मस्त होते हुए सिद्ध, श्रुत, आचार्य भलती पूर्वक नमोस्तु करते हैं।

Sunday, May 27, 2012

25वां रजत चातुर्मास फिरोजाबाद में

परम पूज्य, परम श्रद्धेय श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के आज्ञानुवर्ती शिष्य परम पूज्य लोह पुरुष एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ का 25 वां रजत चातुर्मास 2012 सुहाग नगरी फिरोजाबाद (उ.प्र.) में होना निश्चित हुआ है.पूज्य गुरदेव की चातुर्मास स्थापना आयोजन पूर्वक 03 जुलाई को जैन नगर, श्री दिगम्बर जैन छदामी लाल मंदिर में संपन्न होगी.यहाँ भगवन बाहुबली की उत्तर भारत की सबसे ऊँची प्रतिमा विराजमान है जिनके चरण शरण में चातुर्मास संपन्न होगा.चातुर्मास में परम पूज्य एलाचार्य श्री के साथ साथ मुनि श्री ज्ञानानंद जी मुनिराज, मुनि श्री सर्वानन्द जी मुनिराज, मुनि श्री जिनानंद जी मुनिराज, क्षुल्लक श्री विशंक सागर जी एवं क्षुल्लक श्री सुखानंद जी महाराज के पावन दर्शन प्राप्त होंगे.पूज्य एलाचार्य श्री का यह 25 वां रजत चातुर्मास 13 वर्ष बाद पुन्हः फिरोजाबाद में होने जा रहा है जिसके लिए सभी श्रावकों एवं गुरु भक्तों ने पलक बिछाए इंतज़ार किया.पूज्य गुरुदेव के 10 चातुर्मास मध्य प्रदेश में,

Friday, May 11, 2012

आर्यिका बनीं श्रीमती मंजू जैन


"दिन रात मेरे स्वामी,मैं भावना ये भाऊ
देहांत के समय में तुमको न भूल जाऊ" 
ये पंक्तियाँ हम लोग प्रतिदिन पढ़ते हैं फिर भी समाधि पूर्वक मरण का सौभाग्य सभी को प्राप्त नहीं होता.कुछ  बेहद पुण्यशाली जीव होते हैं जिनकी संतों-गुरुओं के सानिध्य व निर्देशन में समाधि संपन्न होती है. ऐसी ही एक   महान पुण्यशाली जीव शकरपुर निवासी श्रीमती मंजू जैन धर्मपत्नी श्री वीरेन्द्र जैन (वाडमेर वाले) की अस्वस्थता के चलते हस्पताल में इलाज चल रहा था और जब अंत में डॉक्टरों ने उम्मीद छोड़ दी तब पूज्य गुरुदेव एलाचार्य श्री ने उनकी उम्मीद जगाई.श्री वीरेन्द्र जैन ने सभी परिवार के साथ पूज्य श्री से समाधि पूर्वक मरण कराने का निवेदन किया.पूज्य श्री ने श्रीमती मंजू जैन की भावना को देखते हुए उन्हें निर्यापकाचार्य के रूप में समाधि कराने  की स्वीकृति प्रदान की.दिनांक 09 मई को रात्रि 07:30 बजे श्रीमती मंजू जैन को शकरपुर लाया गया और पूज्य श्री ने संबोधन देते हुए सात प्रतिमा के व्रत प्रदान किये और नाम रखा ब्र.ब्राह्मी दीदी.पूज्य श्री द्वारा सीमंधर स्वामी का ध्यान,भ.आदिनाथ और भ.महावीर स्वामी का ध्यान, तीर्थों का ध्यान, आदि कराते हुए उनके चित्त और चेतना को जागरूक रखा. क्षपक ब्र.ब्राह्मी दीदी ने रात्रि 11:30 बजे दीक्षा हेतु श्रीफल चढ़ाया तब पूज्य गुरुदेव ने उनकी क्षमता और भावना को देखते हुए क्षुल्लिका दीक्षा के संस्कार 12:15 बजे समाज और परिवार की स्वीकृति पूर्वक किये और नाम रखा क्षुल्लिका श्री सर्वज्ञनंदिनी माताजी.पिच्छि, कमंडल, शास्त्र, जाप माला, वस्त्र, पात्र आदि भेंट किये.माताजी ने भी जरुक अवस्था पूर्वक सबको आशीर्वाद प्रदान किया.सबसे क्षमा मांगते हुए अपने चित को जाप में लगाये रखा.प्रातः काल 8 बजे आहार चर्या के पश्चात् पूज्य माताजी ने आर्यिका दीक्षा हेतु प्रार्थना की तब पूज्य गुरुदेव ने परिस्थिति और भावना को देखते हुए उनके 9 बजे आर्यिका दीक्षा के संस्कार करते हुए आर्यिका श्री सिद्धनंदिनी माताजी नाम से पुकारा.माताजी निरंतर स्वसंघ प्रवर्तिका आर्यिका श्री गुरुनंदिनी माताजी ससंघ के वचनों को सुन रही थी.शाम 05:47 बजे अंतिम सांस ली और समता पूर्वक शरीर को  त्याग दिया.सब ओर खबर फ़ैल गई और हजारों की संख्या में श्रावक जन उपस्थित हो गए तथा यमुना बैंक मेट्रो स्टेशन के निकट उनके पार्थिव शारीर को अग्नि को समर्पित कर दिया.उपस्थित जन समूह ने गोला चढाते हुए पूज्य माताजी के शारीर के अंतिम दर्शन प्राप्त किये.अग्नि संस्कार सायं 7 बजे किया गया.
ऐसी जागरूक समाधि परम पूज्य राष्ट्र संत, श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के आशीर्वाद,परम पूज्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के निर्देशन एवं स्वसंघ प्रवर्तिका आर्यिका श्री गुरु नंदिनी माताजी के सानिध्य में संपन्न हुई.समाधि के चलते माताजी को ८ संतों का सानिध्य ओर दर्शन प्राप्त हुआ.

Sunday, May 6, 2012

चौदह वर्षों बाद संपन्न हुआ पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव



भारत की राजधानी दिल्ली से सटे इन्द्रापुरी (लोनी, गाज़ियाबाद) में श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर लगभग चौदह वर्ष से निर्माणाधीन था परन्तु धनाभाव के चलते मंदिर का कार्य संपन्न नहीं हो पा रहा था. मंदिर वास्तु के अनुसार काफी दोष से परिपूर्ण था जिसे देखने पर परम पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ने उसका उपाय बताया और मात्र तीन महीनों में ही पंचकल्याणक संपन्न हो गया.

परम पूज्य श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम प्रभावक, लोह पुरुष एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ के परम पुनीत,मंगलकारी सानिध्य में २३ अप्रैल से २९ अप्रैल तक श्री आदिनाथ जिन्बिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा सानंद संपन्न हुई.जहाँ स्थानीय समाज के मात्र १५ परिवार थे वहीं पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में प्रतिदिन सेकड़ों की संख्या में लोगो का टाटा लगा रहता था. २३ अप्रैल को ध्वजारोहण के साथ प्रतिष्ठा का शुभारम्भ हुआ ओए क्रमशः गर्भ कल्याणक (पूर्व व उत्तर), जन्म कल्याणक, तप कल्याणक, ज्ञान कल्याणक और मोक्ष कल्याणक की क्रियाएं संपन्न हुई.

प्रतिष्ठा में माता पिता बनने का सौभाग्य श्रीमती सविता जैन एवं श्री राजेंद्र जैन 'साड़ी वाले' को प्राप्त हुआ.प्रतिष्ठा के समस्त कार्यक्रम युवा प्रतिष्ठाचार्य पं. श्री मनोज शास्त्री 'रोहिणी' व सह-प्रतिष्ठाचार्य पं.श्री संजय शास्त्री 'नजफगढ़' के निर्देशन में सम्पूर्ण हुआ.

बहती नदी के सामान पूज्य गुरुदेव का विहार श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, करावल नगर के लिए हुआ.यहाँ 06 मई को शिव विहार (करावल नगर) में  संत भवन का शिलान्यास किया जायेगा और 11 मई को जवाहर पार्क, लक्ष्मी नगर में वेदी प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपन्न होगा.संघस्थ बाल ब्र. शुभाशीष भैया ने बताया कि पूज्य एलाचार्य श्री ११ मई को ही दिल्ली से प्रस्थान कर जायेंगे और जेवर, जुरेहरा,कामां, डिंग, बोलखेडा, आगरा होते हुए टूंडला पहुचेंगे जहाँ जून माह में मानस्तंभ के भव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा कि सम्भावना है.

Tuesday, April 3, 2012

लोह पुरुष की उपाधि से अलंकृत हुए पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज

दिल्ली:परम पूज्य राष्ट्र संत श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के प्राण प्रिय शिष्य प.पू. अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज का तृतीय एलाचार्य पदारोहण दिवस बेहद आनंदमाय व अभूतपूर्व प्रभावना के साथ संपन्न हुआ.02 अप्रैल सोमवार को प्रातः 10:30 बजे जब श्री दिगम्बर जैन मंदिर, लोधी कालोनी से श्री सत्य साईं इंटरनॅशनल ऑडिटोरियम, लोधी रोड के लिए गमन हुआ तो सारा माहौल जयकारों से गूंज उठा.समारोह स्थल पर पहुचते ही ध्वजारोहण कर श्री राजकमल जैन सरावगी ग्रीन पार्क ने सौभाग्य प्राप्त किया.मंच पर सर्वप्रथम श्री चमनलाल जैन (अध्यक्ष, राजगढ़ जैन समाज) ने मंच उद्घाटन कर समरह को गति प्रदान की तथा हमारे आराध्य भ.अजितनाथ,हमारे आदर्श आ.शान्तिसागर जी,हमारे गुरु आ.विद्यानंद जी व हमारे पथ प्रदर्शक एला.वसुनंदी जी के चित्रों का अनावरण किया गया.दीप प्रज्ज्वलन कर श्री गजेन्द्र जैन, इंदौर व रविसेन मनोज जैन (इशु जींस) ने समारोह देदीप्यमान किया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री,भारत सरकार से श्री प्रदीप जैन 'आदित्य' व अति विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री अरविंदर सिंह लवली (शिक्षा व परिवहन मंत्री, दिल्ली सरकार) एवं स्टार न्यूज़ के चीफ एडिटर श्री दीपक चौरसिया उपस्थित हुए.केंद्रीय मंत्री, दिल्ली सरकार के मंत्री,स्टार न्यूज़ के चीफ एडिटर,समाज के गणमान्य श्रेष्ठियों और आयोजक संस्थान द्वारा पूज्य एलाचार्य श्री को "लोह्पुरुष" की मानक उपाधि से अलंकृत किया गया. आयोजक संसथान द्वारा प्रदीप जैन 'आदित्य' व अरविंदर सिंह लवली को "कर्त्तव्य निष्ठ शासक" की उपाधि से सम्मानित किया गया.  अपनी स्वर लहरियों से जैन भजन सम्राट श्री रूपेश जैन ने सबको मंत्र मुग्ध कर दिया और इसी अवसर पर उन्हें "स्वर सम्राट" की उपाधि से सम्मानित किया गया.श्री प्रदीप जैन'आदित्य',श्री अरविंदर सिंह लवली,श्री दीपक चौरसिया,श्री मुनीश्वर जैन (ग्रीन पार्क),बा.ब्र.इन्द्र कुमार जैन आदि ने अपनी विनयांजलि प्रस्तुत की.सस्थान द्वारा श्री टीनू जैन, श्री नीरज जैन, श्री पंकज जैन,श्री इशु जैन को "युवा रत्न" तथा श्रीमती मिथलेश जैन व श्रीमती सुधा जैन को "महिला रत्न" की उपाधि से सम्मानित किया गया.प्रतिष्ठाचार्य श्री मनोज शास्त्री जी को "प्रतिष्ठा रत्नाकर" की उपाधि से सम्मानित किया गया.कार्यक्रम के मध्य मंगलगीत के माध्यम से बा.ब्र.शिल्पी दीदी व बा.ब्र.साक्षी दीदी ने समारोह को मगलमय कर दिया.श्रेष्ठी श्रावकों ने पद प्रक्षालन, पूजन, आरती, शास्त्र भेंट, जाप माला भेंट व पिच्ची भेंट कर पुण्यार्जन किया. कार्यक्रम में पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज, मुनि श्री ज्ञानानंद जी एवं मुनिश्री सर्वानन्द जी मुनिराज की पिच्छि परिवर्तन भी संपन्न हुआ जिसमे मुनि श्री सर्वानन्द जी की पुरानी पिच्छि श्री निकुंज जैन संगम विहार, मुनिश्री ज्ञानानंद जी की श्री संजय जैन'कागजी' लक्ष्मी नगर और पूज्य एलाचार्य श्री की श्री राजकमल अनीता जैन ग्रीन पार्क को प्राप्त हुई. अंतिम चरण पूज्य गुरुदेव के चातुर्मास हेतू अतिशय क्षेत्र जम्बूस्वामी जी बोलखेडा, जेवर, मेरठ, हस्तिनापुर,सरधना,ग्रीन पार्क (दिल्ली),तिजारा, फिरोजाबाद आदि नगरों के साथ साथ धर्म जागृति संसथान, दिल्ली प्रदेश द्वारा दिल्ली में चातुर्मास हेतू श्रीफल चढ़ाये गए.अंत में पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज द्वारा मंगल कल्याणकारी अमृतवाणी सुन सबने स्वयं को धन्य माना और चातुर्मास हेतू बस एक ही संकेत दिया की जहा भी चातुर्मास होगा पूज्य गुरुदेव आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज की अनुमति व आज्ञा से होगा.सबको वात्सल्य पूर्वक आशीर्वाद देकर अपनी वाणी को विराम दिया और पूजन व आरती के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ.

Thursday, March 1, 2012

ऐतिहासिक रूप से संपन्न हुआ शंकर नगर में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा

श्री महावीर दिगम्बर जैन मंदिर, शंकर नगर की जैन समाज लगभग 2 साल से योग्य गुरु की राह देख रहा था जिसके कारण से पंचकल्याणक प्रतिष्ठा संपन्न न हो पा रही थी.06 नवम्बर 2011 को पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज का संघ सहित पदार्पण मात्र 01 सप्ताह के लिए हुआ लेकिन गुरु की चर्या और सरलता को देखते हुए सम्पूर्ण समाज ने उनके सानिध्य में दिल्ली का ऐतिहासिक पंचकल्याणक करवाने की ठान ली.सबकी सहमति और गुरु निर्देश से श्री मज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा 24 फरवरी से 29 फरवरी 2012 तक संपन्न कराना तय हुआ.
समाज के उत्साह और गुरु के सार्थक उपदेशों के माध्यम से पंचकल्याणक की समस्त तैयारियां संपन्न हुई.पंचकल्याणक प्रतिष्ठा हेतु परम पूज्य श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त हुआ और पूज्य एलाचार्य श्री का सानिध्य हेतु अपने सम्पूर्ण संघ लगभग 18 पिच्छि सहित १५ फरवरी को विशाल जनसमूह और शोभा यात्रा के साथ संपन्न हुआ.ये दिल्ली के लगभग 50 सालों के इतिहास में पहली बार था जब इतना विशाल संघ का सानिध्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में प्राप्त हो रहा था.24 फरवरी को झंडारोहण के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ और प्रथम दिन गर्भ कल्याणक की पूर्व क्रियाओं को प्रतिष्ठाचार्य श्री पवन दीवान और प्रतिष्ठाचार्य श्री मनोज शास्त्री के निर्देशन में विधि पूर्वक संपन्न किया.रात्रि में मूल क्रियाओं के साथ साथ माता के सोलह सपने भी दिखाए गए.25 फरवरी को गर्भ कल्याणक का उत्तर रूप दिखाया गया और गर्भ कल्याणक की पूजा संपन्न हुई तथा रात्रि में छप्पन कुमारियों तथा अष्ट कुमारियों द्वारा माता से तत्व सम्बन्धी प्रश्न पूछे गए गए व उनकी सेवा की गई.26 फरवरी रविवार का दिन अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण दिन था.इस दिन अग्यानुवर्ती आर्यिका त्रय गणिनी श्री विद्याश्री,आर्यिका श्री विधाश्री व आर्यिका श्री गुरुनंदनी माताजी का 18वाँ दीक्षा दिवस आयोजित किया गया और गर्भस्थ तीर्थंकर का जन्म संपन्न हुआ.पश्चात सौधर्म इन्द्र की ऐतिहासिक शोभा यात्रा निकली गई जो लगभग 1.5 कि.मी. लम्बी थी जिसमे हाथी, घोड़े, बग्गियाँ, झाकियां, बैंड, पंजाब, हरियाणा, उत्तरांचल, राजस्थान आदि राज्यों के ताशे, आर्मी बैंड आदि अनेकों आकर्षक मनोरंजक सामग्री का समावेश था.विशाल पांडुकशिला पर बालक आदिकुमार का 1008 कलशों से अभिषेक किया गया और ऐतिहासिक रूप से पुष्पक विमान (हेलिकॉप्टर) द्वारा पुश वर्षा कि गई.संध्याकाल में बालक का पलना झुलाया गया और प्रसिद्द गायक प्रसन्न कुमार द्वारा भजन संध्या का आयोजन किया गया.27 फरवरी को प्रातः बाल क्रीडा और नंदा सुनंदा से विवाह की झलकियाँ दिखाई गयी.दोपहर में राजा नाभिराय द्वारा राज्याभिषेक और पश्चात् राजा ऋषभदेव द्वारा षट कर्म उपदेश तथा पुत्री ब्राह्मी सुन्दरी को अंक एवं लिपि ज्ञान देते हुए दिखाया गया.यहाँ भी ऐतिहासिक कार्य संपन्न हुआ क्यूंकि ब्राह्मी और सुंदरी ने विवाह न करने का संकल्प लिया था तो पात्र करते हुए दो बालिकाओं ने अपने जीवन में ही ये नियम पूज्य एल्चार्य श्री से ग्रहण कर लिया.सभा में नीलांजना की मृत्यु देख वैराग्य और पुत्र भरत बाहुबली को पट्ट राज्याभिषेक कर दीक्षा लेने की झलकियाँ दिखाई.जिन व्यक्तियों ने आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत पालन करने का नियन उन्हें ही प्रथम बार पालकी उठाने का सौभाग्य मिला.अंत में पूज्य गुरुदेव द्वारा दीक्षा क्रियाएं संपन्न हुई और महामुनि वृषभनाथ ध्यान में लीं हो गए.सायं काल प्रवचन सभा के बाद जैन भजन सम्राट मधुर कंठ धारी रूपेश जैन नाइट का आयोजन किया गया.28 फरवरी को प्रातः काल महामुनि वृषभ नाथ की आहार चर्या राजा श्रेयांस के यहाँ संपन्न हुई और दोपहर में पंचकल्याणक का मूल कार्य प्रारंभ हुआ जिसमे प्रतिमाओं का अंकन्यास और मंत्रन्यास के साथ साथ पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज द्वारा सूरी मंत्र दिया गया.बस यही पल था जब पत्थर को परमात्मा बनाया गया समस्त क्रियाएं संपन्न होने के पश्चात् समवशरण की रचना हुई जिसमे मुनि, आर्यिका, श्रावक, श्राविका, देव, देवी व पशुओं का समागम हुआ.पूज्य गुरुदेव की गणधर के रूप में दिव्या ध्वनि खीरी व सभी ने अपनी अपनी जिज्ञासा का समाधान भी किया.संध्याकाळ में बाल ब्र.आशीष भैया द्वारा प्रवचन सभा की गई और प्रसिद्ध कवी डॉ.कुमार विश्वास की मुख्यता में विशाल कवि सम्मलेन संपन्न हुआ.प्रातः महीने की अंतिम तारीख 29फरवरी को पंचकल्याणक का अंतिम कल्याणक मोक्ष कल्याणक की क्रयाएँ संपन्न हुई जिसमे कैलाश पर्वत की सुंदर व भव्य रचना की गे जहाँ से केवली रिषभदेव को मोक्ष प्राप्त हुआ.विशाल रथयात्रा के साथ सभी नूतन जिन्बिम्बों को मंदिर लाया गया और वेदी में विधि विधान पूर्वक प्रतिष्ठित किया गया.श्री महावीर दिगम्बर जैन मंदिर शंकर नगर में नवनिर्मित द्वय वेदी पर रत्नमई चौबीसी विराजमान की गई है.
इन सभी आयोजनों की सफलता पूर्वक संपन्न होने के लिए पूज्य राष्ट्रसंत आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज का मंगल आशीर्वाद और पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज कुशल निर्देशन व सानिध्य के साथ साथ समाज के सभी उत्साही बंधुओं को श्री जाता है.यदि ऐसे उत्साही और कर्मठ कार्यकर्ता यदि हर समाज में हो तो हर कार्यक्रम अपने आप में ऐतिहासिक ही होगा.शंकर नगर जैन समाज को हार्दिक शुभकामनाएं

Saturday, January 28, 2012

कृष्ण नगर में संपन्न हुई चारों अनुयोग वाचना

परम पूज्य राष्ट्र संत श्वेत्पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम प्रभावक, प्रयाग्र शिष्य, स्वाध्याय प्रेमी परम पूज्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ के परम पुनीत पवन सानिध्य में 03 जनवरी से 26 जनवरी तक चारों अनुयोग वाचना श्री दिगम्बर जैन मंदिर में आयोजित हुई.महाधवला (भाग 1) जैसे महा सिद्धान्तिक ग्रन्थ की वाचना सुनने का लाभ मात्र गुरुमुख से ही संभव जो इस वर्ष दिल्ली को पहली बार दिगम्बर संत एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के श्रीमुख से सुनकर लाभान्वित हुए.इस वाचना का विधिवत शुभारम्भ 03 जनवरी को मंगल कलश स्थापना,दीप प्रज्ज्वलन,मंगलाचरण आदि कार्यक्रमों के साथ हुआ और प्रतिदिन प्रातः जिनसहस्रनाम स्तोत्र की कक्षा,तत्पश्चात प्रवचन,द्रव्य संग्रह की कक्षा,दोपहर में महाधवला वाचना, सायं काल में प्रथमानुयोग कथानक जिसमे बेहद सुंदर रूप से पूज्य एलाचार्य श्री द्वारा एक रूपक अलंकारों सहित कथानक का चित्रण सुनाया एवं अंत में बच्चों के लिए कलम पट्टी बुधिका,महिलाओं के लिए तत्वार्थ सूत्र आदि कक्षाएं संघस्थ साधुओं व् त्यागियों द्वारा संपन्न हुई.26 जनवरी को प्रातः महाधवला ग्रन्थ की वाचना का विधिवत समापन किया गया और प्रातः 12 बजे से समारोह का आयोजन हुआ जिसमे मंगलाचरण कर श्रीमती प्रमिला जैन ने अपने मधुर स्वर से सम्पूर्ण वातावरण मंगलमय कर दिया.पूज्य आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज और एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के चित्रों का अनावरण श्री राकेश जैन व श्री पियूष जैन द्वारा किया गया और दीप प्रज्ज्वलन कर ज्ञान ज्योति की स्थापना की.पूज्य एलाचार्य श्री की संघस्थ ब्रह्मचारिणी गरिमा दीदी व लघिमा दीदी ने मंगलगीत प्रस्तुत किया.उपस्थित विद्वानों ने पूज्य श्री संघ को शास्त्र भेंट किये और अतिथि सत्कार स्थानीय समाज द्वारा संपन्न हुआ.सभा में उपस्थित प्रतिष्ठाचार्य पं. श्री मनोज शास्त्र जी एवं पं.श्री पम प्रकश जी ने भी अपने भाव व्यक्त किये.

एलाचार्य श्री की आज्ञानुवर्ती शिष्या संघ नायिका आर्यिका श्री गुरु नंदिनी माताजी ने सभा ओ संबोधित करते हुए कहा कि भक्ति के चार आयाम होते हैं:- समर्पण, निस्वार्थ, श्रद्धा और दृढ़ता जो कृष्ण नगर जैन समाज में देखने को मिली और यदि ऐसी भक्ति बनी रही तो एक दिन आप भी भक्त से भगवन बन सकते हो.एलाचार्य श्री कि आज्ञानुवर्ती शिष्या गणिनी आर्यिका श्री विद्याश्री माताजी ने अपने मंगल प्रवचन में दृष्टान्त देते हुए कहा कि णमोकार महामंत्र सब दुखों को नष्ट करने वाला है और जीवन धरा को मोक्ष तक ले जाने वाला है. 

कार्यक्रम में "की ऑफ़ नोलेज" प्रतियोगिता का भी विमोचन हुआ जिसे भरकर फरवरी अंत तक देना होगा और 7 मार्च को उसका परिणाम घोषणा होगी.अंत में पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ने अपने उद्बोधन में सभा को संबोधन देते हुआ कहा कि इस वाचना का प्रारंभ जिनवानी की गोधी में बोधी से हुआ था और अंत संविधान के साथ हो रहा है.जिसके जीवन में जिनवानी का बोध हो जाता है उसके जीवन में निश्चित ही संविधान का शोध हो जाता है.अपने जीवन में जब तक तुम संविधान को नहीं बनोगे तब तक गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस मानना निष्फल है.जब डॉ. भीम राव आंबेडकर ने महात्मा गाँधी को भारत का नवीन संविधान दिखाया तब महात्मा गाँधी ने यही बोला कि जब तक अपने आप को हम अनुशासित नहीं करेंगे तब तक इस संविधान का कोई लाभ नहीं होगा,और जब हम अपने आप अनुशासित कर लेंगे तब भी इस संविधान कि कोई आवश्यकता नहीं होगी.यहाँ कृष्ण नगर में २३ दिन का प्रवास वास्तव में बहुत ही ज्ञान प्रद रहा और यहाँ इतने सारे स्वाध्याय प्रेमी देखकर मुझे आचार्य हो रहा है कि दिल्ली जैसे प्रान्त में भी जिनवानी के प्रति इतनी जागरूकता है.आप सब इसी प्रकार से जिनवानी कि सेवा करते रहे यहीं हमारी मंगल भावना है और सभी को आशीर्वाद देते हुए पूज्य एलाचार्य श्री ने अपनी बात को विराम दिया.
पूज्य संघ नायिका आर्यिका श्री गुरुनंदिनी माताजी ससंघ का मंगल विहार शकरपुर के लिए हुआ और गणिनी आर्यिका श्री विद्याश्री माताजी ससंघ का मंगल विहार राधेपुरी के लिए हुआ.भोजनोपरांत पुन्हा सभा एकत्रित हुई पूज्य गुरुदेव को कृष्ण नगर से विदाई देने के लिए और सभी ने भीगे नेत्रों से पूज्य गुरुदेव का मंगल विहार कृष्ण नगर से शंकर नगर जैन मंदिर के लिए कराया.

Saturday, January 21, 2012

सुभद्रसागर जी मुनिराज की हुई भद्र परिणामों के साथ समाधि

सुभद्रसागर जी मुनिराज की हुई भद्र परिणामों के साथ समाधि
मंदोला: परम पूज्य आचार्य श्री सुदर्शन सागर जी मुनिराज के परम शिष्य प.पू. मुनि श्री सुभद्र सागर जी मुनिराज की समता पूर्वक भद्र परिणामों सहित २१ जनवरी २०१२ को दोपहर २ बजे समाधि जय शांति सागर निकेतन, मंडोला में हो गई.पूज्य मुनि श्री को बीमारी के चलते दस्त होने लगे और कुछ भी नहीं पच रहा था स्वास्थ्य नम्र होने लगा और जब स्वस्थ पर काबू न पाया गया तब मुनि श्री ने समाधि धारण कर ली.पूज्य श्री का सरल व्यक्तित्व उनकी इस बीमारी की जरा सी भी झलक चेहरे पर नहीं आने देता था.सभी से वात्सल्य भाव से बात करना और सभी को समान रूप से आशीर्वाद देना उनका स्वाभाव था.औषधि का विशेष ज्ञान रखने वाले मुनि श्री लगभग ८० वर्ष की अपनी आयु कर्म को व्यतीत कर उर्ध्व गमन कर गए.मुनि श्री ने पहले ही अपने आप को समाधि के लिए मानसिक रूप से तैयार कर लिया था और पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज से बारह वर्ष की सल्लेखना धारण की थी. पूज्य ऐलक श्री विज्ञानसागर जी महाराज की प्रेरणा से निर्मित जय शांतिसागर निकेतन मंडोला में लम्बे से अपने अंतिम समय को बिताते हुए मुनि श्री ने सभी को मनमुग्ध कर दिया था.मुनि श्री का जन्म हरियाणा में हुआ था और नवल किशोर नाम से जाने जाते थे.आप ही के बड़े पुत्र श्री रवि जैन (गुडगाँव) ने आपका अंतिम संस्कार किया.

Saturday, January 14, 2012

दिल्ली में पंचकल्याणक के बाद बदायूं में होंगे पंचकल्याणक प्रतिष्ठा

दिल्ली में धर्म प्रभावना में तत्पर, प.पू. श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के आज्ञानुवर्ती शिष्य प.पू. अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ के परम पुनीत सानिध्य में महाधवला महाग्रंथ की मंगलकारी वाचना ०३ जनवरी से २६ जनवरी २०१२ तक श्री दिगम्बर जैन मंदिर कृष्णा नगर दिल्ली में चल रही है.पूज्य गुरुदेव एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ अनेकों आयोजन को कराते हुए दिल्ली महानगर में श्रावकों को धर्म ध्यान में तल्लीन करा रहे हैं.२७ जनवरी को दोपहर २ बजे कृष्णा नगर से विहार कर ३१ जनवरी को अतिशय क्षेत्र जय शांतिसागर निकेतन मंडोला में भव्य प्रवेश करेंगे जहाँ ०३ फरवरी से ०८ फरवरी २०१२ तक श्री मज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं विश्व शांति महायज्ञ लगभग २१ साधुओं के सानिध्य में संपन्न होगा.
मंडोला से विहार कर पूज्य गुरुदेव बलराम नगर, इन्द्रापुरी,करावल नगर आदि स्थानों पर होते हुए २४ फरवरी से २९ फरवरी तक श्री आदिनाथ मज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा संपन्न करायेंगे.ये पहली बार होगा जब दिल्ली में ५० वर्षों के इतिहास में प्रथम बार १७ पिच्छिधारी साधुओं का सानिध्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में प्राप्त होगा.२४ व २५ फरवरी को गर्भ कल्याणक, २६ फरवरी को जन्म कल्याणक, २७ फरवरी को दीक्षा कल्याणक, २८ फरवरी को केवलज्ञान कल्याणक और २९ फरवरी को मोक्ष कल्याणक की क्रियाएं संपन्न होंगी.शंकर नगर पंचकल्याणक में पात्रों हेतू ०८ व ०९ जनवरी को बोली द्वारा चयन किया गया जिसमे सौधर्म इन्द्र बनने का सौभाग्य श्री अनिल जैन ‘सिटी किंग’ को प्राप्त हुआ.
पूज्य एलाचार्य श्री के संघस्थ ब्र.आशीष भैया ने बताया कि पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ दिल्ली से फाल्गुन अष्टाह्निका संपन्न कर लगभग २५० कि.मी. विहार कर उत्तर प्रदेश स्थित बदायूं में श्री मज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा ०२ अप्रैल से ०८ अप्रैल २०१२ तक संपन्न कराएँगे.बदायूं से विहार कर शौरिपुर-बटेश्वर,कम्पिलाजी, अहिक्षेत्र आदि तीर्थों कि वंदना करते हुए टूंडला (फिरोजाबाद) पहुचेंगे जहाँ मई माह में टूंडला चौराहा में नवनिर्मित श्री मज्जिनेन्द्र मानस्तंभ की पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव संभावित संपन्न होंगी.

विचार

विचार- "पानी पियो छानकर, वाणी बोलो जानकर "

मुख्य धाराएं

आज का प्रवास

आज का प्रवास 27-02-2016
*परम पूज्य आचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ का मंगल विहार दिल्ली की ओर चल रहा है. 05 मार्च को ग्रीन पार्क में होगा मंगल प्रवेश।
*मुनि श्री नमिसागर जी, ऐलक श्री विज्ञानसागर जी,क्षुल्लक श्री विशंक सागर जी,क्षुल्लक श्री अनंत सागर जी मंडोला,गाज़ियाबाद में विराजमान है।
*मुनि श्री शिवानंद जी, मुनि श्री प्रशमानन्द जी अतिशय क्षेत्र जय शान्तिसागर निकेतन,मंडोला,उ.प्र. में विराजमान है।
*संघ नायिका गणिनी आर्यिका श्री गुरुनंदनी माताजी ससंघ राजाखेड़ा,राज. में विराजमान हैं।
*स्वसंघ प्रवर्तिका आर्यिका श्री सौम्यनंदनी माताजी ससंघ पपौरा,म.प्र. में विराजमान हैं।
*आर्यिका श्री पद्मनंदनी माताजी ससंघ ज्योति नगर, दिल्ली में विराजमान हैं।

गुरु शरण

गुरु शरण
आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज से पड़ते हुए गुरुदेव

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