किसी ने सही कहा है-
साथ साधू का तो सार दिखाई देता है
मिटती हुई ज़िन्दगी का अधर दिखाई देता है
दिवाली और दशहरा आते है चले जाते हैं
लेकिन जहाँ साधु हों वहां हर दिन त्यौहार दिखाई देते है
मिटती हुई ज़िन्दगी का अधर दिखाई देता है
दिवाली और दशहरा आते है चले जाते हैं
लेकिन जहाँ साधु हों वहां हर दिन त्यौहार दिखाई देते है
ऐसे ही कुछ दृश्य हस्तिनापुर में स्थित श्री आदिवीर विद्याश्री संस्थान में चल रहे श्रावक साधना एवं धर्म संस्कार शिविर में जिसमे प.पू.श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम प्रिय शिष्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ सानिध्य प्राप्त हुआ.०२ सितम्बर से १२ सितम्बर तक इस शिविर का आयोजन हुआ जिसमे प्रतिदिन पूज्य एलाचार्य श्री का संबोधन शिविरार्थियों को सुनने को मिलता रहा.उत्तम संयम के मंगल प्रवचनों को सुन कई लोगों की सुप्त आत्मा जागृत हो गई.लगभग ४० लोगो ने पूज्य गुरुदेव के श्री चरणों में प्रतिमा धारण करने हेतु निवेदन किया.गुरु पारदर्शी व दूरदृष्टा होते हैं इसलिए उन्होंने योग्य जानकर मुट्ठी भर ही लोगो को प्रतिमा देने का निर्णय किया.शुभ मुहूर्त में पूज्य गुरुदेव ने उत्तम ताप के शुभ अवसर पर प्रतिमा व्रत संस्कार किया.उत्तर प्रदेश,मध्य प्रदेश,हरयाणा,दिल्ली,राजस्थान,पश्चिम बंगाल आदि राज्यों से पधारें लगभग २०० शिविरार्थियों ने इस शिविर में आना सार्थक कर लिया.एक एक कर पूज्य गुरुदेव ने दोपहर में मंत्रोच्चारण एवं विधि पूर्वक संस्कारित किया.प्रतिमा धारण करने का महापुण्य प्राप्त करने वाले लगभग २४ महानुभाव हैं जिन्होंने २ से लेकर ९ प्रतिमा तक के व्रत ग्रहण किये जिनमे ब्र.पदमचंद जी'बरहन' (७ प्रतिमा) व इनकी श्रीमती ने भी (७ प्रतिमा),श्री वीरसेन जैन'दिल्ली' (२ प्रतिमा),श्री राकेश जैन'खतौली' (२ प्रतिमा),श्री सुमन जैन व इनकी श्रीमती मुन्नी जैन 'टूंडला' (२-२ प्रतिमा), श्रीमती मुन्नी जैन 'टूंडला' (५ प्रतिमा),श्री अजित जैन 'मनियां' (२ प्रतिमा),श्री उग्रसेन जैन 'एटा' (२ प्रतिमा), श्रीमती जयंती जैन (२ प्रतिमा), श्रीमती कृष्ण जैन 'म.प्र.' (२ प्रतिमा),श्री उत्तम चाँद जैन व इनकी श्रीमती किरण जैन 'दिल्ली' (६-६ प्रतिमा), श्रीमती सरला जैन (७ प्रतिमा), श्रीमती पुष्प जैन 'दिल्ली' (२ प्रतिमा),श्री पवन जैन (२ प्रतिमा), श्रीमती कांता जैन (६ प्रतिमा) एवं ब्र. अमोलक चाँद जैन 'सरधना' (९ प्रतिमा) के व्रत लिए.इनके साथ साथ श्री प्रमोद जैन 'आगरा', श्री रविन्द्र जैन,श्रीमती अंगूरी जैन,श्रीमती रुकमनी जैन,श्रीमती गीता जैन 'टूंडला', श्रीमती कमलेश जैन, श्रीमती अंजना जैन, श्री अनिल जैन 'फिरोजाबाद', कु.नेहा जैन, श्री अंकित जैन,श्री प्रेमचंद जैन एवं अन्य कई लोगों ने अभ्यास रूप प्रतिमा का पालन करने का नियम लिया.पूज्य गुरुदेव ने उत्तम त्याग के दिन श्री रमेश जैन व उनकी श्रीमती (बीना,म.प्र.) को २-२ प्रतिमा के संस्कार किये.
संस्था के अध्यक्ष बाल ब्र.इंद्रकुमार जी ने बताया कि "ये गुरुवार का २४ वां चातुर्मास चल रहा है और उसमे २४ प्रतिमाधारी श्रावक के संस्कार संपन्न हुए ये बहुत ही आनंद ही बात है." सभी शिविरार्थियो ने अनुमोदन करते पुण्य का अर्जन किया.शिविर के अंत में १२ सितम्बर को क्षमावाणी व होली महोत्सव का आयोजन किया गया. सभी शिविराथियों ने गुलाल लगाकर एक दुसरे के प्रति क्षमा का भाव रखा.