Sunday, January 13, 2013

टूंडला नगर में संपन्न हुई पंचकल्याणक प्रतिष्ठा

प्रथम तीर्थंकर श्री आदिनाथ जिनबिम्ब एवं मानस्तम्भ पंचकल्याणक प्रतिष्ठा,कलशारोहण एवं विश्व शांति महायज्ञ श्री दिगम्बर जैन मंदिर,रिषभ पूरी चौराहा, टूंडला (उ.प्र.) में परम श्रद्धेय श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम प्रिय परम पूज्य दीक्षा सम्राट एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ के परम पुनीत सानिध्य में सानंद संपन्न हुआ। पंचकल्याणक प्रतिष्ठा का आयोजन 30 दिसम्बर 2012 से 04 जनवरी 2013 की मंगल बेला व शुभ मुहूर्त में विशाल आयोजन व उत्साह के साथ समस्त जैन समाज के सहयोग से सफलता पूर्वक सम्पूर्ण हुआ। पूज्य गुरुदेव का मंगल प्रवेश 19 दिसम्बर को टूंडला नगर में ससंघ हुआ। इस अवसर पर पूज्य आर्यिका श्री गुरुनंदनी माताजी ससंघ का भी सानिध्य प्रतिष्ठा में प्राप्त हुआ। 30 दिसम्बर के शुभ दिन सर्वप्रथम देवज्ञ आदि क्रियाओं के पश्चात् नगर में घटयात्रा निकली गई। ध्वजारोहण, पंडाल उद्घाटन व मंगल कलश स्थापित किये गए व अंत में पूज्य एलाचार्य श्री के मीठे प्रवचनों का लाभ प्राप्त हुआ। संध्याकाल में इंद्र दरबार व कुबेर द्वारा नगरी रचना कर रत्नावृष्टि की गई।मध्य रात्रि में गर्भ कल्याणक की आन्तरिक क्रियाएं संपन्न की गई। 31 दिसम्बर को प्रातः काल गर्भ्कल्यानक पूजन व हवं के बाद पूज्य गुरुदेव की मीठी वाणी श्रवण करने का अवसर श्रावकों को प्राप्त हुआ। इसी दिन सीमंतिक लरिया व नवीन वेदी की शुद्धि संस्कार किये गए। रात्रि कालीन सभा में रजा नाभिरय दरबार स्वप्न दर्शन व
फल आदि के साथ मत की सेवा के लिए अष्ट कुमारी नियुक्ति तथा छपन्न कुमारियों द्वारा तत्त्व चिंतन का दृश्य दर्शाया गया। 01 जनवरी 2013 की नव वर्ष की बेल पर बालक आदि कुमार का जन्म होने के पश्चात इंद्र द्वारा सहस्र दर्शन एवं ऐरावत हाथी पर पन्दुक्षिला पर प्रक्षाल अ आयोजन किया गया। पुरे नगर में विशाल शोभा यात्रा इंद्र परिवार के साथ अनेकों झाकियों,बैंड व हाथी,घोड़ों के साथ निकली गई। पन्दुक्षिला पर सभी इन्द्रों द्वारा जन्माभिषेक संपन्न किया तथा हेलिकॉप्टर द्वारा पुष्प वृष्टि का सुंदर दृश्य भी लोगो को देखने को मिला।संध्याकाल में बालक आदि कुमार का पलना महोत्सव व बाल क्रीड़ायें संपन्न हुई। 02 जनवरी को प्रातः काल जन्म कल्याणक पूजन व हवं संपन्न हुआ तथा पूज्य एलाचार्य श्री के मीठे प्रवचन भी सुनने को मिले। दोपहर में युवराज आदि कुमार का विवाह व षट्कर्म उपदेश दर्शाया गया। आदि कुमार का राज्याभिषेक व ब्राह्मी सुंदरी की शिक्षा के दृश्य से सभी मंत्रमुग्ध हो गए। सभा के अंत में रजा आदिकुमार को नीलांजना की नृत्य के मध्य मृत्यु देखकर वैराग्य उत्पन्न हो गया तत्पश्चात दीक्षा संस्कार आदि क्रियाएं पूज्य एलाचार्य श्री द्वारा संपन्न हुई। संध्याकालीन सभा में आरती व शास्त्र सभा के बाद प्रसिद्द गीतकार,संगीतकार जैन भजन स्वर सम्राट रूपेश जैन नाईट का आयोजन किया गया। 03 जनवरी का दिन बेहद विशेष दिन रहा। इस दिन न केवल तीर्थंकर प्रभु को केवल ज्ञान प्रगट हुआ अपितु पूज्य गुरुदेव की आज्ञानुवर्ती पूज्य आर्यिका श्री गुरुनंदनी माताजी पर गुरु कृपा भी प्रगट हुई। सुबह तप कल्याणक की पूजा संपन्न हुई और मीठे प्रवचनों में पूज्य एलाचार्य श्री ने आर्यिका गुरुनंदनी माताजी के गणिनी पद संस्कार की भी घोषणा कर दी। महामुनि आदिनाथ की आहार चर्या के पश्चात मुनि संघ की आहार चर्या संपन्न हुई। 1:30 बजे से नेत्रोन्मीलन, अन्कन्यास, प्राण प्रतिष्ठा व सूरी मंत्र संस्कार संपन्न हुए। 2 बजे से पूज्य आर्यिका श्री गुरुनंदनी माताजी के गणिनी पद कार्यक्रम का विशेष आयोजन संपन्न हुआ जिसमे दूर दूर से भक्तों का ताँता लग गया। पूज्य गुरुदेव ने गणिनी पद पर प्रतिष्टित कर गणिनी आर्यिका श्री गुरुनंदनी माताजी को ससंघ सर्वप्रथम शाश्वत तीर्थ सम्मेद शिखरजी की ओर मंगल विहार करने का संकेत दिया जिसे माताजी ने सहर्ष स्वीकार किया। कार्यक्रम के पश्चात् समवशरण में पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज की गणधर के रूप में मंगल ध्वनि खीरी। सायं काल में विरत कवी सम्मलेन का आयोजन हुआ जिसमे चन्द्रसेन कवि द्वारा मंच संचालन किया गया। पंचकल्याणक प्रतिष्ठा के अंतिम दिन 04 जनवरी को प्रातः काल कृत्रिम कैलाश पर्वत से तीर्थंकर आदिनाथ योग निरोध कर मोक्ष को प्राप्त करने के दृश्यों को दर्शाया व मत्रों द्वारा क्रियाएं संपन्न हुई। इस अवसर पर पूज्य एलाचार्य श्री के मीठे प्रवचनों का लाभ प्रतिष्ठा में अंतिम बार श्रवण करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। प्रतिष्ठा का समापन विश्व शांति महायज्ञ के साथ संपन्न हुआ। सम्पूर्ण कार्यक्रम का प्रसारण जिनवानी चैनल पर प्रसारित भी किया गया। प्रतिष्ठा का आयोजन श्री सेठलाल जैन ट्रस्ट द्वारा हुआ तथा सहयोग सकल जैन समाज टूंडला का रहा। 
पञ्चकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के साथ पूज्य मुनि श्री ज्ञानानंद जी, मुनि श्री सर्वानन्द जी , मुनि श्री जिनानंद जी, गणिनी आर्यिका श्री गुरुनंदनी माताजी, आर्यिका श्री ब्रह्मनंदनी जी, आर्यिका श्री श्रीनंदनी जी, आर्यिका श्री पद्मनंदनी जी एवं क्षुल्लिका श्री वीर नंदनी माताजी तथा लगभग 15 ब्रह्मचारी भैया व ब्रह्मचारिणी दीदियों का सानिध्य प्राप्त हुआ। 
04 जनवरी को दोपहर में पूज्य श्री ससंघ का मंगल विहार अगले गंतव्य बदायूं की ओर हो गया और प्रथम पड़ाव पचोखरा रहा। बदायूं में 18 जनवरी से 23 जनवरी तक श्री मज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक महोत्सव व विश्व शांति महायज्ञ का आयोजन संपन्न होगा। 

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विचार

विचार- "पानी पियो छानकर, वाणी बोलो जानकर "

मुख्य धाराएं

आज का प्रवास

आज का प्रवास 27-02-2016
*परम पूज्य आचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ का मंगल विहार दिल्ली की ओर चल रहा है. 05 मार्च को ग्रीन पार्क में होगा मंगल प्रवेश।
*मुनि श्री नमिसागर जी, ऐलक श्री विज्ञानसागर जी,क्षुल्लक श्री विशंक सागर जी,क्षुल्लक श्री अनंत सागर जी मंडोला,गाज़ियाबाद में विराजमान है।
*मुनि श्री शिवानंद जी, मुनि श्री प्रशमानन्द जी अतिशय क्षेत्र जय शान्तिसागर निकेतन,मंडोला,उ.प्र. में विराजमान है।
*संघ नायिका गणिनी आर्यिका श्री गुरुनंदनी माताजी ससंघ राजाखेड़ा,राज. में विराजमान हैं।
*स्वसंघ प्रवर्तिका आर्यिका श्री सौम्यनंदनी माताजी ससंघ पपौरा,म.प्र. में विराजमान हैं।
*आर्यिका श्री पद्मनंदनी माताजी ससंघ ज्योति नगर, दिल्ली में विराजमान हैं।

गुरु शरण

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आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज से पड़ते हुए गुरुदेव

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