(पूज्य श्री का विहार अतिशय क्षेत्र विराटनगर के लिए हो रहा है)
परम पूज्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ का मंगल विहार 13 दिसम्बर को श्री जिनशासन तीर्थ, जैन नगर, अजमेर से विशाल जनसमूह के मध्य हुआ। लगभग 24 कि.मी. का विहार कर श्री लक्ष्मीनारायन जी अग्रवाल के आदर्श नगर, अजमेर रोड स्थित निवास में रात्रि विश्राम किया। पुन्हः विहार कर 14 दिसम्बर को प्रात: 9 बजे स्थानीय डाक बंगला पहुचेंगे जहाँ से भव्य जुलूस के रूप में नगर के मुख्य मार्गो से होते हुए जैन भवन, किशनगढ में मंगल प्रवेश होगा। संघ की आहार चर्या जैन भवन में होगी।दोपहर में विहार अगले गंतव्य की ओर होगा।
Sunday, December 14, 2014
अजमेर से विहार
Sunday, November 2, 2014
Ajmer me jaineshwari diksha
प.पू.अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी, दीक्षा सम्राट, सर्वाधिक दीक्षा प्रदाता एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के पावन कर कमलों द्वारा 06 नवम्बर 2014 को दोपहर 12 बजे से श्री जिनशासन तीर्थ, जैन नगर (नाका मदार) अजमेर में प्रथम बार भव्य श्री दिगम्बर जैनेश्वरी दीक्षा महोत्सव का आयोजन हो रहा है।आप सब सादर आमंत्रित हैं।
Wednesday, October 29, 2014
आचार्य श्री विद्यानंद प्रतियोगिता का परिणाम घोषित
आचार्य श्री विद्यानंद प्रतियोगिता के परिणाम घोषित।इस प्रतियोगिता में लगभग 700 प्रतियाँ प्राप्त हुई जिनमे से 19 प्रतियोगियों को 169 में से 169 अंक प्राप्त हुए। समारोह स्थल पर ड्रा द्वारा प्रथम तीन पुरस्कार वितरित किये गए।
प्रथम पुरस्कार (शुद्ध सोने की चैन) :- श्रीमती अनीता सरावगी, ग्रीन पार्क दिल्ली
द्वितीय पुरस्कार (शुद्ध चाँदी की थाली):- श्रीमती आशा जैन, टूंडला उ.प्र.
तृतीय पुरस्कार (शुद्ध चाँदी का कलश):- श्रीमती वैशाली जैन, वैशाली नगर अजमेर राज.
शेष सभी को 26 विशेष सांत्वना, 90 सामान्य सांत्वना और 108 सांत्वना पुरस्कार वितरित किये गए।
सभी प्रतियोगियों को हार्दिक शुभ कामनाएं तथा पूज्य गुरुदेव एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज का मंगलमय आशीर्वाद।
Friday, October 24, 2014
लघु पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव
परम पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ के पावन सानिध्य में 25 अक्टूबर को एक दिवसीय भव्य श्रीमज्जिनेंद्र शांतिनाथ लघु पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव एवं विश्व शांति महायज्ञ का आयोजन प्रातः 5: 00 बजे से दिनभर केसरगंज अजमेर में किया जा रहा है।
26 अक्टूबर को पूज्य एलाचार्य श्री ससंघ का पिच्छि परिवर्तन महोत्सव का आयोजन मोइनिया इस्लामिया प्रांगन, स्टेशन रोड अजमेर में संपन्न होगा। आप सपरिवार सादर आमंत्रित हैं।
Thursday, October 16, 2014
कलशारोहण महोत्सव संपन्न
परम पूज्य आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के सुयोग्य शिष्य परम पूज्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ के पावन सानिध्य में 16 अक्टूबर को केसरगंज स्थित जिनालय के शिखरों के जीर्णोद्धार के पश्चात् कलशारोहण महोत्सव का आयोजन धूम धाम से भव्यता के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर तीन शिखरों पर कलशारोहण किया गया। प्रतिष्ठाचार्य पं. श्री कुमुद सोनी के निर्देशन में कार्य कुशलता पूर्वक संपन्न हुआ। प्रातः काल श्री गणधर वलय विधान का आयोजन संपन्न हुआ तत्पश्चात 11:30 बजे कलशारोहण संपन्न किया गया।
Wednesday, October 8, 2014
Friday, October 3, 2014
जीवन झलकियाँ
आज पूज्य गुरुदेव का 48वां जन्म दिवस है। इस उपलक्ष्य में आईये जानें कुछ महत्वपूर्ण जानकारी पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के जीवन से सम्बंधित:-
1 सन 1967 की 3 अक्टूबर को बालक दिनेश जैन उर्फ़ रवि का जन्म विरोंधा ग्राम, मनिया (धौलपुर) में हुआ।
2 सन 1988 की अप्रैल में गढ़ त्याग किया और 16 नवम्बर को क्षुल्लक दीक्षा धारण की।
नाम रखा क्षुल्लक जिनेन्द्र सागर जी।
3 सन 1989 की 11 अक्टूबर को मुनि दीक्षा धारण कर बन गए मुनि निर्णय सागर जी।
4 सन 1990 का चातुर्मास टीकमगढ़ में संपन्न हुआ।
5 सन 1991 में गुणों की खान होने से गुणसागर की उपाधि से श्रेयांसगिरी में अलंकृत किया।
6 सन 1992 में पन्ना नगर में महावीर जयंती का आयोजन आपके सानिध्य में संपन्न हुआ।
7 सन 1993 में बिना महानगर में ग्रीष्म कालीन वाचना संपन्न हुई।
8 सन 1994 में सागर में अध्ययन पूर्वक सागर में शीत कालीन वाचना संपन्न हुई।
9 सन 1995 में ललितपुर चातुर्मास संपन्न हुआ जिसमे पुराणी पिच्छिका ब्र.बालचंद जी को प्राप्त हुई।
10 सन 1996 में पहली बार ब्र. गुलाब चन्द जी की समाधी कराई।
11 सन 1997 में प्रभावना करते हुए पथरिया और गढ़ाकोटा में सम्यक ज्ञान शिविर लगाया।
12 सन 1998 में जतारा, बंडा और पवा जी में सानिध्य में गजरथ महोत्सव आयोजित हुआ।
13 सन 1999 में फिरोजाबाद में शुगर और पीलिया जैसे महारोगों ने एक साथ ग्रसित किया।
14 सन 2000 में फिरोजाबाद में ही विभव नगर में भव्य पञ्च कल्याणक प्रतिष्ठा संपन्न कराई।
15 सन 2001 में राष्ट्र संत आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के पावन दर्शन ग्रीन पार्क दिल्ली में पहली बार किये।
16 सन 2002 में उपाध्याय पद उपरांत तिजारा की प्रथम तीर्थ यात्रा की। 17 फरवरी को विश्वास नगर दिल्ली में हुआ था उपाध्याय पद।
17 सन 2003 में मेरठ में ऐतिहासिक चातुर्मास हुआ जिससे पूर्व सिद्धक्षेत्र अष्टापद की यात्रा गुरु संघ ने की।
18 सन 2004 का मंगल चातुर्मास कृष्णा नगर दिल्ली में संपन्न हुआ। यह एक मात्र चातुर्मास था जो दिल्ली में उपाध्याय अवस्था में हुआ।
19 सन 2005 में अतिशय क्षेत्र शौरिपुर में कवलचंद्रायण व्रत कर त्याग और व्रत की महिमा प्रस्तुत की।
20 सन 2006 में अतिशय क्षेत्र तिजारा में चातुर्मास संपन्न हुआ।
21 सन 2007 में एक साथ 2 क्षुल्लक दिक्षाएं राजाखेड़ा में प्रदान की।
22 सन 2008 में पहली बार एक साथ 4 आर्यिका दिक्षाएं सीकरी नगर में प्रदान की।
23 सन 2009 में एलाचार्य पद का पहला चातुर्मास मेरठ में संपन्न हुआ।
24 सन 2010 में क्षपक आर्यिका श्री मोक्ष नंदनी माताजी की समाधी बोलखेड़ा अतिशय क्षेत्र में कराई।
25 सन 2011 में हस्तिनापुर चातुर्मास के दौरान एक साथ 22 श्रावकों को प्रतिमा व्रत प्रदान किया।
26 सन 2012 में पहली बार 1146 श्रावकों को फिरोजाबाद में नैष्ठिक श्रावक दीक्षा के संस्कार प्रदान किये।
27 सन 2013 में एक और इतिहास रचते हुए शिमला में हजारों वर्षों में पहली बार जैनेश्वरी दिक्षाएं व लघु पंचकल्याणक प्रतिष्ठा संपन्न कराई।
28 सन 2014 में सर्वाधिक दीक्षा प्रदान करते हुए अतिशय क्षेत्र जय शांति सागर निकेतन मंडोला का नाम स्वर्ण अक्षरों से इतिहास में अंकित कर दिया।
ऐसे परम पावन पुनीत दिगम्बर संत एलाचार्य शरइ वसुनंदी जी मुनिराज बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं जिनके माध्यम से हजारों लक्शों श्रावकों का कल्याण हो रहा है। एलाचार्य श्री रुपी धर्म सूर्य हजारों वर्षों तक चमकता रहे यही भगवन से प्रार्थना करते हैं और स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं।
Monday, September 22, 2014
समाधि संबोधन
01. मुनि विसर्ग सागर जी, सागर (म.प्र.) जनवरी 1994
02.आर्यिका विसर्जन मति माताजी जी, ललितपुर (उ.प्र.) जनवरी 1995
03.ब्र.गुलाब चंद जी (क्षुल्लक विदेह सागर जी), दमोह (म.प्र.) 19 अक्टूबर 1996
04. आर्यिका सुमति माताजी, कृष्णा नगर दिल्ली, 19 अक्टूबर 2004
05.आर्यिका विजय नंदनी माताजी, फिरोजाबाद (उ.प्र.) 19 मई 2006
06. मुनि परमानन्द जी, अलवर (राज.) 19 जनवरी 2009
07. आर्यिका मोक्ष नंदनी माताजी, जम्बूस्वामी तपोस्थली बोलखेड़ा, 12 अगस्त 2010
08. आर्यिका सिद्ध नंदनी माताजी, शकरपुर दिल्ली, 10 मई 2012
09. मुनि सुज्ञान सागर जी, जय शांति सागर निकेतन मंडोला, मार्च 2012
10. मुनि इच्छानंद जी, जम्बूस्वामी तपोस्थली बोलखेड़ा, 7 अप्रैल 2014
Tuesday, September 16, 2014
यथाजात जैनेश्वरी दीक्षा
परम पूज्य श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के सुयोग्य शिष्य परम पूज्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के पावन कर कमलों द्वारा भव्य यथाजात जैनेश्वरी दीक्षा महा महोत्सव का आयोजन प्रातः 11 बजे से बिरला सिटी वाटर पार्क ,जयपुर हाईवे ,अजमेर में होगा। आप सपरिवार सादर आमंत्रित हैं। आना न बीभूलें अपनों को लाना न भूलें।
Saturday, September 6, 2014
आचार्य श्री विद्यानंद प्रतियोगिता प्रश्न पत्र
आचार्य श्री विद्यानंद प्रतियोगिता को डाउनलोड करके हमें मात्र उत्तर पुस्तिका भेजें।
उत्तर पुस्तिका भेजने का पता
श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैसवाल जैन मंदिर, महावीर मार्ग, केसरगंज, अजमेर (राज.)
Thursday, September 4, 2014
आचार्य श्री विद्यानंद प्रतियोगिता
प.पू. श्वेत पिच्छ्चार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज को समर्पित व उन्ही के नाम से प्रकाशित होने वाली ये प्रतियोगिता पिछले 13 वर्षों से निरंतर प्रकाशित हो रही है जिसकी पावन प्रेरणा प. पू. अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के द्वारा प्राप्त हुई है।
वर्ष 2014 के अंक में कुल 169 प्रश्न हैं जिनके मात्र अ, ब, स, द अथवा य में ही उत्तर देने हैं। प्रश्न संकलन रोचक और ज्ञान वर्धक तरीके से किया गया है जो पूज्य आचार्य श्री के स्वाभाव की तरह सरल और चर्या के सदृश कठोर का अनुपम ताल मेल है।
प्रतियोगिता जमा करने की अंतिम तारीख 12 अक्टूबर है तथा परिणाम घोषणा व पुरस्कार वितरण 26 अक्टूबर 2014 को पिच्छि परिवर्तन के अवसर पर किया जायेगा। प्रथम पुरस्कार (भगवान ऋषभदेव पुरस्कार) ₹25000/- की नकद राशी अथवा इतनी ही राशी का पुरस्कार, द्वितीय पुरस्कार (जम्बूस्वामी पुरस्कार) ₹15000/- की नकद राशी अथवा इतनी राशी का पुरस्कार, तृतीय पुरस्कार (आचार्य कुन्दकुन्द पुरस्कार) ₹11000/- की नकद राशी अथवा इतनी ही राशी का पुरस्कार। इसके साथ साथ 26 विशेष सांत्वना (आचार्य श्री शांति सागर पुरस्कार) , 90 सामान्य सांत्वना पुरस्कार (श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद पुरस्कार), 108 सांत्वना पुरस्कार (एलाचार्य श्री वसुनंदी पुरस्कार) से प्रतियोगियों को सम्मानित किया जायेगा। प्रतियोगी का परिणाम घोषणा के अवसर होना आवश्यक है।
Monday, August 18, 2014
मीठे प्रवचन 2014 संपन्न
16 - 26 अगस्त तक नाका मदार अजमेर में सानंद संपन्न हुई मीठे प्रवचनों की श्रृंखला। अपार जन समूह और अनेकों मनोरंजक आयोजनों के साथ हुआ भव्य आयोजन। प्रातः कल प्रवचन और संध्या काल में "करनी का फल आज नहीं तो कल" नामक कथानक तत्पश्चात सांस्कृतिक कार्यक्रमों का दौर प्रतिदिन चला। आयोजन धर्म जाग्रति युवा संस्थान अजमेर द्वारा संपन्न हुआ।
Saturday, August 9, 2014
पलकों में बसा लो गुरु की झलक
एक नज़र-
प. पू. एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज का गृहस्थ अवस्था का नाम दिनेश जैन था।
प. पू. एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के गृहस्थ अवस्था की माता का नाम श्रीमती त्रिवेणी जैन है।
प. पू. एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के गृहस्थ अवस्था के पिता श्री रिखब चंद जैन हैं।
प. पू. एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के देह का जन्म 03 अक्टूबर 1967 को विरोंधा, तहसील मनियां, जिला धोलपुर राजस्थान में हुआ।
प. पू. एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज की क्षुल्लक दीक्षा 16 नवम्बर 1988 को बरांसों भिंड में हुई थी।नाम रखा क्षुल्लक जिनेन्द्र सागर जी।
प. पू. एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज की मुनि दीक्षा 11 अक्टूबर 1989 को भिंड में हुई। नाम रखा मुनि श्री निर्णय सागर जी।
प. पू. एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज का उपाध्याय पद 17 फरवरी 2002 को विश्वास नगर, दिल्ली में हुआ। नाम रखा उपाध्याय श्री निर्णय सागर जी।
प. पू. एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज का एलाचार्य पद बुधवार, 01 अप्रैल 2009 को ग्रीन पार्क दिल्ली में हुआ। नाम रखा एलाचार्य वादुनंदी मुनि।
प. पू. एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के पावन सानिध्य में सन 2013 में 3 पंचकल्याणक और 2014 में 3 पंचकल्याणक (फरीदाबाद, अलीगढ, जम्बूस्वामी तपोस्थली) संपन्न कराएं।
प. पू. एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ने मंडोला में क्षुल्लक श्री सहजानंद जी, क्षुल्लक श्री प्रज्ञानंद जी, क्षुल्लक श्री ध्यानानंद जी, बाल ब्र. पुन्याशीश एवं बाल ब्र. धर्माशीश भैया को दीक्षा प्रदान की।
प. पू. एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज का 8 जून से अजमेर के लिए मंगल विहार प्रारंभ हुआ।
प. पू. एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज का 07 जुलाई को अजमेर में मंगल प्रवेश हुआ।
प. पू. एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ने 2014 में लगभग 1300 कि. मी. से अधिक विहार किया।
प. पू. एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ने जयपुर स्थित चुलगिरी के दर्शन 24 जून 2014 को किये।
प. पू. एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज का प. पू. आचार्य श्री वर्धमान सागर जी से मंगल मिलन 25 मार्च 2014 को जम्बूस्वामी तपोस्थली में हुआ।
प. पू. एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के सानिध्य में सर्वप्रथम चारों अनुयोगों की वाचना कृष्णा नगर दिल्ली में हुई थी।
प. पू. एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ने जयपुर में 22 जून को मंगल प्रवेश किया।
प. पू. एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ने शिमला में 27 - 30 मई 2013 तक लघु पंचकल्याणक प्रतिष्ठा संपन्न कराई।
Monday, April 7, 2014
विचार
मुख्य धाराएं
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श्री पार्श्वनाथ भगवान की भक्ति आराधना का सर्वाधिक चमत्कारी स्तोत्र श्री कल्याण मंदिर का विधान श्री दिगम्बर जैन मंदिर, बैंक एन्क्लेव (दिल्...
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प.पू. अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी आचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के प्रथम आचार्य पदारोहण दिवस पर आयोजित "अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी प्रतियोगिता...
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परम पूज्य राष्ट्र संत श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम प्रिय व आज्ञानुवर्ती शिष्य परम पूज्य अभिक्षण ज्ञानोपयोगी एलाचा...
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उपसर्ग विजेता भगवन पार्श्वनाथ की तपस्थली अतिशय क्षेत्र अहिछत्र में परम पूज्य श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज...
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= स्वाध्याय के लिए शास्त्रों का सामने होना आवश्यक नहीं,स्वाध्याय तो प्रकृति के किसी भी पदार्थ का आश्रय लेकर किया जा सकता है यदि दृष्टि समीची...
आज का प्रवास
गुरु शरण

आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज से पड़ते हुए गुरुदेव
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