जैन समाज की धरोहर,नव देवताओं में सम्मिलित,परम पूज्य श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम पुनीत सानिध्य में ऐलक श्री ज्ञानानंद जी व ऐलक श्री सर्वानन्द जी महाराज की मुनि दीक्षा परम श्रद्धेय अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के कर कमलों द्वारा दिनांक ०१ अप्रैल २०११ को दिल्ली स्थित ग्रीन पार्क के कमल सिनेमा ग्राउंड में सुबह शुभ मुहूर्त में संपन्न हुई जिसको देखने हजारों श्रद्धालु उपस्थित हुए.सुबह ८ बजे पूज्य आचार्य श्री ससंघ ने विशाल पंडाल में मंगल पदार्पण किया और कार्यक्रम की शुरुवात मंगलाचरण के माध्यम से हुई.दीप प्रज्जवलन और चा.च. आचार्य श्री शांतिसागर जी मुनिराज के चित्र का अनावरण किया गया.कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ. किरण वालिया ने कहा कि "विश्व में पूज्य त्याग है और विश्व में सभी त्याग को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं."पूज्य आचार्य श्री ने प्रवचन देते हुए कहा कि आचार्य शान्तिसागर महाराज के पहले दिगम्बर मुनि के दर्शन करना बेहद कठिन था जिसे चा.च. आचार्य शांतिसागर महाराज ने जीवंत कर जैन समाज में प्राण फूंक दिए.उनकी गौरव मई परंपरा में आज दो ऐलक मुनि दीक्षा ले रहे है जो सब उन्ही की देन है.
दीक्षा ग्रहण करने से पहले दोनों दीक्षार्थियों ने पूज्य आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज को दीक्षा हेतु श्रीफल चढ़ाया तत्पश्चात पूज्य आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के निर्देशानुसार पूज्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ने ऐलक द्वय को कल्याणकारी मुनि दीक्षा के संस्कारों से संस्कारित किया.प्रथम ऐलक श्री ज्ञानानंद जी महाराज कि मुनि दीक्षा संपन्न होने पर उनका नाम मुनि श्री ज्ञानानंद जी मुनिराज घोषित किया और ऐलक श्री सर्वानन्द जी महाराज को मुनि श्री सर्वानन्द जी मुनिराज के नाम से घोषित किया.पूज्य एलाचार्य श्री ने अपने उदबोधन में कहा कि "वैसे तो गुरु के होते हुए शिष्य किसी को दीक्षा दे, ये शोभायमान नहीं है किन्तु गुरु आज्ञा का पालन करना भी शिष्य का ही कर्त्तव्य है.अभी दोनों मुनियों का मौन रहेगा और जब आचार्य श्री आज्ञा देंगे तब शुभ मुहूर्त में दोनों मुनियों कि वाग दीक्षा संपन्न होगी.ये बताते हुए एलाचार्य श्री ने अपनी वाणी को विराम दिया."

संघस्थ बाल ब्र. आशीष भैया ने बताया कि ३ अप्रैल को यहाँ से गमन कर शकरपुर,अशोक नगर,करावल नगर होते हुए जय शांति सागर निकेतन,मंडोला पहुचेंगे जहाँ भ.अजितनाथ का निर्वान लाडू ८ अप्रैल को पूज्य एलाचार्य श्री के सानिध्य में चढ़ाया जायेगा.अंतिम तीर्थंकर भ.महावीर जन्म कल्याणक १६ अप्रैल को सरधना में पूज्य श्री के सानिध्य में संपन्न होगी तथा २२ अप्रैल को हस्तिनापुर में मंगल प्रवेश होगा जहाँ जिनमन्दिर का शिलान्यास संपन्न होगा.
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