कड़ कडाती ठण्ड और घने कोहरे में विहार कर सुभ 11 बजे परम पूज्य श्वेत पिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के परम प्रिय शिष्य एलाचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज ससंघ का मंगल प्रवेश अतिशय क्षेत्र अहिछत्र में 27 जनवरी को हुआ। गाजे बाजे के साथ पूज्य एलाचार्य श्री का स्वागत किया गया तथा स्थानीय कार्यकारिणी द्वारा पाद प्रक्षालन गुरु अभिवादन किया।पूज्य एलाचार्य श्री के सानिध्य में महा सिद्धांत ग्रन्थ शीत कालीन वाचना का प्रारंभ मंगल कलश स्थापना व ध्वजारोहण के साथ हुआ।जिन धर्म की ध्वज फ़हराने का सौभाग्य श्री अनिल कुमार जैन (बिल्सी वाले) को प्राप्त हुआ तथा मंगल कलश श्री पद्मप्रकाश जैन (धनोरा मंडी) ने स्थापित किया। इस अवसर पर शास्त्र भेंट का सुनहरा अवसर श्री संजय जैन (बदायूं), श्री देवाशीष जैन (बिलसी), श्री निपुण जैन (ग्रीन पार्क) एवं श्री मृदंक जैन को प्राप्त हुआ। 27 जनवरी का दिन अहिछत्र के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से अंकित हुआ क्योंकि यह पहली बार है जब अहिछत्र में शीतकालीन वाचना का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का कुशल रूप से मंच संचालन श्री संजय जैन शास्त्री (सागर) ने किया तथा कार्यक्रम के प्रबंधक श्री ओम प्रकाश जैन को बनने का सौभाग्य मिला।
लगभग 25 दिन चलने वाली वाचना में प्रातः श्री राजवार्तिक शास्त्र का स्वाध्याय किया जायेगा वही दोपहर में श्री महाबन्ध भाग 5 शास्त्र का स्वाध्याय किया जायेगा। संघस्त बाल ब्र.शुभाशीष भैया जी ने बताया कि इतना ही नहीं समय का सदुपयोग करते हुए अन्य समय में संघ की अलग अलग विषय पर शिक्षाएं भी पूज्य एलाचार्य श्री द्वारा दी जायेंगी।
संघस्त बाल ब्र. पुण्याशीश भैया जी ने बताया कि वाचना के पश्चात् संघ का मंगल विहार दिल्ली की ओर होगा।
लगभग 25 दिन चलने वाली वाचना में प्रातः श्री राजवार्तिक शास्त्र का स्वाध्याय किया जायेगा वही दोपहर में श्री महाबन्ध भाग 5 शास्त्र का स्वाध्याय किया जायेगा। संघस्त बाल ब्र.शुभाशीष भैया जी ने बताया कि इतना ही नहीं समय का सदुपयोग करते हुए अन्य समय में संघ की अलग अलग विषय पर शिक्षाएं भी पूज्य एलाचार्य श्री द्वारा दी जायेंगी।
संघस्त बाल ब्र. पुण्याशीश भैया जी ने बताया कि वाचना के पश्चात् संघ का मंगल विहार दिल्ली की ओर होगा।
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